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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान भाषा-1

आर्यसभ्यता का उज्जवल स्वरूपआर्यसभ्यता का उज्ज्वल स्वरूप तो आश्रमों में ही दिखलाई पड़ता है, जहां कि आर्यों का तीन चतुर्थांश भाग सादे और तपस्वी जीवन के साथ विचरता है और एकचतुर्थांश भाग उसी तीन चतुर्थांश भाग की सेवा में लगा रहता है। इसी तरह आर्य सभ्यता का आपत्कालिक रूप वर्णों में दिखलाई पड़ता है जो […]

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विशेष संपादकीय

कांग्रेस के कफन में कील ठोंकते दिग्विजय सिंह

कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह इस समय ‘अपेक्षाकृत शांत’ दीख रहे हैं। पूरा देश पांच राज्यों के चुनावों को जब 2014 के लोकसभा चुनावों का पूर्वाभ्यास मान रहा है और इन चुनावों में अपेक्षा से अधिक रूचि दिखा रहा है तब दिग्विजय सिंह का शांत रहना कई प्रश्न खड़े करता है।दिग्विजय सिंह कांग्रेस के बड़बोले […]

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विशेष संपादकीय

न्यायालय में अन्याय और शोषण

भारत में इस समय एक अनुमान के अनुसार 14735 कानून ऐसे हैं जो ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने भारतीयों पर शासन करने के लिए बनाये थे। 1857 की क्रांति असफल होते ही अंग्रेजों ने भारत में अपना दमनचक्र और भी क्रूरता से चलाना आरंभ कर दिया था। तब सन 1858 में महारानी विक्टोरिया ने ‘ईस्ट […]

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विशेष संपादकीय

भारत में लोकतंत्र और पत्रकारिता-धर्म

भारत में पत्रकारिता का इतिहास बड़ा ही गौरवपूर्ण रहा है। स्वतंत्रता संग्राम को पत्रकारिता ने नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया था। हमारे बहुत से बड़े नेता उस समय या तो अपना समाचार पत्र निकालते थे या समाचार पत्रों के लिए नियमित लिखते थे। उस लिखने का जनता पर बड़ा अच्छा प्रभाव पड़ता था। हमारे नेताओं की […]

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विशेष संपादकीय

पर्यावरण प्रदूषण बढ़ाता सभ्य मानव समाज

दीपावली का पर्व हजारों टन कार्बनडाईऑक्साइड पर्यावरण में घोलकर चला गया है। मैं प्रात:काल यज्ञ पर बच्चों को बता रहा था कि इस पर्व पर पटाखे छोड़ना मानव स्वास्थ्य के लिए और मानव समाज के लिए कितना घातक है? और उन्हें पटाखे क्यों नही छोड़ने चाहिए? बच्चों ने मेरी बात को ध्यान से सुना और […]

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विशेष संपादकीय

सीमा समझौता में चीन की चाल

जब नरेन्द्र मोदी देश में भाजपा की लहर को और भी प्रभावी बनाते घूम रहे हैं तो उस समय देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विश्व की दो बड़ी शक्तियों रूस और चीन के दौर पर रहे हैं। यह बड़े ही आश्चर्य का विषय है कि जब देश का वर्तमान पी.एम. विदेशी दौरे पर रहा और […]

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विशेष संपादकीय

मनुज धर्म और पशु

मैं प्रात:काल भ्रमण कर रहा था। मैंने देखा-सड़क के एक किनारे पर दो कुत्ते एक दूसरे के लिए गुर्रा रहे थे। कुछ ही क्षणों में एक कुत्ते ने सहम कर अपनी गर्दन नीची कर ली और अपनी पूंछ पिछली टांगों के बीच में दे ली। दूसरा बलशाली कुत्ता सहमे हुए कुत्ते के ‘आत्मसमर्पण’ के भाव […]

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विशेष संपादकीय

किसके लिए है जीवन का ये गीत

तानसेन बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे। एक दिन बादशाह ने अपने संगीतज्ञ नवरत्न के किसी गीत पर प्रसन्न होकर आखिर पूछ ही लिया-‘तानसेन! यदि तुम इतने प्रवीण हो अपनी कला के, तो तुम्हारे गुरूजी कितने होंगे? आखिर तुम हमें उनसे मिलाते क्यों नहीं?’ तानसेन ने बादशाह की इच्छा को समझते हुए कह […]

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विशेष संपादकीय

गौ-माता के प्रश्न को कल समय स्वयं हमसे पूछेगा

20 मई 1996 को तत्कालीन राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने संसद में जो भाषण दिया था उसके उस अंश पर ध्यान दिया जाना चाहिए था जिसमें उन्होंने भारतीय संविधान की धारा 51ए(जी) के इस प्राविधान का उल्लेख किया था कि भारत के प्रत्येक नागरिक का यह मौलिक कर्त्तव्य होगा कि वह वनों, झीलों, नदियों एवं वन्य […]

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विशेष संपादकीय

संस्कृति पर हमला हो चुका है

इस्लाम और ईसाइयत इन दोनों ने भारत में आकर इस देश की संस्कृति को मिटाने का हर संभव प्रयास किया। यदि वह क्रम बीते कल की बात हो गयी तो हम भी इसे ‘गड़े मुर्दे उखाड़ने’ की नीति मान कर छोड़ देते। किंतु दुर्भाग्य से यह क्रम आज भी थमा नही है। जो खबरें समाचार […]

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