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संपादकीय

भाजपा, नैतिकता और गोविन्दाचार्य

भाजपा जब अस्तित्व में आयी थी तो इसने ‘पार्टी विद डिफरेंस’ का नारा दिया था। उसका अभिप्राय लोगों ने यह लगाया था कि यह पार्टी अन्य पार्टियों की राह को न पकडक़र राजनीति में अपना रास्ता अपने आप बनाएगी और वह रास्ता ऐसा होगा जो अन्य पार्टियों के लिए और इस देश की भविष्य की […]

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लड़ाई पूरे पाकिस्तान को लेने की है

पाकिस्तान इस्लाम की ‘दारूल इस्लाम और दारूल हरब’ की मूल सोच का परिणाम था जिसे जिन्नाह ने हवा दी और करोड़ों मुस्लिमों ने उसकी आवाज पर पाकिस्तान जाने का निर्णय ले लिया। यदि जिन्नाह पाकिस्तान का निर्माता और भारत का विभाजक नही था और मुसलमानों ने भारत में सदा इस देश की संस्कृति में, इतिहास […]

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संपादकीय

वास्तविक बंधुता कब स्थापित होगी?

जब तक एक मत अर्थात हम सब राष्ट्रवासी एक सी मति वाले और विचार वाले न हो जाएं, तब तक हमारी गति की दिशा सही नही होगी। एक जैसी मति ही सही गति का निर्धारण करती है। इसीलिए महर्षि दयानंद का विचार था कि जब तक एक मत, एक हानि-लाभ एक सुख दुख परस्पर न […]

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संपादकीय

गांधी परिवार का योग से वियोग

यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि जब सारा देश और सारा विश्व अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा था और भारत इस दिवस की गौरवानुभूति में आत्ममुग्ध था, तब कांग्रेस का ‘मुखिया गांधी परिवार’ विदेशों में छुट्टी मना रहा था। सोनिया गांधी ऐसे किसी भी कार्यक्रम में सम्मिलित और उपस्थित हो सकती थीं, जिसमें चर्च के पवित्र कार्यों […]

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शिक्षा में सुधार करती स्मृति ईरानी

केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए स्कूलों के पाठ्यक्रम में 25 फीसदी हिस्सा योग, संगीत और खेल के लिए नियत किया है। इस एक निर्णय के दूरगामी परिणाम आएंगे। हमारे बच्चों को स्कूलों से ही अपने देश और संस्कृति के विषय में सीखने समझने को तो कुछ मिलेगा […]

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आपातकाल की वह दर्दनाक घटना

देश में आपातकाल लागू करने की घटना के चालीस वर्ष पूरे हो रहे हैं। 25 जून 1975 की रात्रि से देश में पहली बार आपातकाल लागू किया गया था। उस समय देश को स्वतंत्र हुए तीन दशक भी नही बीते थे कि अचानक लोगों की छाती पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वज्रपात करते हुए […]

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संपादकीय

‘विश्वगुरू’ बनता भारत

भारत के विषय में मि. कोलमैन ने कहा है कि भारत के साधु संतों एवं कवियों ने नैतिक नियमों की शिक्षा दी, और इतने सुंदर कवित्व का प्रदर्शन किया, जिसकी श्रेष्ठता स्वीकार करने में विश्व के किसी भी देश, प्राचीन अथवा अर्वाचीन को लेशमात्र भी झिझक नही होती। भारत के गर्वनर जनरल रहे वारेल हेस्टिंग्स […]

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संपादकीय

राष्ट्रपति, पीएम और मुख्य न्यायधीश होते हैं- राष्ट्र के ब्रह्मा, विष्णु, महेश

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में  कई चीजें  बेतरतीब रूप में देखी गयीं। उन सब में प्रमुख थी किसी भी सरकारी विज्ञापन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ-साथ कांग्रेस की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के चित्र का लगा होना। यह लोकतंत्र और लोकतंत्र की भावना के विरूद्ध किया गया कांग्रेसी आचरण था। […]

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देश को आवश्यकता है आपातकाल की

बुढ़ापे में यादों की जुगालियां आदमी को तड़पाती भी हैं और कभी-कभी इसे बेचैन कर देती हैं कि वह यादों के बिस्तर पर उछल पड़ता है। देश का प्रधानमंत्री बनने की प्रतीक्षा में जीवन बिता देने वाले भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की मानसिकता इस समय समझी जा सकती है। उन्होंने देश में इस समय आपातकाल […]

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केजरीवाल लोकतंत्र और पारदर्शिता

राजनीति में नैतिकता और शुचिता लाकर पूर्ण पारदर्शिता से कार्य करने की बात कहकर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली पर अधिकार किया था। उन्होंने दिल्ली के विधानसभ चुनावों में अप्रत्याशित जीत प्राप्त की। जनता ने देश मोदी को दे दिया और दिल्ली केजरीवाल को। राजनीति अपने मूल स्वभाव में अनैतिक और अशुचितापूर्ण कार्यों का […]

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