सुबोध कुमार पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा, आज दुनिया की चिंता के दो प्रमुख विषय हैं। यह आज ही नहीं अत्यंत प्राचीन काल से ही मनुष्यों के लिए चिंतनीय विषय रहे हैं। कालखंड कोई सा भी हो, समाज का प्रबुद्ध वर्ग पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा की चिंता करता ही रहा है। अपने देश का वैदिक वांग्मय […]
श्रेणी: गौ और गोवंश
स्वतन्त्रता से पूर्व देश में अनेक स्थानों पर मुसलमान खुलेआम गोहत्या करते थे। इससे हिन्दू भड़क जाते थे और दोनों समुदाय आपस में लड़ने लगते थे। अंग्रेज तो यही चाहते थे। इसलिए वे गोहत्या को प्रश्रय देते थे। 1918 में ग्राम कटारपुर (हरिद्वार) के मुसलमानों ने बकरीद पर सार्वजनिक रूप से गोहत्या की घोषणा की। […]
सुबोध कुमार (लेखक गौ एवं वेद विशेषज्ञ हैं।) गावो विश्वस्य मातर:। भारतीय परम्परा में गौ को विश्व की माता का स्थान दिया गया है। ऋग्वेद 6.48.13 के अनुसार गौ प्रत्यक्ष में तो केवल दूध देती है, परन्तु परोक्ष में विश्व को जैविक कृषि के द्वारा भोजन भी देती है। अथर्ववेद 10.5.4 के अनुसार ओजस्वी राजा, […]
ओ३म् ============ परमात्मा ने मनुष्य एवं इतर आत्माओं के लिये इस सृष्टि को उत्पन्न कर धारण किया है। परमात्मा में ही यह सारा ब्रह्माण्ड विद्यमान है। आश्चर्य होता है कि असंख्य व अनन्त लोक-लोकान्तर परमात्मा के निमयों का पालन करते हुए सृष्टि उत्पत्ति काल 1.96 अरब वर्षों से अपने अपने पथ पर चल रहे हैं। […]
भेलाटांड़ में ३१.०७.२०२० को अहले सुबह गौ मांस से भरी गाड़ी को हिंदुराष्ट्र सेना के कार्यकर्ता व स्थानीय युवको ने पकड़ा| भारी मात्रा में गौ मांस को एक बड़े से बैग में भरकर रखा गया था , जिसे वेस्पा में लोड कर भेलाटांड़ से जोगता की ओर ले जाया जा रहा था| जैसा की सन्गठन […]
ओ३म् =========== हमारे ब्रह्माण्ड में सूर्य, पृथिवी, चन्द्र, अग्नि, वायु, जल आदि को सर्वव्यापक, सर्वज्ञ तथा सर्वशक्तिमान सत्ता परमात्मा ने बनाया है। परमात्मा ने ही सृष्टि पर मनुष्यों सहित इतर सभी प्राणियों, अन्न, वनस्पतियों तथा ओषिधियों को भी उत्पन्न किया है। पशुओं में गाय श्रेष्ठ प्राणी है जिसकी उत्पत्ति परमात्मा ने मनुष्यों के हित व […]
_____________________________ अधिकांश पशुपालक ,गौपालन प्रेमी की यह स्वभाविक हार्दिक इच्छा होती है उसका गोवंश बीमार ना पड़े कम खाकर अधिक तथा लंबे समय तक दूध दे| प्रत्येक मौसम जलवायु परीक्षेत्र के अनुकूल हो | दूध की गुणवत्ता भी बेहतरीन हो… विदेशी गोवंश एचएफ जर्सी नस्ल की गाय तो सात जन्मों में भी इस शर्त को […]
प्रस्तुति : आचार्य ज्ञान प्रकाश वैदिक लेखक- डॉ० भवानीलाल भारतीय सहयोगी- डॉ० ब्रजेश गौतमजी नवजागरण काल के अपने अनेक समसामयिक महापुरुषों की तुलना में स्वामी दयानन्द की दूरगामी दृष्टि तथा अग्रगामिता कुछ विशिष्ट थी। त्रिविध एषणाओं का त्याग करने वाला यह संन्यासी जहां धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में नवीन जागृति और परिवर्तन लाने का […]
ओ३म् ============= मनुष्य तथा पशु-पक्षी आदि सभी प्राणियों की उत्पत्ति अपने पूर्वजन्मों के कर्मों का सुख व दुःख रूपी फल भोगने के लिये हुई है। मनुष्य योनि उभय योनि है जिसमें मनुष्य पूर्वजन्मों के कर्मों का फल भोगता है तथा नये कर्मों को भी करता है। यह नये कर्म मनुष्य के बन्धन व मोक्ष का […]
ओ३म् “गाय आदि पशुओं की हत्या का अभिशाप देश को भोगना पड़ता है” =========== संसार में मनुष्य मुख्यतः दो प्रकार के कर्म करता है। यह कर्म पाप व पुण्य कहलाते हैं। पुण्य कर्म सभी मनुष्यों के लिये करणीय होते हैं तथा पाप कर्म उपेक्षणीय व अकरणीय होते हैं। पाप कर्म करने से मनुष्य निन्दा का […]