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विशेष संपादकीय

मां की यादों को नमन

18 मार्च, अर्थात ‘उगता भारत’ परिवार की पूज्यनीया माताश्री श्रीमती सत्यवती आर्या जी की पुण्यतिथि, अर्थात बीते हुए कल की बातों को कुरेदने का दिन, अर्थात मां के साथ बीते हुए पलों को याद करने का दिन है। जब 18 मार्च 2006 को माताश्री गयीं थीं तो वह दिन जीवन भर के लिए गमगीन यादों […]

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विशेष संपादकीय

समाज के जागरूक लोग आगे आयें

वेदोअखिलोधर्ममूलम् (मनु. 2.6) अर्थात धर्म का आधार वेद है। यह मनुमहाराज ने कहा है। आगे मनु ने धर्म के लक्षण बताते हुए कहा- वेद:स्मृति सदाचार: स्वस्य च प्रियमात्मन:। एतच्चतुर्विधं प्राहु: साक्षात धर्मस्य लक्षणम्।। (मनु 2.12)अर्थात वेद, स्मृति, सदाचार और अपनी आत्मा के ज्ञान के अनुकूल आचरण ये चार धर्म के लक्षण हैं। तात्पर्य हुआ कि […]

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विशेष संपादकीय

सरस्वती का आध्यात्मिक रहस्य

उपनिषदों का मानना है कि जो पिण्ड में है वही विशाल रूप में ब्रह्मांड में है, और जो ब्रह्मांड में है वही सूक्ष्म रूप में पिण्ड में है। पिण्ड में आत्मा है तो ब्रह्मांड में परमात्मा है। हमारे ऋषि मुनियों ने जो ब्रह्मांड में देखा उसे पिण्ड में खोजा। उन्होंने प्राचीन काल में गंगा, यमुना […]

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विशेष संपादकीय

कर मन पे अधिकार ले….तेरा हो गया भजन

प्रात:काल में कानों में भजन की ये पंक्तियां सुनायी दीं। बड़ा अच्छा लगा। कितनी सरल सी बात है कि ऐ मानव तू अपने मन पर अधिकार कर ले, मन का स्वयं चेला मत बन, अपितु उसे अपना चेला बना ले। बस, हो गया तेरा भजन। भजन की इन पंक्तियां को सुनने से लगता है कि […]

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विशेष संपादकीय

फांसी पर सियासत गलत

देश की संप्रभुता की प्रतीक संसद पर हमला करने वाले अफजल गुरू को फांसी की सजा दे दी गयी है। देश की एकता और अखण्डता को चूर चूर करने का संकल्प लेने वाले आतंकी का अंतिम मुकाम फांसी ही था परंतु फिर भी हमारी न्यायपालिका ने दोषी को साक्ष्य और सुनवाई का पूर्ण अवसर प्रदान […]

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विशेष संपादकीय

राष्ट्रपति का देश को सही मार्गदर्शन

रायसीना हिल्स पर बैठे देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 64वें गणतंत्र दिवस की पूर्ण संध्या पर बड़े सारगर्भित ढंग से देश को संबोधित किया। उनके संबोधन में गंभीरता थी और देश में गिरते नैतिक मूल्यों के प्रति उनका दर्द साफ झलक रहा था। वास्तव में आज देश में राष्ट्र के सामने नैतिक […]

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विशेष संपादकीय

महाराणा का अपमान अब भी जारी है

  भारत के जीवंत इतिहास के जिन उज्ज्वल पृष्ठों को छल प्रपंचों का पाला मार गया उनमें महाराणा प्रताप का गौरवमयी व्यक्तित्व सर्वाधिक आहत हुआ है। मैथिलीशरण गुप्त ने कभी लिखा था- जिसको न निज गौरव न निज देश का अभिमान है, वह नर नही नर पशु निरा है और मृतक समान है। जब ये पंक्तियां […]

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विशेष संपादकीय

रेल किरायों में बढ़ोत्तरी अच्छी है….

नये वित्तवर्ष का रेल बजट पेश करने से पूर्व ही रेलमंत्री पवन बंसल ने सभी वर्गों के रेल किरायों में वृद्घि की है। 2014 के लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत यह बढ़ोत्तरी बहुत ही अर्थपूर्ण है। इसका एक अर्थ यह भी हो सकता है कि रेलमंत्री रेल बजट में किरायों में वृद्घि न करके जनता को […]

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विशेष संपादकीय

सहज और स्वाभाविक बनो

व्यावहारिक जीवन में हम किसी भी ऐसे बच्चे की बातों से अधिक प्रभावित होते हैं जो तोतली भाषा में अपनी बात को तुतला-तुतलाकर कहता है, किंतु कहता वही है जो कुछ उसकी नजरों में सच होता है, उसकी बातों की सहजता और स्वाभाविकता ही हमारे हृदय को प्रभावित करती है। स्वाभाविकता कहते ही उसको हैं […]

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विशेष संपादकीय

तभी होगा नववर्ष मंगलमय

जीवन नश्वर है, जिंदगी की भागदौड़ में यह फटाफट बीतता जा रहा है। कितने ही वसंत आये और चले गये। जीवन की रेलगाड़ी रफ्तार से सफर तय किये जा रही है। संसार के बहुत सारे लोग हैं जिन्हें अभी तक जीवन के गंतव्य का ध्यान नही है। अस्त-व्यस्त होकर जीवन जीने वाले ऐसे असंख्य लोगों […]

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