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ईश्वर अनादि काल से हमारा रक्षक, पालक और सुहृद मित्र है

ओ३म् =========== मनुष्य प्रायः अपने माता, पिता, आचार्यों तथा सगे सम्बन्धियों को ही अपना मानते हैं। ईश्वर के विषय में मनुष्यों के भिन्न-भिन्न विचार होते हैं। अधिकांश को ईश्वर के सत्यस्वरूप व गुण, कर्म व स्वभाव का ज्ञान नहीं होता। वह ईश्वर की परम्परागत विद्या व कुछ अविद्या से युक्त गुणोपासना आदि कर लेते हैं […]

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धर्म-अध्यात्म

माता -पिता की सेवा से जीवन में सुख और आशीर्वाद मिलता है

मनुष्य एक मननशील प्राणी है। इसका आत्मा ज्ञान व कर्म करने की शक्ति से युक्त होता है। मनुष्य को ज्ञान अपने माता, पिता व आचार्यों से मिलता है। माता-पिता सन्तानों को श्रेष्ठ आचरण की शिक्षा देते हैं। आचार्य भी वेद व ऋषियों के ग्रन्थों सहित आधुनिक विषयों का ज्ञान अपने अपने शिष्य व विद्यार्थियों को […]

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कृषि जगत

गाय का दूध और इससे बने पदार्थ स्वस्थ जीवन का आधार हैं

ओ३म् =========== परमात्मा ने इस सृष्टि को जीवात्माओं के सुख आदि भोग व अपवर्ग के लिए बनाया है। सृष्टि को बनाकर परमात्मा जीवों को उनके कर्मों का भोग कराने के लिये जन्म देता व उनका माता-पिता व भूमि माता के द्वारा पालन कराता है। परमात्मा ने मनुष्य जीवन को उत्तम, श्रेष्ठ व महान बनाने के […]

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आज का चिंतन

ईश्वर के सत्य स्वरूप को जानकर उपासना करना ही उचित है

ओ३म् ========= बहुत से मनुष्य ईश्वर को मानते हैं, उसमें श्रद्धा व आस्था भी रखते हैं परन्तु ईश्वर के सत्य स्वरूप को जानते नहीं है। इस कारण से वह ईश्वर की सच्ची उपासना को प्राप्त नहीं हो पाते। हम किसी भी वस्तु से तभी लाभ उठा सकते हैं कि जब हमें उस वस्तु के सत्य […]

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धर्म-अध्यात्म

हमारा यह जन्म हमारे पूर्व एवं पुनर्जन्म के सिद्धांत को बताता है

हमारा यह मनुष्य जन्म सत्य एव यथार्थ है। किसी भी मनुष्य को अपने अस्तित्व के होने में कोई सन्देह नहीं होता। हम हैं यह भाव हमारे अस्तित्व व उपस्थिति को स्वयंसिद्ध कर रहा है। हम अतीत में थेया नहीं, यह भी विचार कर माना व जाना जा सकता है। यदि हम न होते तो फिर […]

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आज का चिंतन

स्वाध्याय करने से अज्ञान का नाश और ज्ञान की वृद्धि होती है

ओ३म् ============ मनुष्य को परमात्मा ने बुद्धि दी है जो ज्ञान प्राप्ति में सहायक है व ज्ञान को प्राप्त होकर आत्मा को सत्यासत्य का विवेक कराने में भी सहायक होती है। ज्ञान प्राप्ति के अनेक साधन है जिसमें प्रमुख माता, पिता सहित आचार्यों के श्रीमुख से ज्ञान प्राप्त करना होता है। ज्ञान प्राप्ति में भाषा […]

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धर्म-अध्यात्म भारतीय संस्कृति

सभी मनुष्यों को वेद की मर्यादाओं का पालन करना चाहिए

मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। मनुष्य के पास परमात्मा प्रदत्त बुद्धि है जिसका सदुपयोग कर वह उचित व अनुचित तथा सत्य व असत्य का निर्णय कर सकता है। मनुष्य को अपनी बुद्धि की क्षमता बढ़ानी चाहिये। इसके लिये उसे उत्तम व ज्ञानी निष्पक्ष तथा देशभक्त गुरुओं की शरण में जाकर कृतज्ञता एवं श्रद्धापूर्वक शिक्षा […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत में एक शताब्दी पूर्व दलितोद्धार

. महर्षि दयानन्द ने जन्मना जाति व्यवस्था का विरोध कर गुण, कर्म व स्वभाव पर आधारित करने का आन्प्दोलन किया जिसे वेदानुसार वर्ण व्यवस्था कहा जाता है । महर्षि दयानन्द ने अपने जीवन के आचार-विचार-व्यवहार से अपने शिष्यों व भक्तों का मार्गदर्शन किया। नारी जाति व दलित शूद्रों बन्धुओं को उन्होंने वेदाध्ययन का अधिकार दिलाया […]

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आज का चिंतन

वेद मनुष्य जन्म का कारण कर्म फल भोग और मोक्ष प्राप्ति बताते हैं

ओ३म् “ ============ हम मनुष्य के रूप में जन्मे व जीवन जी रहे हैं परन्तु हमें यह पता नही होता कि हमारा जन्म क्यों हुआ तथा हमें करना क्या है? संसार के अधिकांश व प्रायः सभी मनुष्यों की यही स्थिति है। इस प्रश्न का उत्तर केवल वेद व वैदिक साहित्य से ही प्राप्त होता है […]

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आज का चिंतन

आर्य समाज विश्वकल्याण सहित संसार से अविद्या दूर करने का आंदोलन है

ओ३म् ============= आर्यसमाज एक सार्वभौमिक संगठन है जो संसार से धर्म व मनुष्य जीवन के क्षेत्र में सभी प्रकार की अविद्या को दूर करने के प्रयत्न करता है। आर्यसमाज की मुख्य विशेषता इसका ईश्वरीय ज्ञान वेदों पर आधारित होना है। आर्यसमाज के पास वेदों के सत्य अर्थों से युक्त ज्ञान प्राप्त है। आर्यसमाज के संस्थापक […]

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