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पर्व – त्यौहार

भीष्म पितामह और क्रिसमस डे की वास्तविकता

क्या आप भी बोलते हैं हैप्पी क्रिसमस डे? क्या आप भी देते हैं बड़े दिन की बधाइयां? यदि हां तो जानिए इसकी वास्तविकता बड़ा दिन या बढ़ा दिन! क्या है इसका इतिहास? क्या यह जीसस से जुड़ा हुआ है? क्या यह santa-claus से जुड़ा हुआ है। क्या यह भीष्म पितामह से संबंध रखता है? महाभारत […]

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महात्मा कौन? गांधी या स्वामी श्रद्धानंद

अगर स्वामी श्रद्धानंद के हत्यारे अब्दुल राशिद को ~महात्मा~ गांधी अपना भाई कहते हैं, तो स्वामी श्रद्धानंद के समर्थक भी क्यों न गांधी के हत्यारे नाथुराम गोडसे को अपना भाई कहने लग जाएं?_ स्वामी श्रद्धानंद जी , लाला लाजपत राय जी और महात्मा हंसराज इन तीनो आर्य नेताओं ने धर्म परिवर्तन करने वाले हिन्दुओं को […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक संपत्ति : ऋषि, देवता, छन्द और स्वर

गतांक से आगे …. ऋषि के आगे देवता हैं । देवता के विषय में सर्वानुक्रमरगी में लिखा है कि ‘या तेनोच्यते सा देवता’ अर्थात् मंत्र में जिस विषय का वर्णन हो, वही विषय उस मंत्र का देवता है । यदि किसी मन्त्र का देवता अग्नि हो, तो समझना चाहिये कि इस मन्त्र में अग्नि का […]

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कविता

योग की संक्षिप्त में कविता के रूप में प्रस्तुति

सुप्रभातम। शुभ दिवस। योग की संक्षिप्त में कविता के रूप में प्रस्तुति । कविता। आप सदैव संपन्न ,प्रसन्न ,स्वस्थ रहें। ईश्वर से हम एक दूजे के लिए ऐसा कहें। हम सदैव ईश्वर की शरण में रहें कर्मफल मानकर सुख -दुख को सहैं। हताशा निराशा का ना हो बोझ। अवसाद का भी ना हो कहीं खोज। […]

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भारतीय संस्कृति

कहनी है एक बात हमें!!!!

युगों युगों से आर्य समाज ने समस्त भूमंडल को एवं भारत राष्ट्र को वैदिक शिक्षा प्रदान करते हुए मार्गदर्शन किया है। आर्य समाज की महत्वपूर्ण और अग्रणी भूमिका इस राष्ट्र की स्वतंत्रता प्राप्ति में भी रही है। यदि वेद की विद्या आर्यावर्त में और भारत राष्ट्र में विद्यमान न होती तो भारत कभी विश्व गुरु […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

1857 की क्रांति के महानायक धन सिंह कोतवाल जयंती पर विशेष आलेख

10 मई 1857 की प्रातः कालीन बेला। स्थान मेरठ । जिस वीर नायक ने इस पूरे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण एवं क्रांतिकारी भूमिका निभाई थी वह अमर शहीद धन सिंह चपराना कोतवाल निवासी ग्राम पाचली जनपद मेरठ के थे। क्रांति का प्रथम नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल। नारा – ‘मारो फिरंगियों को।’ मेरठ में ईस्ट इंडिया […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक संपत्ति : गतांक से आगे … प्रक्षेप और पुनरुक्ति

प्रक्षेप और पुनरुक्ति इसी प्रकार की बाह्य संस्कृत का नमूना अथर्ववेद में भी देखा जाता है। अथर्व काण्ड 19, सूक्त 22 और 23 में लिखा है कि- अङ्गिरसानामाद्यै: पञ्चानुवाकैः स्वाहा। आथर्वणानां चतु ऋचेभ्यः स्वाहा। अर्थात् अङ्गिरस वेद के पाँच अनुवाकों से स्वाहा और अथर्ववेद की चार ऋचाथों से स्वाहा । इन वाक्यों से प्रतीत होता […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : अध्याय – प्रक्षेप और पुनरुक्ति

अध्याय – प्रक्षेप और पुनरुक्ति गतांक से आगे … इसी तरह सामवेद का भी खिल-भाग अर्थात् परिशिष्ट भाग प्रसिद्ध है। सभी जानते हैं कि सामवेद की महा नाम्नी ऋचाएँ और आरण्यकभाग परिशिष्ट हैं। महानाम्नी ऋचाओं के विषय में ऐतरेय ब्राह्मण 22/2 में लिखा है कि ‘ ता ऊर्ध्वा सोम्नोऽभ्यसृजत । यदूर्ध्वा सोम्नोऽभ्यसृजत तत् सिमा अभवत् […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : प्रक्षेप और पुनरुक्ति

वैदिक सम्पत्ति प्रक्षेप और पुनरुक्ति गतांक से आगे ….. जहाँ तक हमको ज्ञात है, अब तक एक भी प्रमाण इस प्रकार का नहीं उपस्थित किया गया कि अमुक स्थल प्रक्षिप्त है और इसको आज तक कोई नहीं जानता था। जिन स्थानों को प्रक्षिप्त बतलाया जाता है, वे बहुत दिन से ब्राह्मणकाल से सबको ज्ञात हैं। […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति अध्याय – वेदों की शाखाएं गतांक से आगे …

गतांक से आगे … होमयस्त – 1/24 में लिखा है कि – हओमो तेम् चित् यिम् केरेसानीम् अप-क्षथ्रेम् निषधयत्, योरओस्ते क्षथ्रो काम्य यो दवत् नोइत में अपाम् आथ्रव अइविशतीश वेरेध्ये दंध्रदूव चरात्: होवीस्पे वरेधनाम् वगात् नी वीस्पे वरेधनाम् जनात्। होनयस्त 1 । 24 । अर्थात् जो केरेसेती बादशाही के कारण बड़ा ही मगरूर हो गया […]

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