6 अप्रैल/बलिदान-दिवस पूरे संसार को ‘दारुल इस्लाम’ बनाने का दुःस्वप्न देखने वाले कट्टरपंथी प्रायः अन्य धर्मावलंबियों की भावनाओं का अनादर कर अपनी संकीर्णता का परिचय देते रहते हैं। 1920 में लाहौर में कुछ मुसलमानों ने दो पुस्तकें प्रकाशित कीं। ‘कृष्ण तेरी गीता जलानी पड़ेगी’ में श्रीकृष्ण को चरित्रहीन बताते हुए उन पर भद्दी टिप्पणियां […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
बिजनौर जनपद में साधारण से दिखने वाले निहाल सिंह सरकारी चौकीदार थे। आपकी अनेक स्थानों पर बदली होती रहती थी। एक बार एक बड़े कस्बें में आपका तबादला हुआ। रात को पहरा देते हुए आप कहते थे “पांच हजार साल से सोने वालो जागो”। आपकी आवाज सुनकर लोग आश्चर्य में पड़ गए क्यूंकि उन्हें […]
नीरा आर्या भारत के क्रांतिकारी आंदोलन की एक ऐसी महान शख्सियत है जिन्होंने अपने अद्भुत व्यक्तित्व और कृतित्व से क्रांतिकारी आंदोलन को सहायता और बल प्रदान किया। भारत के क्रांतिकारी आंदोलन से नफरत करने वाले कम्युनिस्ट और कांग्रेसी मानसिकता के इतिहासकारों ने इस महान देशभक्त नारी कोई इतिहास में उचित स्थान नहीं दिया है। […]
सातवीं शती ईसवी (सन् 622) में नवस्थापित इस्लाम की आँधी ने अरब का उसके अतीत से संबंध बिलकुल ही विच्छेद कर दिया। अतीत से जोड़नेवाली हर कड़ी तोड़ डाली गयी। अपने नये धर्म के निर्माण के लिए पुराना ढाँचा (हिंदू-धर्म) गिराना आवश्यक समझकर मुहम्मद साहब (570-632) ने अपने अनुयायियों को सभी प्रतीकों, चिह्नों को […]
अजीब लगता है जबकि भारत में सिकंदर को महान कहा जाता है और उस पर गीत लिखे जाते हैं। उस पर तो फिल्में भी बनी हैं जिसमें उसे महान बताया गया और एक कहावत भी निर्मित हो गई है- ‘जो जीता वही सिकंदर’। यह कहानी है 2000 वर्ष पुरानी। तब भारत में सबसे शक्तिशाली […]
शक और शाक्य दोनों में फर्क है। बौद्ध पाठ्यों में शाक्य मुख्यत: गौतम गोत्र के क्षत्रिय बताए गए हैं। शाक्यों का हिमालय की तराई में एक प्राचीन राज्य था, जिसकी राजधानी कपिलवस्तु थी, जो अब नेपाल में है। शाक्य प्रथम शताब्दी ई.पू में प्राचीन भारत का एक जनपद था। हम यहां शाक्य की बात […]
लोहारू 1947 से पहले एक मुस्लिम रियासत थी। रियासत का नवाब मतान्ध मुस्लिम था। आर्यसमाज का जब प्रचार कार्य लोहारू में आरम्भ हुआ तो मुस्लिम नवाब को यह असहनीय हो गया कि आर्यसमाज उसके रहते कैसे समाज सुधार करने की सोच कैसे सकता है। लोहारू में समाज सुधार के लिए आर्यसमाज की स्थापना हेतु आर्यसमाज […]
अब अनेकों शोध पत्रों से यह बात पूर्णत: सिद्ध हो चुकी है कि अरब का मूल स्वरूप वैदिक रहा है । मोहम्मद साहब ने अपने जीवन काल में जब इस्लाम की स्थापना की तो उन्होंने अरब के पुराने हिन्दू स्वरूप को मिटाने का आदेश दिया। जिससे वे प्रतीक समाप्त करने की प्रक्रिया आरम्भ हुई […]
सुखी भारती श्री गुरु अर्जुन देव जी की शहीदी के पश्चात श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने देश−धर्म की रक्षा हेतु दो तलवारें मीरी−पीरी धरण की। उनकी मीरी की तलवार मुगलों के संग टकराई उन्होंने जालिमों को यह बता दिया कि अगर हमें शांति से नहीं रहने दिया जाएगा तो हमें तलवार उठाने में […]
सुभाष काक प्राचीन भारतीय मंदिर मानव जाति की कुछ सबसे बड़ी कलात्मक उपलब्धियाँ हैं, जिन्हें दुनियाभर में माना जाता है, लेकिन उनके इतिहास को समझने के लिए पर्याप्त अनुसंधान नहीं किया गया है। वर्तमान की अनिश्चितता और भ्रम के माध्यम से खोज, अतीत का ज्ञान रोशनी प्रदान करता है, जिसके कारण इतिहास का अध्ययन […]