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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-79

नाथ करूणा रूप करूणा आपकी सब पर रहे गतांक से आगे…. कहा गया है कि वह परमात्मा ‘अकाम:’ अर्थात कामनाओं से मुक्त कामना रहित है, वह किसी भी प्रकार की कामना के फेर में नहीं पड़ता। जैसे हम सांसारिक लोगों की कामनाएं होती हैं-वैसे उसकी कोई कामना नही होती। वह धीर है अर्थात असीम धैर्यवान […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-25

गीता का चौथा अध्याय और विश्व समाज गीता के इन श्लोकों में यह तथ्य स्पष्ट किया गया है कि संसार में जब अनिष्टकारी शक्तियों का प्राबल्य होता है तो उस अनिष्ट से लडऩे वाली शक्तियों का भी तभी प्राकट्य भी होता है। जब बढ़ता संसार में घोर पाप अनाचार। तभी जन्मते महापुरूष दूर करें दुराचार।। […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-24

गीता का चौथा अध्याय और विश्व समाज अभी तक हमारे विश्व नेता वह नहीं बोल रहे हैं जो उन्हें बोलना चाहिए। उनके बोलने में कितनी ही गांठें लगी रहती हैं। बोलने में स्पष्टता नहीं है। छल नीति है। इसीलिए विश्वशान्ति के मार्ग में अनेकों बाधाएं हैं। इन बाधाओं को गीता ज्ञान समाप्त करा सकता है। […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-23

गीता का चौथा अध्याय और विश्व समाज गीता का चौथा अध्याय अभी पिछले दिनों दशहरा (30 सितम्बर 2017) के पावन पर्व पर देश के राष्ट्रपति भवन में पहली बार इस पर्व से सम्बन्धित विशेष कार्यक्रम रखा गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस अवसर पर कन्या पूजन का कार्यक्रम किया। इन दोनों […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-22

गीता का तीसरा अध्याय और विश्व समाज जब व्यक्ति अपना कार्य तो अधर्म पूर्वक करे अर्थात डाक्टर रोगियों की सेवा न करके उनकी जेब काटे, व्यापारी शुद्घ वस्तु न देकर मिलावट करे इत्यादि और सुबह-शाम मन्दिरों में घण्टे घडिय़ाल बजाये तो ऐसा कार्य अधर्म=निज स्वभाव के अनुसार न होकर भयजनक होता है, पाखण्ड होता है। […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-21

गीता का तीसरा अध्याय और विश्व समाज आज के संसार में दुर्जन आतंकी संगठन सिर उठा रहे हैं। इनके विरूद्घ सारे संसार के लोग यदि पूर्ण मनोयोग से उठ खड़े हों तो विश्व को आतंकवाद से मुक्त होने में कोई देर नहीं लगेगी। कर्म को सही गति और सही दिशा देने की आवश्यकता है। योगीराज […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-20

गीता का तीसरा अध्याय और विश्व समाज हमने पाकिस्तान के विरूद्घ भारत के प्रधानमंत्री मोदी को ‘सर्जिकल स्ट्राईक’ करते देखा। संयुक्त राष्ट्र में अपनी विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज को पाकिस्तान की बखिया उधेड़ते हुए देखा-ऐसे हर अवसर पर देश में भावनात्मक एकता का परिवेश बना, लोगों में सांस्कृतिक और सांगठनिक एकता का भाव बना। […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-19

गीता का तीसरा अध्याय और विश्व समाज सन्त का यह कार्य आपको शिक्षा दे रहा है कि यज्ञीय बन जाओ, जो भी कुछ मिलता है-उसे बांट दो। ज्ञान को भी बांट दो और मिले हुए दान को भी बांट दो। चोर, डकैती या लुटेरा व्यक्ति ऐसा क्यों नहीं कर पाता? इसका कारण यही है कि […]

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संपादकीय

‘सिर्फ कपड़ों से संन्यास नहीं होता’

सं न्यासी जीवन का भारतीय संस्कृति में विशेष सम्मान और महत्व है। हमारे पूर्वजों ने संन्यास आश्रम की स्थापना इस उद्देश्य से की थी कि जीवनभर की आध्यात्मिक कमाई को और अनुभवजन्य ज्ञान को व्यक्ति इस आश्रम में जाकर लोकहित में बिना कोई मूल्य लिये समाज को बांटेगा, कोई लेने भी नहीं आएगा तो उसके […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-18

गीता का तीसरा अध्याय और विश्व समाज यहां श्रीकृष्णजी अर्जुन को पुन: उसके धर्म का स्मरण करा रहे हैं कि तू स्वधर्म को पहचान और उसी के अनुसार आचरण कर, अर्थात कर्म कर। यदि तू यह मान रहा है कि कर्म करना ही नहीं है अर्थात स्वधर्म का पालन करना ही नहीं है तो यह […]

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