(विवेकआर्य) जलियांवाला बाग घटना। 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन अंग्रेज डायर द्वारा निहत्थे भारतीयों के खून से लिखी ऐसी दर्दनाक इतिहास की घटना है। जिसके इस वर्ष 100 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। पंजाब सहित देशभर में रौलेट एक्ट रूपी काला कानून देशवासियों को प्रथम विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का सहयोग करने के […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
भारत में ध्येयनिष्ठ लेखन की सुदीर्घ परम्परा रही है। इस परम्परा के वाहकों ने जीविकोपार्जन या बुद्धिविलास के लिए लेखन नहीं किया, अपितु वैचारिक आन्दोलन, देश-समाज के जागरण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए उन्होंने कलम चलाई। भारतीय इतिहास में ऐसे ही एक महानायक हुए भाई परमानन्द। भाई परमानंद को जानने वाले उन्हें देवतातुल्य मानते हैं। […]
महर्षि दयानन्द एक पौराणिक पिता व परिवार में गुजरात प्रान्त के मौरवी जनपद के टंकारा नाम ग्राम में 12 फरवरी, सन् 1825 को जन्में थे। उनके पिता शिवभक्त थे। उनके परिवार के सभी सदस्य भी पौराणिक आस्थाओं में विश्वास रखने वाले जन्मना ब्राह्मण थे। स्वामी दयानन्द का बचपन का नाम मूलजी व मूलशंकर था। आपने […]
आर्य पुरुषों के अल्प-ज्ञात संस्मरण यह बात उस काल की हैं जब हमारे देश में लड़कियों को पढ़ाना बुरी बात समझा जाता था। स्वामी दयानंद जी द्वारा सत्यार्थ प्रकाश में किये गए उद्घोष की नारी का काम जीवन भर केवल चूल्हा चोका करना नहीं अपितु गार्गी के समान प्राचीन विदुषी बनकर अपना कल्याण करना हैं […]
लेखक :- आचार्य विष्णुमित्र जी पुस्तक :- भक्त फूलसिंह जीवन चरित प्रस्तुतकर्ता :- अमित सिवाहा गुरुकुल खोलने के लिये आप उपयुक्त स्थान देखने के लिए हरियाणा प्रान्त में तीन वर्ष तक घूमते रहे परन्तु आपको कोई उपयुक्त स्थान गुरुकुल खोलने के लिए न मिला । इसी कार्यक्रम को मन में रख कर आप आवली गांव […]
सुखी भारती ‘हिन्द की चादर तेग बहादर’ व ‘हिन्द की ढाल’ कह कर सम्बोधित किए जाने वाले विलक्षण शहीद जिन्होंने धर्म की रक्षा हेतु अपना शीश कुर्बान किया और इनके पुत्र श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने इन्हीं के पद चिन्हों पर चलते हुए अपने माता श्री गुजरी जी, चार पुत्रों व अपने अनेकों शिष्यों […]
महर्षि दयानंद ने जीवन भर हिन्दू समाज में फैली हुई जातिभेद की कुरीति का पुरजोर विरोध किया। उनके जीवन में से अनेक प्रसंग ऐसे मिलते हैं जिनसे जातिवाद को जड़ से मिटाने की प्रेरणा मिलती हैं। खेद है अपनी राजनैतिक महत्कांक्षा के चलते दलित समाज डॉ अम्बेडकर, ज्योति बा फुले आदि का नाम तो गर्व […]
10 मई 1857 की प्रातः कालीन बेला। स्थान मेरठ । जिस वीर नायक ने इस पूरे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण एवं क्रांतिकारी भूमिका निभाई थी वह अमर शहीद धन सिंह चपराना कोतवाल निवासी ग्राम पाचली जनपद मेरठ के थे। क्रांति का प्रथम नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल। नारा – ‘मारो फिरंगियों को।’ मेरठ में ईस्ट इंडिया […]
इस्लाम की मजहबी अमानवीयता का प्रमाण है गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान, आज भी सनातनियो या गैर इस्लामिको के सर तन से जुदा किए जा रहे हैं या धमकी दी जा रही हैं यह कोई नई बात नहीं अपितु लगभग ३४७ वर्ष पूर्व भी इस्लाम के अनुयायी औरंगजेब ने अपनी मजहबी मानसिकता का क्रूर […]
आइए जानते हैं एक ऐसे महान क्रांतिकारी के बारे में जिनका नाम इतिहास के पन्नों से मिटा दिया गया जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा इतनी यातनाएं झेलीं की उसके बारे में कल्पना करके ही इस देश के करोड़ों भारत माँ के कायर पुत्रों में सिहरन पैदा हो जायेगी जिनका नाम लेने मात्र से आज भी […]