राक्षसों के संहारक बनो शूर्पणखा का कार्य अनैतिक और अनुचित था। जिसके अनुचित और अनैतिक कार्य का सही फल लक्ष्मण जी ने उसे दे दिया था। इसके पश्चात अब वे परिस्थितियां बननी आरंभ हुईं जो उस कालखंड की ऐतिहासिक क्रांति का सूत्रपात करने वाली थीं। यह घटना राक्षस वंश के लिए ऐसी घटना सिद्ध हुई […]
श्रेणी: स्वर्णिम इतिहास
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा भगवान श्रीराम, अध्याय – 5 अब रामचंद्र जी पंचवटी की ओर चल पड़ते हैं, जहां जटायु से उनकी मुलाकात होती है। जटायु कोई पक्षी नहीं था, बल्कि यह एक मनुष्य था , जो कि राजा दशरथ का मित्र था। वह श्रीराम और लक्ष्मण जी और सीता जी से वैसा ही स्नेह […]
वनवास में भी पुरुषार्थ करते रहो भारत के विषय में मुसलमान लेखक वस्साफ ने अपने ग्रंथ “तारीख-ए-वस्साफ” में बहुत सुंदर कहा है – “सभी इतिहासवेत्ता यह मानते हैं कि भारतवर्ष भूमंडल का एक अति रमणीय और चित्ताकर्षक देश है। इसकी पावन पुनीत मिट्टी के रजकण वायु से भी अधिक हल्के और पवित्र हैं। इसकी वायु […]
किसी शायर ने क्या खूब कहा है :- कमजोर लोग ही शिकवा और शिकायत करते है। महान लोग तो हमेशा कर्म की वकालत करते है।। हमारे राष्ट्रनायक रामचंद्र जी महाराज के यहां शिकवा- शिकायत की कोई गुंजाइश नहीं थी। क्योंकि वह इतिहास निर्माण करने की किसी भी चुनौती से बचकर निकलने वाले नहीं थे। वह […]
सन 711ई. की बात है। अरब के पहले मुस्लिम आक्रमणकारी मुहम्मद बिन कासिम के आतंकवादियों ने मुल्तान विजय के बाद एक विशेष सम्प्रदाय हिन्दू के ऊपर गांवो शहरों में भीषण रक्तपात मचाया था। हजारों स्त्रियों की छातियाँ नोच डाली गयीं, इस कारण अपनी लाज बचाने के लिए हजारों सनातनी किशोरियां अपनी शील की रक्षा के […]
स्थितप्रज्ञ और दूसरे के मनोविज्ञान को समझने वाली भारत की राजकुमारियों के ऐसे शब्दों को सुनकर खलीफा क्रोध में पागल हो गया। उसे यह बहुत ही बुरा लगा कि वह जिस ‘भोजन’ को स्वयं ग्रहण करने की तैयारी कर रहा था उसे पहले ही उसका एक व्यक्ति जूठा कर चुका था। उसे लगा कि यदि […]
देशद्रोहियों ने खेला अपना खेल पर यह क्या ? रानी के साथ भी फिर एक बार वही काम हो गया जो अबसे पहले देशद्रोहियों ने राजा और उसकी सेना के साथ किया था । जब रानी इस प्रकार के शौर्य का प्रदर्शन कर रही थी तभी कतिपय देशद्रोहियों और विश्वासघातियों के अरब सेना से […]
राजस्थान के जोधपुर के राजवंश का विशेष महत्व है। इसमें कई ऐसे शासक हुए जिन्होंने अपने महान कार्यों से इतिहास में अपना विशिष्ट स्थान प्राप्त किया। इन्हीं में से राव मालदेव राठौड़ भी एक रहे हैं। जिनका जीवनकाल 1511 से 1562 ई0 तक माना जाता है। इनके पिता का नाम गांगा था। इनका जन्म 5 […]
यही कारण था कि अरब के सैनिक बड़ी नृशंसता और निर्दयता के साथ भारतीय सैनिकों की हत्या करते जा रहे थे। नरसंहार को भी इस्लाम की सेवा मानने वाले इन राक्षसों के लिए सोते हुए सैनिकों की हत्या करना भी आनन्द का विषय बन चुका था। जब नीचतापूर्ण कृत्य आनन्द का विषय बन जाए तब […]
गद्दारी और राजकुमार जयशाह का आपद्धर्म राजधानी में शत्रु के हमले के प्रति पूर्णतया सावधान होकर बैठे राजा दाहिर सेन अपने वीर सैनिकों के भरोसे शत्रु का सामना करने की तैयारियों में व्यस्त थे। उनके दिशा निर्देशों के अनुसार दोनों राजकुमारियां और राजपरिवार के अन्य सदस्य जनता के बीच जाकर जिस प्रकार देशभक्ति का परिवेश […]