अनिल जैन प्रकृति ने जल और जंगल के रूप में मनुष्य को 2 ऐसे अनुपम उपहार दिए हैं जिनके सहारे कई दुनिया में कई सभ्यताएं विकसित हुई हैं, लेकिन मनुष्य की खुदगर्जी के चलते इन 2 नों ही उपहारों का तेजी से क्षय हो रहा है। पानी के संकट को स्पष्ट तौर पर दुनियाभर में […]
श्रेणी: पर्यावरण
अन्यथा विनाश निश्चित है (विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष) ◼️ जिन्होंने भूमि, जल, वायु को प्रदूषित किया व कर रहे हैं। ◼️ जो स्थूल प्रदूषण को हटाने का ढोंग करके सूक्ष्म व अधिक घातक प्रदूषण को फैला रहे हैं। ◼️ जो नाना प्रकार के प्राणियों व वनस्पतियों की प्रजातियों को नष्ट कर चुके हैं व […]
सौरभ जैन मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला स्थित बकस्वाहा के जंगल में पिछले दिनों देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार होने की खबर सामने आई। हीरे के इस भंडार को पाने के लिए अब वहां के 382.131 हेक्टेयर जंगल को खत्म करने की योजना है। बकस्वाहा के इस जंगल को बचाने के लिए सोशल मीडिया […]
योगाभ्यास विधि : आत्म – उत्थान महाभारत में यक्ष-युद्धिष्ठिर सम्वाद बहुत प्रसिद्ध है। यक्ष युद्धिष्ठिर से प्रश्न करते हैं : संसार में सब से अधिक चकित करने वाली चीज़ क्या है ? युधिष्ठिर ने उत्तर दिया : मृत्यु। सभी लोग दूसरों को मरता देखते हैं, परन्तु वर्ताव ऐसे करते हैं कि वे कभी मरेंगे […]
बिसोन्दू का यह सघन हरा भरा वृक्ष ग्रेटर नोएडा के बूढ़े मकोड़ा गांव की निशानी स्थल पर खड़ा हुआ है। बिशोन्दू का यह वृक्ष दिल्ली एनसीआर का कल्पवृक्ष है इसकी पत्तियां छोटी नुकीली होती हैं। भयंकर गरम सूखे वातावरण में भी हरा-भरा रहता है जैसे ही सावन लगता है इसके जामुन के आकार के फल […]
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया के अनुसार, पर्यावरण शब्द ‘परि+आवरण’ के संयोग से बना है। ‘परि’ का आश्य चारों ओर तथा ‘आवरण’ का आश्य परिवेश है। पर्यावरण के दायरे में इसलिए वनस्पतियों, प्राणियों और मानव जाति सहित सभी सजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर को शामिल किया जाता है। वास्तव में पर्यावरण में जल, अग्नि, वायु, […]
कलराज मिश्र जैसे-जैसे हम भौतिकता की अंधी दौड़ में आगे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे आपदाओं को निमंत्रण देने लगे हैं। अभी कोविड के जिस भयावह दौर को हम सभी झेल रहे हैं उसके मूल में भी विकास की उपभोक्तावादी सोच ही प्रमुख है। याद रखें, प्रकृति और जीवन की उपेक्षा कर विकास को गति देने […]
जीव को होने वाले दु:खों के कारण क्या हैं ? जीवन में दुख कोई नहीं चाहता। सब सुख को तरसते हैं। यह अलग बात है कि सुख की चाह रखने वाला मानव दुख प्राप्ति के ही कार्यों में लगा रहता है। यह एक अबूझ पहेली बनी हुई है कि दुखों के मार्ग पर चलने वाला […]
अनु जैन रोहतगी इस बार जापान के लोग अपने राष्ट्रीय फूल सकूरा, यानी चैरी ब्लॉसम के खिलने पर ज्यादा खुश नहीं हुए। कई शताब्दी बाद ऐसा हुआ कि ये फूल बहुत जल्दी खिल गए। जो पीक 15-20 अप्रैल के आसपास आनी थी, वह 26 मार्च को ही आ गई। ओसाका यूनिवर्सिटी की ओर से इकट्ठा […]
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने पिछले दिनों देश में आगामी मानसून की स्थिति को लेकर अनुमान जारी किया है। हालांकि एक समय था जब मौसम विभाग की भविष्यवाणी कुछ और कहती थी और वास्तविकता में कुछ और होता था। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर द्वारा सारे रिकार्ड तोड़ने के बीच अच्छे […]