ओ३म् -स्वाध्याय से मनुष्य को अनेक लाभ- ========== स्वाध्याय करना वैदिक धर्मियों के जीवन का अनिवार्य कार्य, आचरण एवं व्यवहार है। स्वाध्याय से प्रत्यक्ष लाभ ज्ञान की वृद्धि के रूप में सामने आता है। मनुष्य को सद्ग्रन्थों का ही स्वाध्याय करना चाहिये। ऐसा करने से ही मनुष्य के सद्ज्ञान में वृद्धि होती है। कुछ साहित्य […]
लेखक: मनमोहन कुमार आर्य
ओ३म् “मनुष्य जीवन की उन्नति के सरल वैदिक साधन” संसार में अनेक प्रकार के प्राणी हैं जिनमें से एक मनुष्य है। मनुष्य उसे कहते हैं जिसमें मनन करने का गुण व सामथ्र्य है। मनन करना सत्य व असत्य के विवेक वा निर्णय करने के लिए होता है। मनुष्य के पास अन्य प्राणियों की तुलना में […]
ओ३म् ============ आदरणीय धर्म प्रेमी आर्य श्रेष्ठ सज्जनों! आप सभी जानते हैं कि करोना काल में परिस्थितियां अनुकूल नहीं है। दान के माध्यम से चलने वाली हमारी संस्थाएं आर्थिक रूप से दानदाताओं पर ही निर्भर हैं। ‘‘मातृ छाया सेवा आश्रम व मैत्रेयी कन्या गुरुकुल’’ इस क्षेत्र का एकमात्र निःशुल्क वैदिक कन्या गुरुकुल है। इस कन्या […]
ओ३म् ============ अग्निहोत्र यज्ञ से होने वाले लाभों में अनागत रोगों से बचाव, प्राप्त रोगों का दूर होना, वायु-जल की शुद्धि, ओषधि-पत्र-पुष्प-फल-कन्दमूल आदि की पुष्टि, स्वास्थ्य, दीर्घायुष्य, बल, इन्द्रिय-सामर्थ्य, पाप-मेाचन, शत्रु-पराजय, तेज, यश, सदविचार, सत्कर्मों में प्रेरणा, गृह-रक्षा, भद्र-भाव, कल्याण, सच्चारित्र्य, सर्वविध सुख आदि लाभ प्राप्त होते हैं। वन्ध्यात्व-निवारण, पुत्र-प्राप्ति, वृष्टि, बुद्धिवृद्धि, मोक्ष आदि फलों […]
“मनुष्य के जन्म व मृत्यु पर विचार” यह समस्त जड़ चेतन रूपी संसार सादि व सान्त अर्थात् उत्पत्ति धर्मा और प्रलय को प्राप्त होने वाला है। सभी जड़ पदार्थ सत, रज व तम गुणों वाली मूल प्रकृति के विकार हैं। मनुष्य व प्राणियों के शरीरों पर विचार करें तो हम पाते हैं कि इसमें हमारे […]
ओ३म् ========= हम और ईश्वर दो अलग अलग सत्तायें हैं। दोनों की सामर्थ्य भी अलग अलग हैं। मनुष्य अल्प शक्तिवाला है तो ईश्वर सर्वशक्तिमान है। मनुष्य अल्पज्ञ वा अल्पज्ञान वाला है तो ईश्वर सर्वज्ञ वा सभी प्रकार का पूर्ण ज्ञान रखने वाली सत्ता है। दोनों की सत्ता में कुछ समानतायें हैं और कुछ असमानतायें हैं। […]
ओ३म् ========= भारतीय धर्म व संस्कृति विश्व की प्राचीनतम, आदिकालीन, सर्वोत्कृष्ट, ईश्वरीय ज्ञान वेद और सत्य मान्यताओं व सिद्धान्तों पर आधारित है। सारे विश्व में यही संस्कृति महाभारत काल व उसकी कई शताब्दियों बाद तक भी प्रवृत्त रहने सहित सर्वत्र फलती-फूलती रही है। इस संस्कृति की विशेषता का प्रमुख कारण यह था कि यह ईश्वरीय […]
(आज राष्ट्रगान के रचियता, नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर का जन्मदिवस है। इस अवसर पर गुरुदेव के द्वारा महर्षि दयानन्द की स्मृति में दी गई भावपूर्ण श्रद्धांजलि को प्रस्तुत कर रहे है। ) महर्षि दयानन्द ने वेद प्रचार की अपनी यात्राओं में बंगाल वा कोलकत्ता को भी सम्मिलित किया था। वह राष्ट्रकवि श्री रवीन्द्रनाथ […]
ओ३म् गुरुकुल पौंधा उत्तराखण्ड की राजधानी में स्थित वैदिक अध्ययन अध्यापन का एक मुख्य केन्द्र है। यह महर्षि दयानन्द प्रणीत पद्धति पर चल रहा है। जून सन् 2000 में इसकी स्थापना स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी ने की थी। विगत 21 वर्षों में गुरुकुल ने कई क्षेत्रों में अनेक उपलब्धियां अर्जित की हैं। अनेक बड़े बड़े […]
ओ३म् ============== मनुष्य जानता है कि वह एक चेतन सत्ता है। जीवित अवस्था में चेतन सत्ता जीवात्मा शरीर में विद्यमान रहती है। मृत्यु होने पर जीवात्मा शरीर को छोड़कर चली जाती है। जीवात्मा का शरीर में रहना जीवन और उसका शरीर से निकल जाना ही मृत्यु कहलाता है। किसी ने न तो जीवात्मा को देखा […]