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संपादकीय

‘मोदीमय’ एक वर्ष और मोदी का लक्ष्य

‘मोदीराज’ का एक वर्ष पूर्ण हो रहा है। देश ने सही एक वर्ष पूर्व ऐतिहासिक निर्णय देकर नरेन्द्र मोदी को अपना नेता चुना था। सचमुच यह वह काल था जब देश चारों ओर से नेतृत्वविहीनता की स्थिति से जूझ रहा था। देश के भीतर की स्थिति हो या देश के बाहर की, आर्थिक मोर्चा हो […]

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मोदी जी ! कश्मीर की अंधी लूट को रोको

जम्मू कश्मीर राज्य की भारत संघ में विशेष स्थिति है। यह एक पहाड़ी राज्य है। इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 92 प्रतिशत भाग पहाड़ी है। यहां की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर है, तो शीतकालीन राजधानी जम्मू है। इस राज्य का कुल क्षेत्रफल (पाकिस्तान तथा चीन द्वारा कब्जाए गये क्षेत्रफल सहित) 2, 22, 236 वर्ग किमी. है। […]

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यह लोकतंत्र नही, यह तो ‘शोकतंत्र’ है

लोकतंत्र को सभी शासन प्रणालियों में सर्वोत्तम शासन प्रणाली के रूप में दर्शित किया जाता है। वैसे लोकतंत्र का अर्थ लोक की लोक के द्वारा लोक के लिए अपनायी गयी शासन व्यवस्था है। जिसमें हमें अपने सर्वांगीण विकास के सभी अवसर उपलब्ध होते हैं। वेद ने ऐसी व्यवस्था को ‘स्वराज्यम्’ कहा है। अत: विश्व में […]

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डा. स्वामी सच ही तो कह रहे हैं

‘मेरा भारत वो भारत है…जिसके पीछे संसार चला!’ ये शब्द निश्चय ही भारतवासियों के लिए गर्व करने योग्य हैं। पर आज भारत में कथित प्रगतिशील लोगों का एक  ऐसा वर्ग पनपा है, जो भारत को ‘गारत’ करने पर तुला है। उस वर्ग ने भारत की  परिभाषा, भाषा और आशा को ही परिवर्तित करने का बीड़ा […]

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शिवाजी हमारे नेतृत्व के लिए आज भी प्रेरक हैं

शिवाजी भारतीय राष्ट्रवाद के उन्नायक थे। उनके हर निर्णय और हर कार्य में राष्ट्रवाद झलकता था। अक्टूबर 1664 ई. में उन्होंने बीजापुर से खवासखान की सहायता के लिए आये बाजी घोर पड़े की सेना को परास्त कर भगा दिया था। बाजी घोरपड़े को अपने भी प्राण गंवाने पड़ गये। भारत का राष्ट्र निर्माता शिवाजी इस […]

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पटेल बोले-शेख दिल्ली से बाहर नही जा सकता

कश्मीर को लेकर जब-जब चर्चाएं चलती हैं, बहस होती है या राजनीति में गरमाहट आती है तो समय की सुईयां पुन: 1947 की ओर घूम जाती हैं, और हम सबके अंतर्मन पर कुछ परिचित से नाम पुन: घूमने लगते हैं। इन नामों में सरदार वल्लभभाई पटेल, महाराजा हरिसिंह, पंडित जवाहरलाल नेहरू, शेख अब्दुल्ला, लियाकत अली, […]

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नही हुआ था सीताजी का स्वयंवर

यह सामान्य धारणा है कि सीताजी का स्वयंवर हुआ था, और उन्होंने रामचंद्र जी को अपने लिए पति रूप में चुना। ऐसी ही धारणा द्रोपदी के लिए है कि उसने भी अपने स्वयंवर में अपने पति रूप में अर्जुन को अपने लिए चुना। इस आलेख में हम केवल सीताजी के कथित स्वयंवर तक ही सीमित […]

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विनाशकारी आतंक की योजना और शिक्षित युवा वर्ग

आतंकवाद भारत की ही नही अपितु आज विश्व की एक बड़ी समस्या बन चुका है। सही अर्थों में मानव समाज की यह बुराई मानव के दानवी स्वरूप की सनातन परंपरा का अधुनातन स्वरूप है। विश्व के पिछले दो हजार वर्ष के इतिहास को यदि उठाकर देखा जाये तो जिन लोगों ने ईसाईयत और इस्लाम के […]

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‘क्या तुम्हें मिठाई नही दिखती’

भारत में घोटाले खुलते हैं और अनुसुलझे रहस्यों की भांति अतीत के गर्भ में समाहित हो जाते हैं। हत्याकांड सामने आते हैं और एक अनकहे से किस्से की भांति अदृश्य हो जाते हैं। समय तेजी से दौड़ता है। अगली घटनाएं घटित होती हैं, तो दस बीस पहले घटी घटना को मीडिया में परोसना बंद कर […]

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महाभारत का एक श्लोक और हमारा संविधान

मनुष्य के लिए सबसे उत्तम संविधान क्या है? यह प्रश्न इस जगत के सृष्टा के हिरण्यगर्भ रूपी मानस में उस समय भी था जब कोई नही था और कोई था तो वह-“भूतस्य जात: पतिरेक आसीत” सभी भूतों (प्राणियों) का एक मात्र स्वामी ईश्वर था। तब उस ‘एक’ ने अपनी समस्त प्रजा के लिए (मानव मात्र […]

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