योगेश कुमार गोयल प्रकृति कभी समुद्री तूफान तो कभी भूकम्प, कभी सूखा तो कभी अकाल के रूप में अपना विकराल रूप दिखाकर हमें निरन्तर चेतावनियां देती रही है किन्तु जलवायु परिवर्तन से निपटने के नाम पर वैश्विक चिंता व्यक्त करने से आगे हम शायद कुछ करना ही नहीं चाहते। तमाम तरह की सुख-सुविधाएं और संसाधन […]
श्रेणी: पर्यावरण
आज अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस है | जो वर्ष 2013 से प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को मनाया जा रहा है| पृथ्वी पर इंसानों की आबादी 760 करोड़ है जो पृथ्वी पर पाए जाने वाले पूरे जीवो का महज 0.01 प्रतिशत है लेकिन दुखद आश्चर्य यह है इंसानों ने पूरी पृथ्वी के 83 फ़ीसदी जंगली जानवरों […]
डॉ. राकेश राणा सृष्टि में हर एक चीज दूसरे से जुड़ी हुई है। कुछ भी अलग नहीं है। हर चीज का हर चीज पर प्रभाव भी पड़ता है। मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य व पर्यावरण भी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। यहां यह समझने की जरूरत है कि हमारा पर्यावरण हमारे स्वास्थ्य से कैसे जुड़ा है। स्वास्थ्य मात्र […]
विश्व इतिहास में सबसे पहले वर्ष 2000 बी.सी. में भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्रा (इसमें वर्तमान पाकिस्तान भी शामिल है) में सिंधु घाटी सभ्यता में सीवर तंत्रा के अवशेष पाए गए। इन शौचालयों में मल को पानी द्वारा बहा दिया जाने की व्यवस्था थी। इन्हें ढंकी हुई नालियों से जोड़ा हुआ था। इस कालखंड में विश्व […]
प्रस्तुति – शिवा सैन भारतीय ऋषियों ने मानव-मस्तिष्क को उचित दिग्दर्शन कराने के लिए वेद-संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक उपनिषद्, पुराण, प्रभृति उत्कृष्ट ग्रंथों की उद्भावना की, जिससे मानव-समुदाय समष्टिगत चिंतन में निरत रहते हुए, सामाजिक सद्भाव बनाए रखे और प्रकृति में अंगीभूत ‘जीयो और जीने दो’ के विधान का पालन करते हुए, विकास के प्रत्येक सोपान […]
भारत के नियंत्रक और लेखा महानिरीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी योजनाएं प्रतिदिन प्रति व्यक्ति चार बालटी स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के निर्धारित लक्ष्य का आधा भी आपूर्ति करने में सफल नहीं हो पायी हैं। आज़ादी के 70 वर्षों के पश्चात, देश की आबादी के एक बड़े भाग के घरों में पीने के लिए स्वच्छ […]
एक अनुमान के अनुसार, देश में वर्ष 2050 तक शहरों की आबादी 80 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाएगी। यानी, उस समय की देश की कुल आबादी के 50 प्रतिशत से अधिक और आज की शहरी आबादी से लगभग दुगुनी यथा भारत एक शहरी देश के तौर पर उभर कर सामने आ जाएगा। आज, 2011 […]
‘उगता भारत’ डेस्क यह डर स्वाभाविक है कि अगर इन सिफारिशों को ज्यों का त्यों लागू कर दिया गया तो हर परियोजना की लागत इतनी बढ़ जाएगी कि न सिर्फ उन्हें बना रही कंपनियों बल्कि सरकारों के भी दिवालिया होने का खतरा पैदा हो जाएगा। फिर भी हमें इतना तो स्वीकार करना ही पड़ेगा कि […]
विनीत त्रिपाठी दो साल पहले की एक स्टडी में तब तक की खोजों के आधार पर अनुमान लगाया गया था कि दुनिया की तात्कालिक तेल जरूरतें पूरी करने भर की हाइड्रोजन पैदा करने के लिए सोलर फ्यूल रिग्स को 63,000 वर्ग मील (लगभग बिहार जितना) समुद्री क्षेत्र कवर करना होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने […]
व्योमेश चन्द्र जुगरान उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के बारसू गांव में एक किसान ने तालाब बनाकर 50 किलो ट्राउट मछली का उत्पादन किया है। यह मछली वह गांव में ही बेच रहा है और खरीदार बड़े आराम से उसे 1200 से 1500 रुपए प्रति किलो दे रहे हैं। अगर थोड़ा सा सरकारी सपोर्ट मिल […]