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इतिहास के पन्नों से

वीर खाज्या और दौलत सिंह नायक

11 अप्रैल/बलिदान-दिवस खाज्या नायक अंग्रेजों की भील पल्टन में एक सामान्य सिपाही थे। उन्हें सेंधवा-जामली चैकी से सिरपुर चैक तक के 24 मील लम्बे मार्ग की निगरानी का काम सौंपा गया था। खाज्या ने 1831 से 1851 तक इस काम को पूर्ण निष्ठा से किया। एक बार गश्त के दौरान उन्होंने एक व्यक्ति को यात्रियों […]

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स्वामी वेदानंद तीर्थ : जीवनी के रोचक प्रसंग

🌺🍂स्वामी वेदानंद तीर्थ -, जीवनी के रोचक प्रसंग🍂🌺 चुने हुए वेद मंत्रों के संग्रह ” स्वाध्याय संदोह ” के लैखक स्वामी वेदानंद तीर्थ की संन्यास दीक्षा और वैदिक शिक्षा वाराणसी नगर में हुई। एक दिन वह महाभाष्य‌ के विद्वान श्री पण्डित तिवाड़ी जी की पीठिका से अपने निवास स्थान की ओर जा रहे थे कि […]

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भारत की दो वीरांगना बेटियां बेला और कल्याणी

“बेला और कल्याणी” *भारत की दो वीरांगना बेटियाँ बेला और कल्याणी कौन थी … .. बेला तो पृथ्वीराज चौहान की बेटी थी और कल्याणी जयचंद की पौत्री। मुहम्मद गोरी हमारे देश को लूटकर जब अपने वतन गया तो गजनी के सर्वोच्च काजी व गोरी के गुरु निजामुल्क ने मोहम्मद गौरी का अपने महल में स्वागत […]

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आजादी के बाद देश को 7 प्रधानमंत्री देने वाली कांग्रेस पार्टी का इतिहास

  भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों में शुमार कांग्रेस का गठन 28 दिसंबर 1885 को हुआ था। इसकी स्थापना अंग्रेज एओ ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य) ने की थी। दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा भी संस्थापकों में शामिल थे। संगठन का पहला अध्यक्ष व्योमेशचंद्र बनर्जी को बनाया गया था। उस समय कांग्रेस के […]

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बंकिमचंद्र चटर्जी की मजबूत लेखनी ने वंदे मातरम के माध्यम से दी थी स्वाधीनता संग्राम को अद्भुत शक्ति

  मृत्युंजय दीक्षित बंकिम चंद्र ने कुल 15 उपन्यास लिखे। इनमें से आनंदमठ, दुर्गेश नंदिनी, कपालकुंडला, मृणालिनी, चंद्रशेखर तथ राजसिंह आज भी लोकप्रिय हैं। आनंदमठ देवी चौधरानी तथा सीताराम पुस्तकों में उस समय की परिस्थिति का चित्रण है। वे बड़े ही सजग लेखक थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम को वंदेमातरम मंत्र ने अद्भुत शक्ति प्रदान […]

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महान क्रांतिकारी मंगल पांडे का बलिदान

8 अप्रैल/बलिदान-दिवस मंगल पाण्डे का बलिदान अंग्रेजी शासन के विरुद्ध चले लम्बे संग्राम का बिगुल बजाने वाले पहले क्रान्तिवीर मंगल पांडे का जन्म 30 जनवरी, 1831 को ग्राम नगवा (बलिया, उत्तर प्रदेश) में हुआ था। कुछ लोग इनका जन्म ग्राम सहरपुर (जिला साकेत, उ0प्र0) तथा जन्मतिथि 19 जुलाई, 1927 भी मानते हैं। युवावस्था में ही […]

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पी0 एन0 ओक महोदय की दृष्टि में क्या है ताजमहल का सच ?

  भारतवर्ष में हिंदू राजाओं, सम्राटों या शासकों के द्वारा बनाए गए ऐसे अनेकों ऐतिहासिक राजभवन किले हैं जिन्हें मुस्लिम शासकों द्वारा अपने शासनकाल में जबरन कब्जा कर लिया गया और उन पर अपना नाम अंकित करा दिया गया या इतिहास में यह लिखा दिया गया कि यह एक ऐतिहासिक भवन या इमारत अमुक मुस्लिम […]

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महात्मा प्रभु आश्रित का आदर्श जीवन और उनके कुछ प्रेरक विचार

ओ३म् ============ महात्मा प्रभु आश्रित जी आर्यसमाज के उच्च कोटि के साधक व वैदिक विचारधारा मुख्यतः अध्यात्म एवं यज्ञादि के प्रचारक थे। उनका जन्म 13 फरवरी, 1887 को जिला मुजफ्फरगढ़ (पाकिस्तान) के जतोई नामक ग्राम में श्री दौलतराम जी के यहां हुआ था। महात्मा जी के ब्रह्मचर्य आश्रम का नाम श्री टेकचन्द था। वानप्रस्थ आश्रम […]

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1857 की अप्रतिम योद्धा बेगम हजरत महल

7 अप्रैल/पुण्य-तिथि   1857 के स्वाधीनता संग्राम में जो महिलाएं पुरुषों से भी अधिक सक्रिय रहीं, उनमें बेगम हजरत महल का नाम उल्लेखनीय है। मुगलों के कमजोर होने पर कई छोटी रियासतें स्वतन्त्र हो गयीं। अवध भी उनमें से एक थी। श्रीराम के भाई लक्ष्मण के नाम पर बसा लखनऊ नगर अवध की राजधानी था। […]

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मैक्स मूलर के विचार परिवर्तन में महर्षि दयानंद का प्रभाव

मैक्समूलर के कुछ पत्र अपनी पत्नी, पुत्र आदि के नाम लिखे हुए उपलब्ध हुए हैं। पत्र-लेखक पत्रों में अपने हृदय के भाव बिना किसी लाग-लपेट के लिखता है। अतः किसी भी व्यक्ति के लिखे हुए ग्रन्थों की अपेक्षा उसके पत्रों में लिखे विचार अधिक प्रामाणिक माने जाते हैं। प्रारम्भिक विचार- मैक्समूलर के आरम्भिक काल में […]

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