महर्षि दयानंद का मत जिन लोगों ने विदेशियों का अंधानुकरण करते-करते स्वदेश और स्वदेशी की भावना को अपने लिए अपमानजनक समझकर उसे कोसना आरंभ किया, उन लोगों को देखकर महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज को असीम पीड़ा हुआ करती थी। उन्होंने ‘सत्यार्थ प्रकाश’ समुल्लास-11 में लिखा है- ‘‘अपने देश की प्रशंसा वा पूर्वजों की बड़ाई […]
श्रेणी: संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा
‘कश्मीरी पंडित’ का वास्तविक अर्थ कश्मीर को पंडितों की भूमि कहा जाता है। पंडित का अर्थ यहां किसी जाति विशेष से न होकर विद्घानों से है। कश्मीर सदा से ही ऋषियों की तप: स्थली रहा है। यहां लोग लोक-परलोक को सुधारने और मोक्ष की प्राप्ति के लिए आत्मसाधना हेतु जाया करते थे। इसलिए ऐसे आत्म […]
पूर्णत: धर्मांध था तैमूर लंगतैमूर लंग ने भारत पर 1398 ई. में आक्रमण किया। इस विदेशी आततायी का उद्देश्य भी भारत के धर्म और संस्कृति को मिटाकर यहां इस्लाम का झण्डा फहराना था। इसमें कोई दो मत नही कि हिंदुओं के प्रति तैमूर अत्यंत क्रूर था। उसकी क्रूरता को सभी इतिहासकारों ने स्वीकार किया है, […]
पूर्व आलेख में प्रसंग इटावा का चल रहा था कि यहां के मुकद्दम या ग्राम्य मुखिया लोगों ने भी किस प्रकार स्वतंत्रता की ज्योति जलाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पूर्व आलेख में प्रसंग इटावा का चल रहा था कि यहां के मुकद्दम या ग्राम्य मुखिया लोगों ने भी किस प्रकार स्वतंत्रता की ज्योति जलाये […]
नोट: यह लेख हमसे किसी कारणवश प्रकसित नहीं हो पाया था और कुछ अन्य लेख जो इस श्रंखला में रह गए हैं, हम उन्हे प्रकसित करते रहेंगे। भारत का कण-कण वंदनीय है भारत से शांति प्राप्त करने के लिए प्राचीन काल से लोग यहां आते रहे हैं। यहां के कण-कण में शंकर की प्रतिध्वनि को […]
नोट: यह लेख और कुछ अन्य लेख जो इस श्रंखला में रह गए हैं। हम उन्हे प्रकसित करते रहेंगे। जजिया और जजिया की वास्तविकता जब भारत में मुस्लिम शासन का सूत्रपात हुआ तो उसी समय से हिंदुओं पर ‘जजिया’ कर लगाकर उनका उत्पीडऩ करने का क्रम भी जारी हो गया था। ‘जजिया’ एक प्रकार […]
पिछले लेख में हम कश्मीर की वीरांगना कोटारानी के बौद्घिक चातुर्य और देशभक्ति की चर्चा कर रहे थे। इस लेख को भी हम कोटा रानी के लिए ही समर्पित रखेंगे। उससे पूर्व हम देखें कि सर वी.एम. नॉयपाल इस्लाम के विषय में क्या कहते हैं-‘‘इस्लाम अपने मौलिक स्वरूप में एक अरबी धर्म है। हर एक […]
दो हिंदू वीर बंधु जब भारत की स्वतंत्रता को दिन प्रतिदिन विदेशी विषधर डंस रहे थे और मां भारती की दिन प्रतिदिन की बढ़ती पीड़ा को देखकर बार-बार मां भारती के सच्चे सपूत अपना बलिदान दे रहे थे, और धर्म तथा स्वतंत्रता की रक्षार्थ संघर्ष कर रहे थे-तब ऐसे दो हिंदू वीर बंधु भी थे […]
के.एम. मुंशी की राष्ट्रबोध कराने वाली टिप्पणी के.एम. मुंशी अपनी पुस्तक ‘ग्लोरी दैट वाज गुर्जर देश’ के पृष्ठ 24 पर लिखते हैं :-‘‘सन 1199 से लेकर 1526 तक के संघर्ष काल का इतिहास दिल्ली सल्तनत की उपलब्धियों के एक पक्षीय वर्णनों से भरा हुआ है, क्योंकि वह दरबारी इतिहासकारों के वर्णन पर आधारित है। जबकि […]
आसाम का गौरव अब एक बार पुन: चलते हैं आसाम की ओर। जी हां, यह वह स्थान है जिसके विषय में हम पूर्व में भी बता चुके हैं कि भारत का यह प्रांत एक दिन भी किसी मुस्लिम सुल्तान या बादशाह का गुलाम नही रहा। यह एक इतिहास है और एक ऐसा इतिहास है जिस […]