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विशेष संपादकीय

मानवाधिकारों के संरक्षण का सही स्वरूप

शिव संकल्पों से युक्त मन ही इदन्नमम् का सार्थक व्यवहार कर सकता है। जो ‘मेरे लिए नही’ कहना सीख गया वही तो परमार्थी बन गया, दूसरे के अधिकारों का प्रहरी बन गया। ऐसी भव्य नींव पर भव्य भारत की भव्य संस्कृति का भवन टिका है। इसीलिए तो मनु महाराज ने कहा है:-एतददेशेप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मन:।स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षेरन […]

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विशेष संपादकीय

बुराई को खण्डहर बना दो

विवाहों के समय हमारे समाज में फिजूलखर्ची बढ़ती ही जा रही है। डी.जे., बैंड, आतिशबाजी, अपेक्षा से अधिक लोगों को आमंत्रित करना आदि की बीमारी अपने अपने सामाजिक रूतबे को दिखाने के लिए वर पक्ष और कन्या पक्ष दोनों ही कर रहे हैं। सचमुच यह बीमारी अपेक्षा से अधिक बढ़ चुकी है। समाज के गंभीर […]

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विशेष संपादकीय

कर्नाटक ने दिखाया नाटक

कर्नाटक का चुनाव भाजपा के कलह की हार है और कांग्रेस भाजपा की विकल्पहीनता की स्थिति में चुन ली गयी है। कर्नाटक में कांग्रेस 120 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत प्राप्त करने में सफल रही है, कुल सीटों में से 40 सीटें जीतकर भाजपा को अपने अंतर्कलह का फल मिल गया है। प्रदेश की जनता ने […]

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विशेष संपादकीय

मनमोहन जी देखो, तुम्हें पूर्वज तुम्हारे देखते हैं स्वर्ग से

फिर एक हकीकत धार्मिक उन्माद के कारण फांसी चढ़ गया है। सरबजीत हमारे बीच नही हैं, अब उनकी शहादत की यादें हमारे बीच हैं, और बहुत देर तक रहेंगी। पंजाब सरकार ने आज के इस ‘हकीकत’ को ‘शहीद’ की उपाधि देने में कोई देर नही की। यह अच्छी बात हो सकती है, लेकिन शहीद की […]

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विशेष संपादकीय

सभ्य संसार की परिकल्पना

जिस प्रकार भौतिकवाद सभ्यता का उद्गम स्रोत होता है उसी प्रकार अध्यात्मवाद संस्कृति का उदगम स्रोत होता है। जिस समाज अथवा राष्ट्र में नैतिकता अथवा उच्च संस्कारों का अभाव होता है और अनैतिकता एवम तुच्छ संस्कारों का बोल बाला होता है, वहां संस्कृति नही होती वहां या तो पाशविकता होती है अथवा फिर जंगली राज्य। […]

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विशेष संपादकीय

मुशर्रफ को पाप फल मिल रहा है

महामति चाणक्य ने कहा है कि दुष्ट लोग मन की दुष्टता को छुपाए रखते हैं और केवल जीभ से अच्छी बातें करते हैं। मन से परपीड़न आदि के उपाय सोचते हैं और वाणी से परोपकार, देश-सेवा, साधुता आदि का बखान करते हैं। भारत के पड़ोस में एक ऐसा ही व्यक्ति परवेज मुशर्रफ के नाम से […]

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विशेष संपादकीय

मानव जीवन का उद्देश्य

स्वामी संकल्पानंद जी महाराज ने मानव जीवन के लक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए बड़ा सुंदर कहा है-श्रण्वन्तु विश्वे अमृतस्य पुत्रा: (ऋग्वेद 10-13-1) मानव जीवन अतीव, पवित्र एवं श्रेष्ठ है। मनुष्य कर्मयोगी है, इस कारण मानव जीवन पाकर मनुष्य ऋषि, पितर और देवपद भी पा सकता है और राक्षस पद भी। बस, यह बात कर्मयोगी के […]

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विशेष संपादकीय

ऐसे बढ़ते हैं अंधविश्वास

राजस्थान के सवाई माधोपुर में होली के पर्व पर एक ही परिवार के पांच सदस्यों ने जहरीला मादक पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। इस परिवार का मानना था कि शिव जी इस मादक पदार्थ से प्रसन्न होकर हमारे घर आएंगे और हमारी जान बचा लेंगे। लेकिन शिव तो नही आए, हां यमदूत अवश्य आ गये […]

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विशेष संपादकीय

होली का अर्थ और वैश्विक महत्व

वर्तमान सृष्टि संवत 1, 96, 08, 53, 113 का अंतिम पर्व होली देशवासियों के लिए मंगलमय हो। होली का ये पावन पर्व प्राचीन काल में नवान्नेष्टि पर्व के नाम से मनाया जाता था। नवान्नेष्टि की संधि विच्छेद करने से नव+अन्न+इष्टि ये तीन शब्द हमें प्राप्त होते हैं। इनका अभिप्राय है कि यह पर्व नये अन्न […]

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विशेष संपादकीय

बिना नीतीश सब सून

आज का बिहार नीतीश का बिहार है। यह सच है कि नीतीश के शासन काल में बिहार ने बहुत कुछ पाया है। लालू-राबड़ी के राज में बिहार ने जिस प्रकार अपने वैभव को गंवाया उसे नीतिश ने पुन: लौटाया है। इस बात को आम बिहारी ही नही पूरे देशवासियों के साथ नीतीश कुमार के विरोधी […]

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