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संपादकीय

निजी अनुभवों की सांझ-7

उसे हर प्रकार के शोषण से लडऩे और उसे उजागर करने के लिए प्रेरित किया जाता, राष्ट्र के नितांत ईमानदार और राष्ट्रसेवी आचार्य उसके भीतर की छिपी हुई मानवीय शक्तियों और प्रतिभाओं को सही दिशा और दशा प्रदान करते तो यह राष्ट्र अब तक स्वर्ग सम बन गया होता। इसमें दो मत नही हो सकते। […]

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