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मनु और भारत की जातिवादी व्यवस्था

मनु और भारत की जातिवादी व्यवस्था

अध्याय 1 मानव धर्म और मनुस्मृति वैदिक धर्म में मनुस्मृति का विशेष और सम्मानजनक स्थान है । भारतीय साहित्य में मनुस्मृति का मनु संहिता , मानव धर्मशास्त्र, मानव शास्त्र जैसे कई नामों से भी उल्लेख किया गया है। यह प्राचीन काल से ही हमारे भारतीय साहित्य में सबसे अधिक चर्चित धर्मशास्त्र के रूप में मान्यता […]

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मनु की राजव्यवस्था

मनुवादी ताकतें और ब्राह्मण वादी व्यवस्था

देश की राजनीति में ‘ मनुवादी ताकतें ‘ और ‘ ब्राह्मणवादी व्यवस्था ‘ जैसे मुहावरे अक्सर चलते रहते हैं । देश के राजनीतिज्ञों के द्वारा यह मुहावरे अपनी – अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए प्रयोग किए जाते हैं । इनका उद्देश्य इस प्रकार के मुहावरों के माध्यम से अपना राजनीतिक लाभ प्राप्त करना होता […]

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संपादकीय

सिंगापुर से मिला नया संदेश

6 अगस्त 1945 की वह घटना है जब जापानी समय के अनुसार प्रात: के 8:15 हुए थे, तभी हिरोशिमा शहर के केंद्र से 580 मीटर की दूरी पर परमाणु बम का विस्फोट हुआ। शहर का 80 प्रतिशत भाग इस विस्फोट की चपेट में तुरंत आ गया था और लोगों का जीवन वैसे ही समाप्त हो […]

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संपादकीय

भारत में बच्चों की : दयनीय अवस्था

अब से लगभग तीन वर्ष पूर्व जब मैं राजस्थान के झालावाड़ जिले में प्रवास पर था तो वहां पर बच्चों के बारे में यह जानकर मुझे बहुत पीड़ा हुई कि बच्चों के अभिभावक ही उन्हें या तो पढऩे नहीं देते हैं या पढऩे से रोक लेते हैं। जिला बारां के एक विद्यालय के अध्यापक ओमप्रकाश […]

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संपादकीय

अन्याय, आरक्षण, आरक्षण विरोध: यह सब क्या है ?

देश में कुछ लोगों ने ऐसा परिवेश सृजित करने का कुत्सित प्रयास किया है कि देश का बहुसंख्यक समाज परस्पर एकता का प्रदर्शन न कर सके। ओवैसी ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के समय दलित और अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले अन्याय को उठाया, उससे ऐसा लगा कि जैसे अन्याय उन्हीं के साथ […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

भारत का कौन सा भाग कितनी देर परतंत्र या स्वतंत्र रहा

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग-206 एक शोधपूर्ण प्रशंसनीय ग्रंथ मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा ‘भारत हजारों वर्षों की पराधीनता एक औपनिवेशिक भ्रमजाल’ में बड़े शोधपूर्ण ढंग से हमें बताया गया है कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर मुस्लिम और ब्रिटिश शासन की अवधि कितने समय तक रही? इस सारणी को […]

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संपादकीय

आर्कबिशप की चिंता और भारत

आर्कबिशप रोमन कैथोलिक दिल्ली के अनिल कुटो द्वारा पादरियों को एक पत्र लिखा गया है। जिसमें आर्कबिशप ने देश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को अशांत और लोकतंत्र के लिए खतरा माना है। आर्कबिशप ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए दुआ मांगने की बात भी उक्त पत्र में कही है। उनका आशय है कि 2019 […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

विपक्ष की एकता या ‘होली का हुड़दंग’

अभी हाल ही में संपन्न हुए कुछ उपचुनाव में विपक्षी एकता का प्रतीक बना गठबंधन बाजी मार ले गया है और भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा है। यह चुनाव परिणाम चौंकाने वाले नहीं कहे जा सकते। इनको लेकर ऐसी ही आशा थी- इसलिए परिणाम आशानुरूप हैं। विपक्ष ने बड़ी सावधानी से अपनी चुनावी […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

कंपनी के प्रति शिवाजी महाराज की देशभक्ति पूर्ण नीति

कंपनी के अत्याचारों का वर्णन कंपनी भारत में केवल लूट मचाने और अपनी भूख मिटाने के लिए आयी थी। उसके पास भारत के विषय में कोई संस्कार नहीं था, कोई विचार नहीं था कोई उपचार नहीं था। डा. रसेल लिखता है-”ईस्ट इंडिया कंपनी के भारतीय शासन को आरंभ से ही जबरदस्त पापों ने रंग रखा […]

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संपादकीय

हिन्देशिया में प्रधानमंत्री श्री मोदी

भारत के श्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया सहित तीन देशों की यात्रा कर लौटे हैं। हम इस आलेख में उनकी इंडोनेशिया यात्रा पर ही केंद्रित रहेंगे। इंडोनेशिया का मूल नाम हिन्देशिया है। हमें इंग्लिश नाम पुकारने का चस्का सा लग गया है और जब तक राम को ‘रामा’ व कृष्ण को ‘कृष्णा’ या योग को […]

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