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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

राणा भीमसिंह की वीरता की हो गयी थी भ्रूण हत्या

पुन: मेवाड़ की ओर अब हम एक बार पुन: महाराणा प्रताप की पुण्य कर्मस्थली मेवाड़ और उनके राणा वंश की ओर चलें। यह वंश निरंतर कितनी ही पीढिय़ों तक देश सेवा में लगा रहा। महाराणा प्रतापसिंह के पुत्र राणा अमरसिंह से चित्तौड़ हाथ में आने के उपरांत भी निकल गयी थी। अपने पिता की भांति […]

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बुंदेलखण्ड की भूमि का अमर बलिदानी राजा हरदौल सिंह

राजा हरदौलसिंह बुंदेलों की वीरता की कहानियों से इतिहास भरा पड़ा है। देशभक्ति की अनेकों कहानियों में से एक कहानी जिसे गौरवपूर्ण इतिहास कहा जाना उचित होगा-भ्रातृप्रेमी और देशप्रेमी राजा हरदौल की है। हरदौल ओरछा के राजा जुझारसिंह के छोटे भाई थे। उन दिनों देश की राजनीतिक परिस्थितियां बड़ी दयनीय थीं। दिल्ली पर उस समय […]

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अमरसिंह राठौड़ का शौर्य है आज भी प्रेरणा का स्रोत

पी.एन.ओक कहते हैं…. अपनी पुस्तक ”क्या भारत का इतिहास भारत के शत्रुओं द्वारा लिखा गया है?” में लिखी गयी भूमिका में पी.एन. ओक महोदय लिखते हैं :- ”भारतीय इतिहास में जिन विशाल सीमाओं तथा अयथार्थ और मनगढ़ंत विवरण गहराई तक पैठ चुके हैं, वह राष्ट्रीय घोर संकट के समान है। जो अधिक दुखदायी बात है […]

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राजा चम्पतराय और रानी सारन्धा का अप्रितम बलिदान

रानी सारंधा के विषय में भारत की वीरांगनाओं में रानी सारंधा का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है। सारंधा बुंदेला राजा चंपतराय की सहधर्मिणी थी। जब सारंधा छोटी ही अवस्था में थी, तभी से उसकी देशभक्ति उस पर हावी होने लगी थी। स्वतंत्रता के भाव उसमें कूट-कूटकर भरे थे, इसलिए आत्माभिमान की भी […]

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हमारा इतिहास गौरव का पुंज और तेज का निकुंज है

आत्मन: प्रतिकूलानि… संसार का कोई भी मत,पंथ या संप्रदाय ऐसा नही, जिसने परतंत्रता को धिक्कारा ना हो। इसका अर्थ है कि कोई मत, पंथ या संप्रदाय चाहे किसी विपरीत मत, पंथ या संप्रदाय के मानने वालों को अपने अधिक संख्या बल से डराकर या अपने बाहुबल से डराकर उन्हें अपना दास बनाने का अभियान चला […]

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इतिहास हमारी आने वाली पीढिय़ों को ऊर्जान्वित करता है

इतिहास की विशेषता इतिहास किसी जाति के अतीत को वर्तमान के संदर्भ में प्रस्तुत कर भविष्य की संभावनाओं को खोजने का माध्यम है। इतिहास अतीत की उन गौरवपूर्ण झांकियों की प्रस्तुति का एक माध्यम होता है जो हमारी आने वाली पीढिय़ों को ऊर्जान्वित करता है और उन्हें संसार में आत्माभिमानी, आत्म सम्मानी और स्वाभिमानी बनाता […]

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वीर राठौड़ों ने स्वतंत्रता के लिए दिये अपने अप्रतिम बलिदान

बीकानेर की ओर कामरान कामरान को खेतसी राठौड़ के सामने आधी अधूरी सफलता क्या मिल गयी थी, उसका दुस्साहस बढ़ गया और वह अब अपने साम्राज्य विस्तार की योजनाएं बनाने लगा। अत: वह बीकानेर की ओर बढऩे लगा। बीकानेर में उस समय राव जैतसी का शासन था। राव जैतसी के भीतर भी स्वतंत्रता प्रेम की […]

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राव लूणकरण भाटी ने रच दिया था ‘घर वापिसी’ का विशाल यज्ञ

अलवर का प्राचीन इतिहास राजस्थान के अलवर क्षेत्र ने भी समय आने पर भारत की अस्मिता  की रक्षार्थ अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके विषय में मान्यता है कि महाभारत कालीन शाल्व नामक राजा ने इसे बसाया था। राजा शाल्व कार्तिकावल्क का शासक था। उस समय अलवर का नाम कार्तिकावल्क ही रखा गया था। इसे […]

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स्वार्थ में डूबी राजनीति को तुलसीदास ने बताया-राजधर्म

तुलसीदास के राम कहते हैं… तुलसीदास जी ने रामचंद्र जी के मुख से ‘परशुराम-राम संवाद’ के समय कहलवाया है :- छत्रिय तनु धरि समर सकाना, कुल कलंकु तेहिं पावर आना, कहऊं सुभाऊ न कुलहि प्रसंसी, क ालहु  डरहिं न रन रघुबंसी अर्थात क्षत्रिय का शरीर धरकर जो युद्घ में डर गया, उस नीच ने अपने […]

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‘पराधीन सुख सपनेहुं नाहि’ कहकर तुलसीदास ने धिक्कारा पराधीनता को

कवि की कविता की विशेषता कवि क्रान्तदर्शी होता है। कवि की कल्पना व्योम को भी पार कर जाती है और पत्थर को भी तोड़ जाती है। यह देखा जाता है कि जिस बात को सुनकर कोई व्यक्ति क्रोधित हो सकता है, वही व्यक्ति गद्य में उस बात को जब पद्यात्मक शैली में सुनता है, तो […]

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