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कविता

गीता मेरे गीतों में, गीत संख्या …. 10 , क्षत्रिय धर्म का फल

क्षत्रिय धर्म का फल

कोई दो हाथ लड्डू ले, बड़ा ही है कठिन जग में।
कृष्ण जी दे रहे उपदेश – अर्जुन को यही रण में।।

राष्ट्र की रक्षा होती है , वीर बलिदानी पुत्रों से ।
वीरांगना बहनों और प्रणवीर योद्धा क्षत्रियों से ।।
देश भक्ति जहां होती , मिले आनन्द अर्पण में
कृष्ण जी दे रहे उपदेश – अर्जुन को यही रण में ….1

यौवन देश को देना – वीर का काम होता है।
नमन इतिहास करता है, जगत में नाम होता है।।
खुशी के फूल खिलते हैं , छाये मधुमास जीवन में ..
कृष्ण जी दे रहे उपदेश – अर्जुन को यही रण में . .. .2

जो बलिदान होते हैं – जगत में यश मान पाते हैं।
जीते जी भी पाते हैं – मरण के बाद पाते हैं ।।
ले दो हाथ में लड्डू , लड़ा करते हैं वे रण में …..
कृष्ण जी दे रहे उपदेश – अर्जुन को यही रण में….3

युद्ध करते जो मरते हैं स्वर्ग के हैं वे अधिकारी।
जो युद्ध में जीत जाते हैं , भोगते राज बलकारी ।।
निश्चय युद्ध का कर ले- मिटा दे संशय जो मन में …. 4
कृष्ण जी दे रहे उपदेश – अर्जुन को यही रण में …

डॉ राकेश कुमार आर्य

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