स्वामी विवेकानंद और योगी अरविंद का मत रहा है कि भारत की शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य अपने देश की विरासत की आध्यात्मिक महानता पर बल देना और उसे बनाए रखने के लिए हमारे दायित्व के निर्वाह पर बल देना होना चाहिए, जिससे हम विश्व को प्रकाश का मार्ग दिखा सकें। यदि आध्यात्मिकता भारत से लुप्त […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
मुझे बड़ा अटपटा लगता है जब कोई व्यक्ति-ये कहता है कि भारत वर्ष 1300 वर्ष पराधीन रहा। कोई इस काल को एक हजार वर्ष कहता है, तो कोई नौ सौ या आठ सौ वर्ष कहता है। जब इसी बात को कोई नेता, कोई बुद्घिजीवी, प्रवचनकार या उपदेशक कहता है तो मेरी यह अटपटाहट छंटपटाहट में […]
लोकतंत्र में प्रमुख रूप से द्वीदलीय व्यवस्था होती है। इसमें एक सत्तापक्ष होता है तो दूसरा विशेष पक्ष, अर्थात वह पक्ष जो सत्तापक्ष की नीतियों की विशेष पड़ताल करे और राष्ट्रहित में यथावश्यक संशोधन प्रस्तुत कर नीति या किसी विधेयक को राष्ट्रोचित बनाने में विशेष सहयोग करे। स्वस्थ लोकतंत्र की बुनियाद ही ये सोच है […]
भारत का संविधान कहीं भी ये घोषणा नही करता कि जब आम चुनाव हों तो किसी भी राजनीतिक दल या गठबंधन को अपना भावी पी.एम. पहले ही घोषित कर देना चाहिए। संविधान इस विषय में यही व्यवस्था देता है कि देश का प्रधानमंत्री वही होगा जिसे देश की संसद के निचले सदन में निर्वाचित सदस्यों […]
एक आंकलन के अनुसार अगले 50 वर्षों में ओजोन परत में हो रहे निरंतर क्षरण के कारण विश्व में त्वचा कैंसर के फैलने की प्रबल आशंका है। पर्यावरणविदों ने इस कैंसर के फैलने की आशंका शीतोष्ण जलवायु के उन क्षेत्रों में सबसे अधिक मानी है, जहां ओजोन की परत पतली है, स्पष्ट है यूरोपीय देश […]
आजादी मिलते ही ‘नवयुग’ के गीत गाये गये क्योंकि आजादी से पूर्व नवयुग का एक सपना हर भारतीय की दृष्टिï में तैर रहा था, हर छोटा बड़ा व्यक्ति बड़ी उत्सुकता से उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा था जिस दिन सचमुच गुलामी का जुआ उतरेगा और आजादी का उत्सव पूरा देश इस जुए के उतरने […]
जब भारतीय स्वातन्त्रय समर के इतिहास का प्रक्षालन कोई गंभीर, जिज्ञासु और राष्ट्रप्रेमी पाठक करेगा और उसे भारतीय इतिहास सागर की गहराई से सावरकर नाम का रत्न हाथ लगेगा तो वह निश्चित रूप से प्रसन्न वदन होकर उछल पड़ेगा, उसे चूमेगा और अपने मस्तक को झुकाकर उसका वंदन, अभिनंदन और नमन करेगा। क्योंकि ऐसे रत्न […]
संविधान सभा में पृथक निर्वाचक मण्डलों की पद्घति की वकालत करते हुए 28-9-1947 को मुस्लिम लीग के सदस्य श्री नजीरूद्दीन अहमद ने कहा था कि यदि आप इस पद्घति को देश में लागू नही रखेंगे तो छोटे भाई का दिल टूट जाएगा। भारत के सौभाग्य से उस समय भारत का शेर सरदार पटेल संविधान सभा […]
भारत के विषय में बड़े चौंकाने वाली स्थिति है। हमारे किसानों मजदूरों और कारीगरों को उजाड़कर भारत की आर्थिक आजादी को विदेशी कंपनियों के यहां गिरवी रख देने का कुचक्र आर्थिक उदारीकरण के नाम पर और देश के औद्योगिकीकरण के नाम पर बड़े जोर शोर से चल रहा है। चीन, जो कि हमारा सबसे बड़ा […]
15 अगस्त 1947 ईं को जो स्वतंत्रता हमें मिली थी, वह लंगड़ी-लूली स्वतंत्रता थी, क्योंकि विभाजित भारत में मिला-अखण्ड भारत तो अंग्रेजी साम्राज्यवाद की कुचालों के भूचाल में और सियासत की शतरंजी चालों के सागर में कहीं विलीन हो गया था।कोई दुष्ट दुष्टता करके कहीं छिप नही गया था। फिर भी शतरंज बिछी रह गयी। […]