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कविता

बुला लिया गुपकार ……

 

 

 

देशविरोधी नाग सब हुए बड़े खूंखार।
चरित्र भृष्ट सबके हुए बिगड़ गए संस्कार।।

अनीति पथ पर चल रहे लोग कहें बदकार।
समाज विरोधी हो गए देश से नहीं सहकार।।

भारत के नाशहित रहा मार फुंकार।
जहरीला ये नाग है गठबंधन गुपकार।।

पाक चीन तुर्की मिले बुन रहे जंजाल ।
थपकी दें जल्लाद को मति गई है मार ।।

भेज भेड़िए हिंद में करवा रहे संहार ।
राजनीति पथभ्रष्ट है रही इन्हें पुचकार ।।

देश धर्म को त्याग कर नेता करें पुकार।
मतिहीन सब हो गए देख लिए कई बार।।

हुकूमत सो गई मुँह छिपा हाकिम हुए बेहाल ।
भारत किस पर चित धरे किसे सुनाए हाल ।।

मोदी सब कुछ जानकर हुए धीर गंभीर।
दहशत में आतंक है, आतंकी भयभीत।।

बुला लिया गुपकार को पहुंचे दिल्ली आज।
महबूबा फारुख से लिया जाएगा ब्याज।।

राजधर्म को जानकर बुना गया है जाल।
नजर तेज है शेर की नजरिया बड़ा विशाल।।

‘देव’ कहे बन ‘देव’ तू कुचल नाग का फान।
संजोग बड़ा अनुकूल है मत चूके ‘चौहान’ ।।

देवेंद्र सिंह आर्य
चेयरमैन : उगता भारत

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