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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हम शास्त्रार्थ से सत्यार्थ, यथार्थ और तथ्यार्थ के उपासक बनें

इस्लाम का दुष्प्रभाव इस्लाम ने भारत में पदार्पण किया तो उसने भारत की प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर और ऐतिहासिक संपदा को विनष्ट करने में किसी प्रकार की कमी नही छोड़ी। उसने भारत पर अपने आतंक और अत्याचारों की काली छाया डालकर  ‘मां भारती’ के वैभव को पूर्णत: मिटाने का प्रयास किया। इस प्रकार भारत पर इस्लाम […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

सर्वोदयवादी और अन्त्योदयवादी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के लिए था हमारा संघर्ष

धर्म ही अटल हैचाणक्यनीति (5/10) में कहा गया है :-‘चला लक्ष्मीश्चला: प्राणाश्चले जीवितयौवने। चला चले च संसारे धर्म एकोहि निश्चल:।।’अर्थात इस चराचर जगत में लक्ष्मी, प्राण, यौवन और जीवन सब कुछ नाशवान हैं, केवल एक धर्म की अटल है।अटल धर्म के प्रति भारत के लोगों की आस्था भी अटल रही है। इसलिए महाभारत में भी […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

मुगल वंश से पहले ही हो गया था कश्मीर का पीड़ादायक धर्मांतरण

मुल्ला मौलवी हो गये थे जैनुल के विरोधी राजा जैनुल और श्रीभट्ट की समादरणीय जोड़ी जब कश्मीर में दो विपरीत दिशाओं में बहती सरिताओं-हिंदुत्व और इस्लाम को एक दिशा देने का अदभुत और प्रशंसनीय कार्य कर रही थी, तभी कहीं ‘शैतान’ उन अनोखे और प्रशंसनीय कार्यों को नष्ट करने के लिए उनकी जड़ों में मट्ठा […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

राठौड़ों ने कर दी थी स्वतंत्र मण्डोर राज्य की स्थापना

दिल्ली के प्रसिद्घ सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया ने कहा था-‘‘कुछ हिंदू जानते हैं किइस्लाम सच्चा धर्म है पर वे इस्लाम कबूल नही करते….भयभीत होने के उपरांत भी हिंदुओं नेअपने दिलों से इस्लाम को वैसे ही निकाल फेंका है जैसे आटा गूंथते समय उसमें पड़ गये बालको निकाल दिया जाता है।’’निजामुद्दीन औलिया जैसे सूफी संतों […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

वैद्यराज श्री भट्ट के प्रयासों से कश्मीर फिर से बन गया था स्वर्ग

सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी कविता ‘जलियांवाले बाग में बसंत’ में लिखा है :- ‘‘यहां कोकिला नही, काक हंै शोर मचाते।काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।।कलियां भी अधखिली मिली हैं कंटक कुल से।वे पौधे, वे पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।।परिमल हीन पराग दाग सा बना पड़ा है,हा यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा […]

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हिन्दुओं को मिले तीन विकल्प-इस्लाम, मृत्यु, कश्मीर छोड़ो

कश्मीर का सुल्तान सिकंदरकश्मीर दुर्भाग्य और दुर्दिनों से जूझ रहा था। धर्म नष्ट हो रहा था, और ‘दीन’ फैलता जा रहा था। अंधेरा गहराता जा रहा था, और दूर होने का नाम नही लेता था। इसी काल में कश्मीर का सुल्तान सिकंदर बन गया। इसने अपनी उपाधि ही ‘बुतशिकन’ (मूर्ति तोडऩे वाला) की रख छोड़ी […]

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स्थानीय हिन्दू शासक भी लड़ते रहे अपना स्वतंत्रता संग्राम

सिकंदर लोदी बना सुल्तान बहलोल लोदी की मृत्यु जुलाई 1489 ई. में हो गयी थी। तब उसके पश्चात दिल्ली का सुल्तान उसका पुत्र निजाम खां सिकंदर दिल्ली का सुल्तान बना। उस समय दिल्ली सल्तनत कोई विशेष बलशाली सल्तनत नही रह गयी थी। उसके विरूद्घ नित विद्रोह हो रहे थे और सुल्तानों की सारी शक्ति उन […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

अत्याचारों की करूण गाथा के उस काल में भी आशा जीवित रही

सिकंदर के शासन काल में हिंदुओं की स्थिति कश्मीर में सिकंदर का शासन और हिंदुओं की स्थिति इस प्रकार थी कि सिकंदर का शासन मानो खौलते हुए तेल का कड़ाह था और हिंदू उसमें तला जाने वाला पकौड़ा। ऐसी अवस्था में बड़ी क्रूरता से हिंदुओं से जजिया वसूल किया जाता था। जजिया को जोनराज ने […]

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जब कश्मीर के राजा जशरथ ने बढ़ाया भारत का ‘यश’ रथ

संसार एक सागर है संसार एक सागर है, जिसमें अनंत लहरें उठती रहती हैं। ये लहरें कितने ही लोगों के लिए काल बन जाती हैं, तो कुछ ऐसे शूरवीर भी होते हैं जो इन लहरों से ही खेलते हैं और खेलते-खेलते लहरों को अपनी स्वर लहरियों पर नचाने भी लगते हैं। ऐसा संयोग इतिहास के दुर्लभतम क्षणों […]

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जब भारतवर्ष में मात्र 26 वर्ष में ही हो गये थे 20 स्वतंत्रता आंदोलन

आर्यधर्म की विशेषताएं जिस आर्य (हिन्दू) धर्म की रक्षार्थ लड़े गये लंबे स्वातंत्र्य समर की कहानी हम लिख रहे हैं उसके विषय में स्वामी विज्ञानानंद जी महाराज ने अपनी पुस्तक ‘हिन्दू नाम की प्राचीनता और विशेषताएं’ के पृष्ठ भाग पर लिखा है कि-‘‘यह धर्म (अपने मूल स्वरूप में) जनतंत्रवादी है- अधिनायकवादी नही, बुद्घिवादी है-पैगंबरवादी नही, […]

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