मंदिरों का विध्वंसक-औरंगजेब ‘औरंगजेब हिंदुओं के मंदिरों का विध्वंसक था। उसने अपने शासन के पहले वर्ष ही यह आदेश जारी करा दिया था कि पुराने बने मंदिरों को छोडक़र नये बने हुए मंदिरों को गिरा दिया जाए और भविष्य में कोई नया मंदिर न बने।’ (यदुनाथ सरकार : ‘हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब’ जिल्द-3 पृष्ठ 319-20) धर्म […]
श्रेणी: संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा
मुगलिया लेखकों की विश्वसनीयता औरंगजेब को भी भारतीय इतिहास में सम्मानपूर्ण स्थान देने वाले कुछ छद्म धर्मनिरपेक्षी इतिहासकारों ने उसके जीवन संबंधी मिथ्या तथ्यों, किस्से-कहानियों को भी पूर्णत: सत्य माना है। जबकि भारतीय राजा महाराजाओं के बहुत से सत्य वर्णनों को भी उनके चाटुकार दरबारी कवियों, लेखकों के अतिश्योक्तिपूर्ण कथानक कहकर उपेक्षित कर दिया है। […]
हमारे इतिहास के बारे म ेंहैनरी बीवरिज का मत भारत का इतिहास जिन लोगों ने विकृत किया है उन्हीं शत्रु इतिहास लेखकों के मध्य कुछ लोगों ने उदारता का परिचय देते हुए सत्य का महिमामंडन करने में भी संकोच नही किया है। ”ए काम्प्रीहैंसिव हिस्ट्री ऑफ इंडिया” (खण्ड-1 पृष्ठ 18) के लेखक हैनरी बीवरिज लिखते […]
निष्पक्ष लेखनी की आवश्यकता प्रो. गोल्डविन स्मिथ का कहना है-”प्रत्येक राष्ट्र अपना इतिहास स्वयं ही उत्तम रूप से लिख सकता है। वह अपनी भूमि, अपनी संस्थाओं अपनी घटनाओं के पारंपरिक महत्व और अपनी महान विभूतियों के संबंध में सबसे अधिक ज्ञान रखता है। प्रत्येक राष्ट्र का अपना विशिष्ट दृष्टिकोण होता है, अपनी पूर्व घटनाएं, अपना […]
औरंगजेब छत्रसाल को नियंत्रण में लेकर उसका अंत करने में निरंतर असफल होता जा रहा था। यह स्थिति उसके लिए चिंताजनक और अपमानजनक थी। अब तक के जितने योद्घा और सेनानायक उसने छत्रसाल को नियंत्रण में लेने के लिए भेजे थे, उन सबने छत्रसाल की वीरभूमि बुंदेलखण्ड से लौटकर आकर उसे निराश ही किया। बुंदेलखण्ड […]
छत्रसाल जैसे हिंदू वीरों के प्रयासों को अतार्किक, अयुक्तियुक्त, असमसामयिक और निरर्थक सिद्घ करने के लिए धर्मनिरपेक्षतावादी इतिहास लेखकों ने एड़ी-चोटी का बल लगाया है। इन लोगों ने शाहजहां को ही नही, अपितु औरंगजेब को भी धर्मनिरपेक्ष शासक सिद्घ करने का प्रयास किया है। जबकि वास्तव में ऐसा नही था। डा. वी.ए. स्मिथ ने कहा […]
महाराज जनक की आनंदाग्नि राजा जनक अपने दरबार में वेदव्यास जी के साथ गंभीर शांत चर्चा में निमग्न थे। वेदव्यास जी राजा के समक्ष गूढ़ तत्वों की मीमांसा कर रहे थे। बड़ी उत्कृष्ट चर्चा चल रही थी। चारों ओर इतना आनंद था कि मानो अमृत वर्षा हो रही हो। राजा जनक शांतमना उस अमृतवर्षा का […]
हिन्दुत्व का अर्थ…. हिंदुत्व का अर्थ स्पष्ट करते हुए वेबस्टर के अंग्रेजी भाषा के तृतीय अंतर्राष्ट्रीय शब्दकोष में कहा गया है-”यह सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विश्वास और दृष्टिकोण का जटिल मिश्रण है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में विकसित हुआ। यह जातीयता पर आधारित मानवता पर विश्वास करता है। यह एक विचार है, जो कि हर प्रकार […]
जिस समय भारत की स्वतंत्रता को नोंच-नोंचकर खाने वाले विदेशी गिद्घों के झुण्ड के झुण्ड भारत भूमि पर टूट-टूटकर पड़ रहे थे और उन्हें यहां से उड़ाकर बाहर करने के लिए भारत की तलवार अपना पूर्ण शौर्य और पराक्रम दिखा रही थी, उस समय उन गिद्घों के लिए किसी शत्रुसाल की आवश्यकता थी। इस शत्रुसाल […]
हमारे इतिहास की पहचान किसी कवि ने ईश्वर के विषय में कहा है :- तू दिल में तो आता है, समझ में नही आता। मालूम हुआ बस तेरी पहचान यही है।। ….और हम अपने इतिहास के विषय में भी यही समझ सकते हैं। आपको अधिकांश लोग अपने इतिहास के और अपने राजा-महाराजाओं के रोमांचकारी किस्से-कहानी […]