भारत के क्षत्रिय धर्म के बारे में महाभारत में बड़ा विशद विवेचन किया गया है। वहाँ पर बताया गया है कि सभी पुरुष देखने में तो समान ही होते हैं, परन्तु युद्धभूमि में जब सैनिकों के परस्पर लड़ने – भिड़ने का समय आता है और चारों ओर से वीरों की पुकार होने लगती है, उस […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
राजा दाहिर सेन का बलिदान महाभारत के ‘शान्ति पर्व’ के अनुसार जो राजा समस्त प्रजा को धनक्षय, प्राणनाश और दुःखों से बचाता है, लुटेरों से रक्षा करके अपने लोगों को जीवन-दान देता है, वह प्रजा के लिये धन और सुख देने वाला परमेश्वर माना गया है। वह राजा सम्पूर्ण यज्ञों द्वारा भगवान की आराधना करके […]
राजकुमार ने दिखाई अद्भुत वीरता राजकुमार जयशाह ने अरब सेना के विरुद्ध लड़ते हुए अपनी अनुपम वीरता का परिचय आज भी दिया। वह किसी भी कीमत पर अपनी पीठ पर कायरता का दाग लगवाना उचित नहीं मानते थे । उन्होंने माँ के दूध का सम्मान करते हुए और माँ भारती के प्रति अपने पूर्ण समर्पण […]
नवनीत कुमार गुप्ता एक बार सर मोक्षगुंडम रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे। अचानक उन्होंने उठकर जंजीर खींच दी और रेलगाड़ी रुक गई। यात्री उन्हें भला-बुरा कहने लगे। थोड़ी देर में गार्ड भी आ गया। विश्वेश्वरैया ने स्वीकार करते हुए बताया कि उन्होंने ही जंजीर खींची है क्योंकि यहां से कुछ दूरी पर रेल की […]
राजस्थान के जोधपुर के राजवंश का विशेष महत्व है। इसमें कई ऐसे शासक हुए जिन्होंने अपने महान कार्यों से इतिहास में अपना विशिष्ट स्थान प्राप्त किया। इन्हीं में से राव मालदेव राठौड़ भी एक रहे हैं। जिनका जीवनकाल 1511 से 1562 ई0 तक माना जाता है। इनके पिता का नाम गांगा था। इनका जन्म 5 […]
यही कारण था कि अरब के सैनिक बड़ी नृशंसता और निर्दयता के साथ भारतीय सैनिकों की हत्या करते जा रहे थे। नरसंहार को भी इस्लाम की सेवा मानने वाले इन राक्षसों के लिए सोते हुए सैनिकों की हत्या करना भी आनन्द का विषय बन चुका था। जब नीचतापूर्ण कृत्य आनन्द का विषय बन जाए तब […]
बज गई रणभेरी विश्वशान्ति के लिए उस समय बहुत बड़ा खतरा स्पष्ट मंडराता हुआ दिखाई दे रहा था। इसके उपरान्त भी मजहबी उन्माद से पगलाए हुए शत्रु दल का कोई भी नेता यह सोचने के लिए तैयार नहीं था कि वे मानवता के विरुद्ध बहुत भयंकर अपराध करने जा रहे हैं? मजहब के नाम पर […]
गद्दारी और राजकुमार जयशाह का आपद्धर्म राजधानी में शत्रु के हमले के प्रति पूर्णतया सावधान होकर बैठे राजा दाहिर सेन अपने वीर सैनिकों के भरोसे शत्रु का सामना करने की तैयारियों में व्यस्त थे। उनके दिशा निर्देशों के अनुसार दोनों राजकुमारियां और राजपरिवार के अन्य सदस्य जनता के बीच जाकर जिस प्रकार देशभक्ति का परिवेश […]
नरेन्द्र जैन 128 वर्ष बाद भी ‘11 सितम्बर’ को न केवल भारत बल्कि मानवता में विश्वास रखने वाले सब लोग गर्व के साथ स्मरण करते हैं। इस दिन न केवल हिंदुत्व की पताका और ऊंची हुई, अपितु एक प्रखर भारतीय संन्यासी का भी विश्व पटल पर पदार्पण हुआ था। जब अफगानिस्तान में कट्टर इस्लामिक उभार […]
राजा दाहिर सेन ने देवल जैसे प्रांत का सूबेदार ज्ञानबुद्ध को बना तो दिया पर यहाँ उनसे एक चूक भी हो गई कि उन्होंने सामरिक दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण प्रान्त का सूबेदार एक ऐसे व्यक्ति को बना दिया था जो महात्मा बुद्ध की ‘अहिंसा’ में विश्वास रखता था। राजा दाहिर सेन को ज्ञान बुद्ध के […]