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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : इतिहास, पशुहिंसा और अश्लीलता

गतांक से आगे ….. (3) वेदों में स्पष्ट उल्लेख है कि मांस जलानेवाली अग्नि यज्ञों में न प्रयुक्त होने पायें मांस जलानेवाली अग्नि बहुत करके चिताग्नि ही होती है । जब वेदों में चिता की अग्नि तक को यज्ञों में लाने का निषेध है, तब मनुष्यमास अथवा पशुमांस से यज्ञ करने की कैसे आज्ञा हो […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महाराणा प्रताप की 426 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर : हल्दीघाटी का युद्ध, महाराणा प्रताप और चेतक

आज है देश की आन बान और शान के प्रतीक महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि   हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध करने की योजना महाराणा प्रताप ने गोगुंदा के किले में रहते हुए बनाई थी। जब मेवाड़ और मुगलों के बीच संधि न हो पाई तो मानसिंह मुगलों की एक विशाल सेना लेकर महाराणा प्रताप पर […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

भारतवर्ष के हिन्दुओ!अपने पूर्वजों की शौर्य गाथाएं एक बार फिर से पढ़ लो।

सौभरि उवाचः :– *भारतवर्ष के हिन्दुओ!अपने पूर्वजों की शौर्य गाथाएं एक बार फिर से पढ़ लो। इन वीरों को पिछले 70 सालों से वामपंथी,सेक्यूलर और देशद्रोही इतिहासकार — ब्राह्मण,बाल्मीकि,खटीक,धोबी,बंजारे, रेबारी,गुर्जर,किराड़,राजपूत,बनिया,चंवर (जिनको कुछ मन्दबुद्धि लोग चमार कहते हैं),लोधा,कोली,नामदेव,तेली,कलाल, केवट,मौर्य और राजभर आदि जातियों में बाँट रहे हैं। 1– सन 622 से 634 तक तीर्थस्थली कबलेश्वर (काबा) […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : वेद मंत्रों के अर्थ,भाष्य और टिकाऍ

वैदिक सम्पत्ति वेद मंत्रों के अर्थ,भाष्य और टिकाऍ गतांक से आगे …. दोनों भाष्यकारों ने चारों परीक्षाओं का उपयोग नहीं किया, तथापि स्वामी दयानन्द का हेतु बड़ा पवित्र है । यद्यपि लोग कहते हैं कि उनसे संस्कृत व्याकरण की भूलें हुई हैं और उन्होंने वेदमन्त्रों का अर्थ भी बदल दिया, है, किन्तु इस बात में […]

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भारतीय संस्कृति

वैदिक सृष्टि संवत की वैज्ञानिकता और कालगणना

कल्पसंवत का प्रचलन अनुचित है। केवल सृष्टि संवत ही प्रामाणिक है। वेद उत्पत्ति संवत की अवधारणा गलत है। भारतवर्ष पर महर्षि दयानंद का इतना ऋण है कि हम सदियों तक नहीं चुका सकते। अगर मैं यह कहूं कि आर्य समाज के लोगों पर तो स्वामी दयानंद के विशेष ऋण हैं, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं […]

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भारतीय संस्कृति

वेद और वैदिक संस्कृति की विशिष्टता, भाग – 3

गतांक से आगे क्रमशः केवल वही साथी पढ़ें जो अपनी बुद्धि कौशल, ज्ञान बल , चातुर्य एवं तर्कशक्ति को समृद्ध करना चाहते हैं। वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ हैं। वेद अपौरुषेय हैं। वेदों में नदियों पहाड़ों राजाओं के नाम नहीं हैं। वेदों में राजाओं का कोई इतिहास नहीं है। वेदों में किसी भी राजा की […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : मण्डल, अध्याय और सूक्त आदि

गतांक से आगे … ऋषि, देवता आदि के आगे बढ़ते ही मन्त्रों पर दृष्टि पड़ती है और दिखलाई पड़ता है कि थोड़े – थोड़े मन्त्र एक -एक सूक्त अथवा अध्याय में और अनेक सूक्त अनेक मण्डलों में ग्रथित हैं । हम शाखाप्रकरण में लिख आये हैं कि यह काम आदिशाखा प्रचारकों ने ही किया है […]

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भारतीय संस्कृति

वेद और वैदिक संस्कृति की विशिष्टता ….. भाग – 2

वेदों की अलंकारिक भाषा का अनुचित अध्ययन, अनुशीलन, परिशीलन एवं विश्लेषण राजाओं और नदियों आदि के वर्णन जो वेद में आए हैं वह सभी अलंकारिक हैं। यथा वेदों में अनार्यों में वृत्र ,दनु ,सुश्न, शम्बर, बंगृद, बली, नमुचि, मृगय, अर्बुद प्रधान रूप से लिखे गए हैं। दनु के वंशीधर दानव थे जिनका कई स्थानों में […]

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भारतीय संस्कृति

वेद और वैदिक सृष्टि की विशिष्टता – भाग -१

वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ है। वेद अपौरुषेय है। वेदों में नदियों ,पहाड़ों, राजाओं के नाम नहीं है। वेदों में राजाओं का कोई इतिहास नहीं है। वेदों में किसी भी राजा की वंशावली नहीं है। वेदों की भाषा अलंकारिक है जिसको पुराणकारों ने वास्तविक संदर्भ और उचित में ना लेकर अनर्थ किया है और इतिहास […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति : मंडल, अध्याय और सूक्त आदि

मंडल, अध्याय और सूक्त आदि गतांक से आगे …. वेदों के छंद बड़े विचित्र हैं । प्रायः ऋग्वेद के मन्त्र जब पदपाठ अर्थात् सन्धिविच्छेद से पढ़े जाते हैं, तो शुद्ध प्रतीत होते हैं, पर जब ज्यों के त्यों संधि सहित पढ़े जाते हैं, तो घट बढ़ जाते हैं। इसी तरह यजुर्वेद अध्याय 40 के पर्यगाच्छुक्र० […]

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