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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भारतीय क्रांतिकारी स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक अशफाक उल्ला खान

महान देशभक्त अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ (जन्मदिवस 22 अक्टूबर के अवसर पर विशेष रूप से प्रकाशित) जन्म:22 अक्तूबर १९००, मृत्यु:१९२७ भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है। बिस्मिल से मुलाकात अशफ़ाक़ अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। सब उन्हें प्यार से अच्छू कहते […]

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स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भारत का वास्तविक राष्ट्रपिता कौन ? श्रीराम या ……. शासन निरे महात्मापन से नहीं चलता

किसी शायर ने क्या खूब कहा है :- कमजोर लोग ही शिकवा और शिकायत करते है। महान लोग तो हमेशा कर्म की वकालत करते है।। हमारे राष्ट्रनायक रामचंद्र जी महाराज के यहां शिकवा- शिकायत की कोई गुंजाइश नहीं थी। क्योंकि वह इतिहास निर्माण करने की किसी भी चुनौती से बचकर निकलने वाले नहीं थे। वह […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

सुभाष चंद्र बोस व आज़ाद हिंद फ़ौज के प्रति नेहरू सरकार का अत्याचार

——————————————- २१ अक्तूबर का दिन भारतीय स्वाधीनता के इतिहास में एक स्वर्णिम दिन है। इस दिन सन १९४३ में जब अंडमान निकोबार द्वीप समूह का नियंत्रण सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आज़ाद हिंद फ़ौज के नियंत्रण में आया तब सुभाष चंद्र बोस ने अखंड भारत की पहली स्वाधीन सरकार की स्थापना की जिसे बिश्व […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

जब नेताजी सुभाष चन्द्र बोस बने थे देश के पहले प्रधानमंत्री

21 अक्टूबर 1943 का दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी आंदोलन का एक महत्वपूर्ण दिन है। क्योंकि इसी दिन भारत के क्रांतिकारी आंदोलन के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने स्वतंत्र भारत की पहली सरकार की स्थापना की थी। इस प्रकार आज का दिन भारतीय इतिहास में भारत के पहले प्रधानमंत्री के द्वारा शपथ […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

वाल्मीकि समाज हिन्दू समाज का अभिन्न अंग क्यों है?

-अरुण लवानिया अंग्रेजों के समय से ही हिंदुत्व की इमारत से एक-एक कर ईंटों को हटाने का षड़यंत्र चला आ रहा है। इसके पीछे ईसाइयों और मुसलमानों का हाथ तो है ही , स्वतंत्रता पश्चात उपजी नयी प्रजातियां जैसे नवबौध्द , बामसेफ और वामपंथी भी इस कार्य में जुटी हैं।जातिविहीन समाज की बात करने वाले […]

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आदिकवि वाल्मीकि और उनका कालजयी ग्रंथ रामायण

हमारा देश भारत ऋषि और कृषि का देश है। यदि इन दोनों को भारतीय संस्कृति से निकाल दिया जाए तो समझो कि भारत निष्प्राण हो जाएगा । यह हम सबके लिए परम सौभाग्य का विषय है कि हमारे देश भारत वर्ष में एक से बढ़कर एक ऐसे ऋषि – महर्षि हुए जिन्होंने मानवता की अनुपम […]

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भारत का वास्तविक राष्ट्रपिता कौन ?- श्रीराम या …. … अध्याय 1 (ख) पुरातन काल के राष्ट्रों के आधुनिक नाम

पुरातन काल के राष्ट्रों के आधुनिक नाम पूज्य महानंद जी , भगवन ! जिसको आपने अभी-अभी पातालपुरी कहा था वहां रावण पुत्र अहिरावण राज्य करते थे उसे आधुनिक काल में अमेरिका कहते हैं। और जिसको आपने सोमभूम नाम से पुकारा सोमकेतु राष्ट्र जो त्रेता काल में था उसे रूस कहते हैं। जिसको आपने इंद्रपुरी कहा […]

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भारत का वास्तविक राष्ट्रपिता कौन ? श्रीराम या…. करने की उसको ठान लो .. अध्याय 1( क).

भारत की पुण्य भूमि के विषय में अरबी कवि लवी बिन अख्तर बिन तुरफ़ा ईसा से 1700 – 1800 वर्ष पूर्व कहता है – “हे भारत की प्रशंसित धरती ! तुम सचमुच सम्मान की पात्र हो। क्योंकि परमात्मा ने सच्चे ज्ञान अर्थात वेदों का प्रकाश यहीं पर किया था । ईश्वरीय ज्ञान कही जाने वाली […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

राजनीति की हर पेचीदगी को सुलझाना जानती थी मुझे राजे सिंधिया

अंकित सिंह  विजया राजे सिंधिया ने 1980 ने भाजपा की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके साथ ही उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष से बनाया गया। जब पार्टी ने राम जन्मभूमि आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई तब विजया राजे सिंधिया ने भी इसको बखूबी आगे बढ़ाते रहीं। जनवरी 2001 में उनकी मृत्यु हो गई। जब […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

राजनीति से पहले संगठन को प्राथमिकता देते थे नानाजी देशमुख

विजय कुमार  1947 में रक्षाबन्धन के शुभ अवसर पर लखनऊ में ‘राष्ट्रधर्म प्रकाशन’ की स्थापना हुई, तो नानाजी इसके प्रबन्ध निदेशक बनाये गये। वहां से मासिक राष्ट्रधर्म, साप्ताहिक पांचजन्य तथा दैनिक स्वदेश अखबार निकाले गये। ग्राम कडोली (जिला परभणी, महाराष्ट्र) में 11 अक्तूबर, 1916 (शरद पूर्णिमा) को श्रीमती राजाबाई की गोद में जन्मे चंडिकादास अमृतराव […]

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