• पंडित आत्माराम अमृतसरी पंडित और विद्वान् शब्द का व्यावहारिक लक्षण यह है कि जो अपने बराबर के पंडित को मूर्ख और अपने से बढ़िया पंडित को उन्मत्त बतलाये। विद्वानों के हृदय फट जाते हैं और पंडितों की आंखें लाल हो जाती हैं जब वे अपने सामने किसी और पंडित के सम्बन्ध में प्रशंसा के […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
◆ ऐतिहासिक भूल के सौ साल: जब गांधीजी “खिलाफत आंदोलन” चला रहे थे तब तुर्क उसे खत्म करना चाह रहे थे… [आज से ठीक 104 वर्ष पहले खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई थी। महात्मा गाँधी ने मुसलमानों के निजी आंदोलन को भारत के स्वाधीनता संग्राम के साथ जबरन यह सोच कर नत्थी कर दिया था […]
-डॉ. सौरभ मालवी विगत एक दशक से देशभर में भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण का स्वर्णिम युग चल रहा है। उत्तर प्रदेश सहित देशभर में सांस्कृतिक, धार्मिक एवं सामाजिक कार्य तीव्र गति से चल रहे हैं। भारतीय संस्कृति का विश्वुभर में प्रचार-प्रसार हो रहा है। यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी […]
#डॉविवेकआर्य प्रत्येक वर्ष की भांति दशहरे का त्योहार आ गया। सब लोग विशेष रूप से रावण के जलने का इंतजार कर रहे हैं। सभी मर्यादा पुरुषोतम श्री रामचन्द्र जी महाराज को याद करते है कि किस प्रकार से उन्होंने राक्षस रावण का वध कर धरती को पापी से मुक्त किया था। आज उनके उस पवित्र […]
आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी यह स्थान छपिया के भेटियां गांव की झाड़ियों में है। भेटिया का हिंदी अर्थ भेंट उपहार या नजर लाने वाला होता है। चूंकि यहां खेत से निकला सारा धान अपने बचनानुसार मोती मामा ने फसल बचाने के एवज में अपने भांजे घनश्याम बाल प्रभु को दान में भेंट कर दिया था। […]
कुम्भलगढ़ का दुर्ग भारत के गौरवशाली इतिहास को अपने अंक में समाहित करने वाले महान् किलों में से एक है। इसका गौरवशाली इतिहास भारत के स्वर्णिम इतिहास एक उज्ज्वल पृष्ठ है। विदेशी तुर्क आक्रमणकारियों से भारत की स्वाधीनता के लिए संघर्ष करने की कहानी की साक्षी देता यह किला राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित […]
#श्री_राम के जीवन की ये घटना आपकी आंखें खोल सकती है एक बार अवश्य पढ़ना` वनवास के समय एक राक्षस विराध जंगलों में आग लगाता हुआ पशुयों व मनुष्यो को खाता हुआ आगे बढ़ रहा था , वन में श्री राम से टकरा जाता है और कहता है यदि जीवन चाहिये तो स्त्री और अस्त्र-शस्त्र […]
======== प्रत्येक वर्ष भारत व देशान्तरों में जहां भारतीय रहते हैं, आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा पर्व मनाते हैं। इस पर्व से यह घटना जोड़ी जाती है कि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने अधर्म के पर्याय लंका के राजा रावण का वध किया था। क्या यह तिथि वस्तुतः रावण वध की […]
हमारे यहां दीपावली का पर्व सृष्टि के प्रारंभ से ही मनाया जाता रहा है। इस पर्व का विशेष महत्व है। दीपों का यह प्रकाश पर्व हमारे अंत: करण में व्याप्त अज्ञान अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश करने का प्रतीक पर्व है। हमारे यहां पर प्रत्येक सद्गृहस्थ के लिए आवश्यक था कि घर में अग्नि […]
– इस लेख में नोआखली दंगे की बात आई है तो आपके मन में ज़रूर सवाल उठ रहा होगा कि वहाँ क्या हुआ था। आज ये जगह बांग्लादेश में है, लेकिन अक्टूबर 1946 में यहीं पर हिन्दुओं का भयंकर कत्लेआम किया गया था। इसे भारत के विभाजन के लिए हुई हिन्दू विरोधी हिंसा की शुरुआत […]