Categories
इतिहास के पन्नों से

भारत’ शब्द* *का उदय और वास्तविक भावार्थ*

* Dr D K Garg यह तो आप स्वीकार करते है की भारत देश अतीत में सोने की चिड़िया और विश्व गुरु के नाम से जाना जाता था। हमारे ऋषि मुनियों को ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में जैसे कि विज्ञान , अध्यात्म ,चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु माना गया। चाणक्य, आर्यभट्ट, शुश्रुत,चरक, […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

क्या हिन्दू शब्द मुस्लिम लाये थे ?

(नोट -कुछ दिनों पहले हैदराबाद निवासी हमारे प्रबुद्ध पाठक श्री विजय रेड्डी जी ने पूछा था कि क्या यहाँ के लोगों का हिन्दू नाम मुस्लिम हमलावरों ने रखा था ?उनको उत्तर केलिए हम अपने पुराने लेखों के अंश लेकर यह लेख दे रहे ,रेड्डी जी ” हिन्दू स्वराज्य स्वातंत्र्य महोद्यम ” नामकी संस्था के अध्यक्ष […]

Categories
इतिहास के पन्नों से संपादकीय

देश विभाजन और सावरकर, अध्याय 8 ( क ) वंदेमातरम् और सुरासुर संग्राम

देश के प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान से यह अपेक्षा की जाती है कि वह राष्ट्र के मूल्यों को जीवंत बनाए रखने के लिए उनके प्रति समर्पण का भाव दिखाएं और अपने विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने वाली बंधुता को बढ़ाने का हर संभव प्रयास करें। ऐसे प्रयासों में किसी भी प्रकार की […]

Categories
इतिहास के पन्नों से संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर , अध्याय 6 ( ख ) सावरकर जी का हिंदुत्व

उपरोक्त लेखक हिमांशु की मान्यता है कि मुसलमानों की इस प्रकार की भारत विरोधी सोच को समझकर ही सावरकर जी जैसे नेताओं ने अपनी लेखनी को पैना किया था। उन्होंने देशवासियों का जागरण करते हुए ‘हिंदुत्व’ जैसी पुस्तक की रचना की। इसके बारे में उपरोक्त गांधीवादी लेखक महोदय लिखते हैं कि ‘भारत को हिंदू राष्ट्र […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

भारतीय इतिहास का एक रहस्य पानीपत का युद्ध – १७६१

लेखक – स्वामी ओमानंद सरस्वती, गुरुकुल झज्जर १४ जनवरी १९६१ को पानीपत के प्रसिद्ध युद्ध को, जो मराठों और अहमदशाह अब्दाली के मध्य हुआ, पूरे २०० वर्ष हो गये। पंजाब सरकार के माननीय राज्यपाल श्री नरहरि विष्णु गाडगिल ने घोषणा की है कि “पानीपत के युद्ध की द्वितीय शताब्दी इस वर्ष मनाई जायेगी तथा इस […]

Categories
इतिहास के पन्नों से संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर , अध्याय 6 ( क ) वीर सावरकर का हिंदुत्व

कांग्रेस या तो इस्लाम के फंडामेंटलिज्म के प्रति जानबूझकर आंखें मूंदे रही या उसकी समझ में इस्लाम के फंडामेंटलिज्म का सच आया नहीं। ऐसा भी हो सकता है कि कांग्रेस पर ब्रिटिश सरकार का भी यही दबाव रहा हो कि वह मुस्लिम लीग के साथ मिलकर चले। कुछ भी हो सच यही है कि कांग्रेस […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

वीरभूमि पाटलिपुत्र मगध के भौगोलिक एवं ऐतिहासिक घटनाक्रमों का वास्तुशास्त्रीय विवेचन

रामेन्द्र पाण्डेय राज्यों के उत्थान एवं पतन के वर्णन से इतिहास के पन्ने भरे पड़े हैं जिनमें कुछ पन्ने इतिहास के गौरवशाली अतीत की याद दिलाते हैं। मगध का इतिहास भी भारतवर्ष के लिए गौरवमयी रहा है। मगध के उत्थान एवं पतन दोनों ने भारतवर्ष के राजनैतिक, सामाजिक जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

क्या ब्रिटिश-पूर्व भारत के मंदिर प्रधान शैक्षिक संस्थान थे?

सौजन्य : सुभाष काक / स्वराज्य पत्रिका प्राचीन भारतीय मंदिर मानव जाति की कुछ सबसे बड़ी कलात्मक उपलब्धियाँ हैं, जिन्हें दुनियाभर में माना जाता है, लेकिन उनके इतिहास को समझने के लिए पर्याप्त अनुसंधान नहीं किया गया है। वर्तमान की अनिश्चितता और भ्रम के माध्यम से खोज, अतीत का ज्ञान रोशनी प्रदान करता है, जिसके […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

कश्मीर के कृष्णभक्त कवि: परमानंद

डा० शिबन कृष्ण रैणा {’सुदामा-चरित’ परमान्द की प्रसिद्ध रचना है और इस में वर्णित यह पद (पंक्तियाँ) आज तक मुझे याद हैं।श्रीकृष्ण जन्म-प्रसंग को कवि ने यों वर्णित किया है: “गटिमंज गाशाव चान्ये ज्यनय जय जय जय दीवकी नंदनय।” (तेरे जन्म लेने पर अंधकार प्रकाश में बदल गया। हे दवकी-नंदन! तेरी जय-जयकार हो।) परमानन्द की […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

पंजाब के अमृतसर शहर के संस्थापक गुरु रामदास

अनन्या मिश्रा भारतीय संस्कृति में गुरुओं को हमेशा भगवान से ऊंचा दर्जा दिया गया है। बता दें कि आज ही के दिन यानी की 1 सितंबर को अमृतसर शहर के संस्थापक और सिखों के चौथे गुरु, गुरु राम दास का निधन हो गया था। उन्होंने ही अमृतसर शहर की स्थापना की थी। आइए जानते हैं […]

Exit mobile version