कश्मीर की तत्कालीन परिस्थितियां वास्तव में यह इतिहास का वह दौर था जब मुस्लिम शासकों को कश्मीर की जनता पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए कुछ ऐसे हाथों की आवश्यकता थी जो उनके लिए काम करते हों और जनता को बड़ी सावधानी से बहला-फुसलाकर इस्लाम के झंडे के नीचे लाकर उनके प्रति निष्ठावान बनाने […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
डॉ मनमोहन वैद्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना को वर्ष 2025 में 100 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं. 1925 में नागपुर में संघ स्थापना हुई थी. इस घटना को इस वर्ष 2022 की विजयादशमी को 97 वर्ष पूर्ण होंगे. संघ का कार्य किसी की कृपा से नहीं, केवल संघ के कार्यकर्ताओं के परिश्रम, त्याग, बलिदान […]
अकबर के समय के इतिहास लेखक अहमद यादगार ने लिखा- “बैरम खाँ ने निहत्थे और बुरी तरह घायल हिन्दू राजा हेमू के हाथ पैर बाँध दिये और उसे नौजवान शहजादे के पास ले गया और बोला, आप अपने पवित्र हाथों से इस काफिर का कत्ल कर दें और”गाज़ी”की उपाधि कुबूल करें और शहजादे ने उसका […]
प्रियांशु सेठ सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी राजाओं की सन्तान ही राजपूत लोग हैं। मेवाड़ के शासनकर्त्ता सूर्यवंशी राजपूत हैं। ये लोग सिसोंदिया कहलाते हैं; जो श्रीरामचन्द्र जी के पुत्र लव की सन्तान हैं। वाल्मीकि रामायण में आया है कि श्रीराम जी ने अपने अन्तिम समय लव को दक्षिण कौशल और कुश को उत्तरीय कौशल का राज्य […]
शाहमीर के शासन काल से ही मुस्लिमों के लिए कश्मीर को सुरक्षित बनाने की प्रक्रिया आरंभ हो गई। कहने का अभिप्राय है कि भविष्य की धारा 370 और उससे उपजी जटिलताओं का श्रीगणेश इसी काल में हुआ। इसके शासनकाल में एक नहीं अनेक विदेशी मुस्लिम बड़ी सहजता से कश्मीर में प्रवेश पाने में सफल हो […]
खिलाफत आंदोलन के नाम पर हिन्दुओं के नरसंहार को भूलकर आजादी के आंदोलन का हिस्सा बताना गांधी जी की गलती को दोहराना है । 1919 से 1924 का वह कालखंड जिसमें भारत के मुसलमान ब्रिटेन का विरोध इसलिए कर रहे थे की तुर्की में खलीफा की सत्ता को विस्थापित न किया जाए । खलीफा मुस्लिम […]
1857 की क्रांति के महानायक धन सिंह कोतवाल और उनके क्रांतिकारी साथी एवं महर्षि दयानंद का विजय सिंह पथिक व अन्य सेनानियों का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में योगदान । 10 मई 1857 की प्रातः कालीन बेला। स्थान मेरठ । जिस वीर नायक ने इस पूरे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण एवं क्रांतिकारी भूमिका निभाई थी वह […]
14 फरवरी 1483 को बाबर का जन्म हुआ। जो दिनांक 17 नवंबर 1525 ई0 को पांचवीं बार सिंध के रास्ते से भारत आया था। जिसने 27 अप्रैल 1526 को दिल्ली की बादशाहत कायम की। 29 जनवरी 1528 को राणा सांगा से चंदेरी का किला जीत लिया। लेकिन 4 वर्ष पश्चात ही दिनांक 30 दिसंबर 1530 […]
सन् 1855 ई. में स्वामी जी फर्रूखाबाद पहुंचे। वहॉं से कानपुर गये और लगभग पॉंच महीनों तक कानपुर और इलाहाबाद के बीच लोगों को जाग्रत करने का कार्य करते रहे। यहॉं से वे मिर्जापुर गए और लगभग एक माह तक आशील जी के मन्दिर में रहे। वहॉं से काशी जाकर में कुछ समय तक रहे.स्वामीजी […]
बहादुर शाह ज़फर (1775-1862) भारत में मुग़ल साम्राज्य के आखिरी शहंशाह, और उर्दू के जानेे-माने शायर थे। उन्होंने 1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व तो किया मगर काफी हील हुज्जत के बाद ,क्योंकि तब तक उनको बुढ़ापा आ चुका था ,उनका उत्साह पुराना हो चुका था। युद्ध में हार के […]