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कोसेगा इतिहास उन्हें …..

सच को सच नहीं कह पाते जमीरें बिकीं बाजारों में, कोसेगा इतिहास उन्हें नाम लिखेगा गद्दारों में। मिटा दिए सिंदूर बहुत से लाठी छीनी बापू की, बहन से भाई जुदा किए लाज लूट ली ममता की , मानवता हुई शर्मसार नहीं तनिक भी लज्जा की, पापों से धरती डोल गई कुछ कहने में भी शर्माती। […]

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गीता मेरे गीतों में, गीत संख्या ….13 कामनाओं का त्याग

कामनाओं का त्याग याचक नहीं उपासक बनकर जीवन को तुम जीना सीखो। दर्शक नहीं दृष्टा बनकर – जीवन की सब सामग्री भोगो ।। कृष्ण बोले – अर्जुन ! आज तेरा परम सौभाग्य उदय हुआ। योग में तेरी रूचि हुई, ऐसा सौभाग्य- किसे है प्राप्त हुआ।। तू नहीं पथिक एक जीवन का – न जाने कितने […]

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गीता मेरे गीतों में, गीत संख्या ….12 समत्व योग

समत्व योग समाधि अवस्था है वही जब बुद्धि टिके एक देश में, सुख दु:ख का भी ना बोध हो मन शान्त रहे क्लेश में, चेतना जुड़े ब्रह्म से,रमना छोड़ देती सांसारिक द्वेष में, कर्म योगी मगन रहता सदा उस ब्रह्मानंद विशेष में।। जब मन निष्काम हो गया तो बुद्धि में आये पवित्रता, सात्विकता की वृद्धि […]

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गीता मेरे गीतों में, गीत संख्या …. 12

समत्व योग समाधि अवस्था है वही जब बुद्धि टिके एक देश में, सुख दु:ख का भी ना बोध हो मन शान्त रहे क्लेश में, चेतना जुड़े ब्रह्म से,रमना छोड़ देती सांसारिक द्वेष में, कर्म योगी मगन रहता सदा उस ब्रह्मानंद विशेष में।। जब मन निष्काम हो गया तो बुद्धि में आये पवित्रता, सात्विकता की वृद्धि […]

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गीता मेरे गीतों में, गीत संख्या …11, कर्म की अनिवार्यता

गीता हमारे लिए एक ऐसा पवित्र ग्रंथ है, जिसमें वेदों और उपनिषदों का रस या सार निकाल कर रख दिया गया है। जीवन की ज्योति बुझने ना पाए और किसी भी ‘अर्जुन’ का ‘युद्ध’ को देखकर उत्साह ठंडा न पड़ने पाए, इसके लिए ‘गीता’ युगों-युगों तक मानव जाति का मार्गदर्शन करने की क्षमता रखती है। […]

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पुस्तक समीक्षा : झरने जज्बातों के ( गजल एवं कविता संग्रह)

‘झरने जज्बातों के’ पुस्तक गजल और कविताओं का संग्रह है, जिसके लेखक अमन लेखरा ‘अमन’ हैं। अमन जी ने अपनी यह पुस्तक उर्दू मिश्रित हिंदी में लिखी है। हिन्दी के लिए समर्पित होकर काम करने वाले कवि और लेखकों के लिए यही आज की काव्य शैली भी बन चुकी है। इसके साथ साथ पाठक भी […]

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गीता मेरे गीतों में, गीत संख्या …. 10 , क्षत्रिय धर्म का फल

क्षत्रिय धर्म का फल कोई दो हाथ लड्डू ले, बड़ा ही है कठिन जग में। कृष्ण जी दे रहे उपदेश – अर्जुन को यही रण में।। राष्ट्र की रक्षा होती है , वीर बलिदानी पुत्रों से । वीरांगना बहनों और प्रणवीर योद्धा क्षत्रियों से ।। देश भक्ति जहां होती , मिले आनन्द अर्पण में कृष्ण […]

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गीता मेरे गीतों में, गीत संख्या — 9, क्षत्रिय धर्म

क्षत्रिय – धर्म माधव बोले पार्थ सुन – क्षत्रिय धर्म आख्यान । राष्ट्रधर्म समाविष्ट है, इसके बनकर प्राण ।। क्षत्रिय धर्म सबसे बड़ा – इससे बड़ा न कोय। जो इसका पालन करे – वह ना कायर होय ।। क्षत्रिय क्षरण को रोकता – पतन से लेत उबार । दुर्बल का सहायक बने , करें दुष्ट […]

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गीता मेरे गीतों में….. गीत संख्या – 8, जीवात्मा है अमर

माधव समझाने लगे, अर्जुन को रण बीच। आत्मा अविनाशी अमर सीख सके तो सीख।। अविनाशी तलवार से कभी न काटा जाय । पानी से ना गल सके, आग से ना जल पाय।। अविनाशी के मारने की जो कहते बात। अज्ञानी वे हैं निरे ना समझें गहरी बात।। मर नहीं सकता आत्मा और न मारा जाय […]

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गीता गीता मेरे गीतों में, गीत संख्या — 7, शरीर की अनित्यता

शरीर की अनित्यता माधव बोले- पार्थ ! बिना लड़े शत्रु को क्यों गर्वित करता है ? तू धर्म धुरीण धनुर्धर होकर क्यों धर्म – ध्वजा झुकने देता है ? मां का पावन पयपान किया है -उसे ना अपयश का पात्र बना, हे अर्जुन ! कायर बनकर शत्रु को तू क्यों उत्साहित करता है ? जितने […]

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