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आज का चिंतन

ओ३म् “आर्यसमाज का सार्वभौमिक कल्याणकारी लक्ष्य एवं उसकी पूर्ति में बाधायें”

============ आर्यसमाज का उद्देश्य संसार में ईश्वर प्रदत्त वेदों के ज्ञान का प्रचार व प्रसार है। यह इस कारण है कि संसार में वेद ज्ञान की भांति ऐसा कोई ज्ञान व शिक्षा नहीं है जो वेदों के समान मनुष्यों के लिए उपयोगी व कल्याणप्रद हो। वेद ईश्वर के सत्य ज्ञान का भण्डार हैं जिससे मनुष्यों […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “वैदिक जीवन और यौगिक जीवन परस्पर पर्याय हैं”

ईश्वर, जीव और प्रकृति नित्य, अनादि व अनुत्पन्न सत्तायें हैं। विगत अनादि काल से जीवात्मा अपने कर्मानुसार जन्म लेता व मृत्यु को प्राप्त होता आ रहा है। अनेक बार जीवात्मा का मोक्ष भी हुआ है और मोक्ष से पुनः लौटकर मनुष्य व कर्मानुसार प्रायः सभी इतर योनियों में जन्म लेता रहा है। जीव की जीवन […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् -23वीं पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि- “वैदिक धर्म के अनन्य प्रेमी एवं ऋषि भक्त श्री शिवनाथ आर्य”

============= श्री शिवनाथ आर्य हमारी युवावस्था के दिनों के निकटस्थ मित्र थे। उनसे हमारा परिचय आर्यसमाज धामावाला देहरादून में सन् 1970 से 1975 के बीच हुआ था। दोनों की उम्र में अधिक अन्तर नहीं था। वह अद्भुत प्रकृति, स्वभाव व व्यवहार वाले आर्यसमाजी थे। उनके विलक्षण व्यक्तित्व के कारण मैं उनकी ओर खिंचा और हम […]

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विविधा

ओ३म् “आर्य प्रतिनिधि सभा, उत्तर प्रदेश के प्रधान एवं मंत्री रहे यशस्वी जीवन के धनी श्री धर्मेन्द्र सिंह आर्य”

============== आर्य प्रतिनिधि सभा, उत्तर प्रदेश के प्रधान एवं मंत्री रहे श्री धर्मेन्द्र सिंह आर्य (1924-1996) उच्च कोटि के ऋषिभक्त और आर्यसमाज के दीवाने थे। वह उत्तम जीवन एवं सदाचार युक्त आचरण के धनी थे। आपका जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद के एक ग्राम पिलखनी में सन् 1924 में आर्यसमाजी पिता श्री रामशरण आर्य […]

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विविधा

ओ३म् -23वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि- “वैदिक सिद्धान्तों के प्रभावशाली प्रचारक थे कीर्तिशेष प्रा. अनूप सिंह”

============ दिनांक 21 जून, 2024 को कीर्तिशेष आर्यविद्वान श्री अनूप सिंह जी की 22वीं पुण्यतिथि है। इस अवसर पर हम उनको सादर नमन करते हैं। हम उनके ऋणी हैं। उनके व्यक्तित्व से हम प्रभावित हुए थे। हमारा आर्यसमाज की सदस्यता ग्रहण करने का कारण जहां ऋषि दयानन्द जी का महान् व्यक्तित्व व वैदिक धर्म के […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “पापों में वृद्धि का कारण ईश्वर द्वारा जीवों को प्राप्त स्वतन्त्रता का दुरुपयोग”

============= संसार में मनुष्य पाप व पुण्य दोनों करते हैं। पुण्य कर्म सच्चे धार्मिक ज्ञानी व विवेकवान् लोग अधिक करते हैं तथा पाप कर्म छद्म धार्मिक, अज्ञानी, व्यस्नी, स्वार्थी, मूर्ख व ईश्वर के सत्यस्वरूप से अनभिज्ञ लोग अधिक करते हैं। इसका एक कारण यह है कि अज्ञानी लोगों को कोई भी बहका फुसला सकता है। […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “स्वस्थ मन सभी भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नतियों का आधार है”

=========== सामान्य मनुष्य आज तक अपनी आत्मा के अन्तःकरण में विद्यमान एवं कार्यरत मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार उपकरणों को यथावत् रूप में नहीं जान पाया है। मनुष्य को मनुष्य उसमें मन नाम का एक करण होने के कारण कहते हैं जो संकल्प विकल्प व चिन्तन-मनन करता है। मनुष्य का मन आत्मा का करण है […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “पापों में वृद्धि का कारण ईश्वर द्वारा जीवों को प्राप्त स्वतन्त्रता का दुरुपयोग”

============= संसार में मनुष्य पाप व पुण्य दोनों करते हैं। पुण्य कर्म सच्चे धार्मिक ज्ञानी व विवेकवान् लोग अधिक करते हैं तथा पाप कर्म छद्म धार्मिक, अज्ञानी, व्यस्नी, स्वार्थी, मूर्ख व ईश्वर के सत्यस्वरूप से अनभिज्ञ लोग अधिक करते हैं। इसका एक कारण यह है कि अज्ञानी लोगों को कोई भी बहका फुसला सकता है। […]

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भारतीय संस्कृति

ओ३म् “परम दयालु, कृपालु और हमारा हितैषी परमेश्वर”

============ यदि हम विचार करें कि संसार में हमारे प्रति सर्वाधिक प्रेम, दया, सहानुभूति कौन रखता है, कौन हमारे प्रति सर्वाधिक सम्वेदनशील, हमारे सुख में सुखी व दुःख आने पर उसे दूर करने वाला, हमारे प्रति दया, कृपा व हित की कामना करने वाला है, तो हम इसके उत्तर में अपने माता-पिता, आचार्य और परमेश्वर […]

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ओ३म् “पापों में वृद्धि का कारण ईश्वर द्वारा जीवों को प्राप्त स्वतन्त्रता का दुरुपयोग”

============= संसार में मनुष्य पाप व पुण्य दोनों करते हैं। पुण्य कर्म सच्चे धार्मिक ज्ञानी व विवेकवान् लोग अधिक करते हैं तथा पाप कर्म छद्म धार्मिक, अज्ञानी, व्यस्नी, स्वार्थी, मूर्ख व ईश्वर के सत्यस्वरूप से अनभिज्ञ लोग अधिक करते हैं। इसका एक कारण यह है कि अज्ञानी लोगों को कोई भी बहका फुसला सकता है। […]

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