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कविता

कविता — ऐ अफ़गानिस्तानी तालिबान

ए अफगानिस्तानी तालिबान। तू मान न मान । मैं तेरा मेहमान । मैं हूं पाकिस्तान। मुल्लाअब्दुल गनी बरादर। मुल्ला अखुंद ने किया निरादर। मुल्लाह बरादर को मारी गोली। फिर भी पाक तुर्की आदि की नजर में तालिबान की सूरत भोली। काबुल में गूंजा मुर्दाबाद पाकिस्तान। “मेरे अंगने में तुम्हारा क्या है काम” इस्लाम का है […]

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मां है शब्दातीत

मां है शब्दातीत संजय पंकज दुनिया भागमभाग है, दुनिया एक तनाव। दुनिया में ही माँ मिली,दुनिया भर की छाँव।। बिंब विशेषण व्यंजना, उपमाएँ लाचार। शब्द अकेला माँ बहुत, क्या कोई दरकार? गिरि जंगल सागर सड़क, सबका है सीमांत। माँ तो जैसे जल-पवन, भीड़ लिए एकांत।। एक देह में सिलसिला,देह देह बस देह। देहों के माँ […]

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सच्ची आजादी लाना है

सच्ची आजादी लाना है पुरखों की गौरव गाथा पर तुम यूं कब तक इतराओगे वीरों के बलिदानों पर यूं कब तक आंसू बहाओगे उठ चल अब तुमको लड़ना है दुष्टों के वक्ष पे चढ़ना है भगत सिंह,आजाद,गुरु सुखदेव तुम्हें बन जाना है सच्ची आजादी लाना है………. आजादी नन्ही कलियों की जो पंख पसारे क्षिति,नभ में […]

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मजहब के अनोखे खेल : इंसानियत के नाम पर हैवानियत धारण करता इंसान

  विनय कुमार’विनायक’     —विनय कुमार विनायक आज मजहब के नाम इंसानियत खो रहा इंसान, आज मजहब के नाम क्रूर कट्टर हो रहा इंसान! धर्म और मजहब अलग-अलग चीज है रे इंसान, धर्म वो जो धारण हो,मजहब दिखाते झूठी शान! धर्म वो जिसमें हिंसा नहीं, हो मानवता का ज्ञान, मजहब की आज हो गई […]

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अपनी कोख में पलती अम्मा

अग्नि कोख में पलती अम्मा ़ संजय पंकज   चूल्हा हो या हो घर आँगन सब में खटती जलती अम्मा ! धूप संग दिन रात उसी के जिसमें जलती गलती अम्मा ! खुली देहरी हवा बाहरी जब भी घर के प्रतिकूल गई असमय देख पसीने माथे अम्मा अपना दुख भूल गई बिस्तर से बिस्तर तक […]

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कविता पुस्तक समीक्षा

पुस्तक समीक्षा : स्वयं सिद्धा

पुस्तक समीक्षा : ‘स्वयं सिद्धा’   कोई भी कवि या साहित्यकार अपने आसपास घट रही घटनाओं के प्रति कभी भी निरपेक्ष या उदासीन नहीं रह सकता। सचमुच में वह कवि या लेखक हो ही नहीं सकता जो अपने चारों ओर घट रही घटनाओं के प्रति निरपेक्ष हो जाए। शांत हो जाए। मौन हो जाए। उदासीन […]

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योग हमारा

संजय पंकज जिसे साध कर जीवन चलता चल देता है रोग हमारा! साधक पुरखों का संवेदन जग का चंदन योग हमारा! जोड़ो जोड़ो का गायन है तो तोड़ो तोड़ो कारा भी; हमीं पूजते अंबर धरती चंदा सूरज ध्रुव तारा भी, शिव से चलकर मधुसूदन तक मानस का संयोग हमारा! योग नहीं बस मनुज मनुज को […]

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बुला लिया गुपकार ……

      देशविरोधी नाग सब हुए बड़े खूंखार। चरित्र भृष्ट सबके हुए बिगड़ गए संस्कार।। अनीति पथ पर चल रहे लोग कहें बदकार। समाज विरोधी हो गए देश से नहीं सहकार।। भारत के नाशहित रहा मार फुंकार। जहरीला ये नाग है गठबंधन गुपकार।। पाक चीन तुर्की मिले बुन रहे जंजाल । थपकी दें जल्लाद […]

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योग गहन संवेदना

दोहे संजय पंकज जीवन-वैभव योग है,तन मन का है श्लोक! शीतलता यह चांद की,सूरज का आलोक!! किया भगीरथ ध्यान तो,दिखा उसे कैलाश! जटा जूट में जोगिया, गंगा करे निवास!! हुआ भगीरथ की तरह, साधक एक महान! उसी पतंजलि ने किया, अटल योग संधान!! सात तहें आकाश की,सातों सुर के राग! महायोग की साधना,शीतल होती आग!! […]

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मांसाहार त्यागो ,…. शाकाहारी बनो

  कंद-मूल खाने वालों से मांसाहारी डरते थे। पोरस जैसे शूर-वीर को नमन सिकंदर करते थे॥ चौदह वर्षों तक खूंखारी वन में जिसका धाम था। राक्षसों का वध करने वाला शाकाहारी राम था॥ चक्र सुदर्शन धारी थे हर दुर्जन पर भारी थे। वैदिक धर्म पालन करने वाले कृष्ण शाकाहारी थे॥ शाकाहार के मन्त्र को महाराणा […]

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