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आज का चिंतन

पंच महायज्ञ की वैदिक परंपरा और मानव समाज

वेदो के अनुसार मनुष्य को प्रतिदिन अपने जीवन में पाँच महायज्ञ जरूर करने चाहिए।* (1) ब्रह्मयज्ञ :- ब्रह्म यज्ञ संध्या ,उपासना को कहते है। प्रात: सूर्योदय से पूर्व तथा सायं सूर्यास्त के बाद जब आकाश में लालिमा होती है, तब एकांत स्थान में बैठ कर ओम् वा गायत्री आदि वेद मंत्रों से ईश्वर की महिमा […]

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कृषि जगत

कौन सुनेगा श्रमिक महिलाओं का दर्द?

वंदना कुमारी मुजफ्फरपुर, बिहार भारत की अर्थव्यवस्था का मेरुदंड खेती-किसानी और मजदूरी है. यदि खेती नहीं हो, तो आदमी खाएगा क्या? आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-22 के मुताबिक कृषि में सकल घरेलू उत्पाद की हिस्सेदारी 20.2 फीसदी है. भारत की तकरीबन आधी जनसंख्या रोजगार के लिए खेती बाड़ी पर ही निर्भर है. कृषि द्वितीयक उद्योगों के […]

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मुद्दा

राजस्थानी को कब हासिल होगा निज भाषा का गौरव?

देवेन्द्रराज सुथार जालौर, राजस्थान मातृभाषा किसी भी देश या क्षेत्र की संस्कृति और अस्मिता की संवाहक होती है. इसके बिना मौलिक चिंतन संभव नहीं है. नई शिक्षा नीति में कक्षा 5 तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में रखने की बात कही गई है, लेकिन राजस्थान के लोग मातृभाषा में शिक्षा पाने […]

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हुतात्मा महाशय राजपाल की बलिदान गाथा एवं #रंगीला_रसूल

🙏 6 अप्रैल बलिदान दिवस पर प्रकाशित #डॉविवेकआर्य 🚩सन १९२३ में मुसलमानों की ओर से दो पुस्तकें “#१९वींसदीकामहर्षि” और “#कृष्णतेरीगीताजलानीपड़ेगी ” प्रकाशित हुई थी। 🚩पहली पुस्तक में आर्यसमाज का संस्थापक #स्वामीदयानंद का सत्यार्थ प्रकाश के १४ सम्मुलास में कुरान की समीक्षा से खीज कर उनके विरुद्ध आपत्तिजनक एवं घिनौना चित्रण प्रकाशित किया था जबकि दूसरी […]

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इतिहास के पन्नों से

कम्युनिस्ट ना तो देश के कभी हुए हैं और ना हो सकेंगे

कम्युनिस्ट न देश के थे, न होंगे मार्क्सवाद के प्रणेता कार्ल माक्र्स की समग्र रचनाओं में “राष्ट्र” नामक इकाई के लिए कोई स्थान नहीं है। मार्क्सवादी तो केवल सर्वहारा को जानता है, जिसे मार्क्स ने “प्रोलेतेरियत” कहकर पुकारा है और जो उसके अनुसार भौतिक द्वंद्ववाद के आधार पर हो रहे ऐतिहासिक विकास-क्रम में पूंजीवाद की […]

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भारतीय संस्कृति

गुरु बिन मुक्ति नाही* भाग 5

डॉ डी के गर्ग कबीर ने कहा है जाका गुरु भी अंधला, चेला खरा निरंध अँधा-अँधा ठेलिया, दून्यू कूप पड़ंत 1जीवन में दुःख का कारण मनुष्य के स्वयं के कर्म हैं। जो जैसा करेगा वो वैसा भरेगा के वैदिक सिद्धांत की अनदेखी कर मनुष्य न तो अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनाने का प्रयत्न करना चाहता […]

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स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य दिवस (07 अप्रैल) पर विशेष कितना मुमकिन है सभी के लिए स्वस्थ परिवेश उपलब्ध कराना?

हरीश कुमार पुंछ, जम्मू कहते हैं कि स्वास्थ्य ही जीवन है. वास्तव में प्रथम सुख ही निरोगी काया को कहा गया है. किंतु आज की व्यस्त एवं तनावग्रस्त जिंदगी में मानव अपने स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान नहीं दे पा रहा है. काम, व्यस्तता और तनाव के कारण ही इंसान के स्वास्थ्य पर लगातार प्रतिकूल प्रभाव […]

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समाज

नहीं बदली है माहवारी से जुड़ी अवधारणाएं

नैना सुहानी मुजफ्फरपुर, बिहार मासिक धर्म एक ऐसा विषय है जिस से ग्रामीण इलाकों में अनगिनत अंधविश्वास और पुरानी सोच जुड़ी हुई है. सामाजिक प्रतिबंध के कारण यहां ऐसे विषयों पर बात करना भी पाप माना जाता है. जिस वहज से महिलाएं सही जानकारी के अभाव में बीमारियों का शिकार हो जाती हैं और उन्हें […]

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राजनीति

भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नेताओं की बेलगाम जुबान

योगेंद्र योगी यह पहला मौका नहीं है जब किसी राष्ट्रीय स्तर के नेता को अदालत से मिली सजा और उसके बाद संसद की सदस्यता गंवानी पड़ी हो। इससे पहले राजद के नेता लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता सहित कई नेताओं को विधानसभा और लोकसभा से सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था। देश के विकास […]

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धर्म-अध्यात्म

यज्ञ ( हवन ) करने की सटीक और सही विधि

यज्ञ ( हवन ) करने की सटीक और सही विधि :- हमारे बहुत से आर्य समाज के मित्र या अन्य सनातनी भी बहुत सा यज्ञ करते और करवाते हैं परन्तु यज्ञ का पूरा लाभ जैसा कि शास्त्रों में वर्णित है वैसा लाभ नहीं उठा पाते हैं । इसका कारण है कि बहुत से प्रकार की […]

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