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संपादकीय

गांधी परिवार का योग से वियोग

yog-528da90c30cbc_exlयह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि जब सारा देश और सारा विश्व अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा था और भारत इस दिवस की गौरवानुभूति में आत्ममुग्ध था, तब कांग्रेस का ‘मुखिया गांधी परिवार’ विदेशों में छुट्टी मना रहा था। सोनिया गांधी ऐसे किसी भी कार्यक्रम में सम्मिलित और उपस्थित हो सकती थीं, जिसमें चर्च के पवित्र कार्यों का उल्लेख करते हुए किसी सामूहिक राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन होता। या वह तब भी उपस्थित हो सकती थीं जब सारे देश में एक साथ और एक समय नमाज पढऩे की घोषणा कर दी जाती। पर योग से वह बिदक गयीं और परिवार सहित विदेश में जा बैठीं। उनका विदेशी मूल का होना उन्हें भारत के मूल से नही जोड़ पाया है।

वास्तव में भारत एक पंथ निरपेक्ष देश है। जिसमें किसी धर्म विशेष की मान्यताओं को किसी अन्य धर्म के लोगों पर थोपना राष्ट्रीय अपराध माना जाता है। इस मान्यता के आलोक में योग को नही रखा जा सकता, क्योंकि योग ‘एक वैश्विक धर्म’ को स्थापित करने की प्रक्रिया का नाम है। जिसमें मनुष्य मनुष्यत्व से उठकर देवत्व को प्राप्त करता है और अंत में देवत्व से उठकर मोक्ष को प्राप्त करता है। इस प्रक्रिया को कांग्रेस ने पहले दिन से ही समझने का प्रयास नही किया। उसने हर उस मान्यता को या प्रक्रिया को साम्प्रदायिक माना जिसे ‘हिंदू’ अपनाता हो। फिर चाहे वह कितनी ही वैज्ञानिक और तार्किक क्यों ना हो?

कांग्रेस की इसी सोच के कारण देश के राष्ट्रीय परिवेश में ‘राजनैतिक नपुंसकता’ का प्रादुर्भाव हुआ। जिसके चलते हिंदू समाज की वैज्ञानिक और तार्किक मान्यताओं को भी उपेक्षित किया जाने लगा। जिसमें ‘हिन्दुत्व’ की क्षति हुई और देश में साम्प्रदायिकता का विष फैलने लगा। इस सारी प्रक्रिया का एक परिणाम यह भी निकला कि भारत में तेजी से एक ऐसा वर्ग पनपा जिसका उद्देश्य भारत को भारत न बनाकर ‘इंडिया’ बनाना था। इस इंडिया का सपना भारत का विनाश करके देखा जाने लगा। इसलिए तेजी से भारत का शहरीकरण किया जाने लगा। जिसमें सिखाया जाता रहा है कि भारत से भारतीयता से और भारत की मान्यताओं से (भारत की आत्मा से) घृणा करें, यही विकास है और अपने जीवनोद्देश्य की प्राप्ति के लिए विदेशों की ओर देखें। ‘नेहरूवाद’ कहकर जिसे कांग्रेस महिमामंडित करती रही है उस नेहरूवाद का निचोड़ यही था। इसलिए गांधी परिवार में ‘बहू’ भी विदेशी आ गयी, क्योंकि भारत की तो लड़कियां भी ‘युवराजों’ के लायक नही थीं। अब सोनिया या उनका परिवार यदि योग को बहिष्कृत कर विदेश में जा बैठा, तो इसके पीछे इस परिवार का और इस पार्टी का उपरोक्त चिंतन ही उत्तरदायी है।

इस पार्टी के इस चिंतन के कारण सऊदी अरब के प्रोफेसर नासिर बिन सुलेमान उल उमर ने (18-7-2004) भारत के विषय में बड़ा खुश होकर लिखा था-‘‘भारत स्वयं टूट रहा है। यहां (विदेशी) इस्लाम तेजगति से बढ़ रहा है और हजारों मुसलमान, पुलिस सेना और राज्य शासन व्यवस्था में घुस चुके हैं, और भारत में इस्लाम दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। आज भारत भी विध्वंस के कगार पर है। जिस प्रकार किसी राष्ट्र को उठने में दसियों वर्ष लगते हैं। उसी प्रकार उसके ध्वंस होने में भी लगते हैं। भारत एकदम रातों-रात समाप्त नही होगा। इसे धीरे-धीरे समाप्त किया जाएगा।’’

निश्चय ही भारत नष्ट कर दिया जाएगा। भारत में नष्ट होने की प्रक्रिया का श्रीगणेश ‘नेहरूवाद’ से आरंभ हुआ। आज देश में पुन: राष्ट्रवाद की बयार बह रही है जिससे देश का जन-जन उत्साहित है। लग रहा है ‘उगता भारत’ लोग अपनी आंखों से देख रहे हैं। यह ‘उगता भारत’ ही तो कांग्रेस के मुखिया परिवार के चिंतन और लक्ष्य में नही था, इसलिए वह ‘उगता भारत’ देखना सहन नही कर पाया। हां, वह ‘राइजिंग इंडिया’ को अवश्य पसंद करता, क्योंकि उसमें भारत को मारने की एक पूरी योजना है। देश के लोगों को चिंतन करना होगा कि ‘उगता भारत’ का सपना देखने वालों को देश पर राज करना है या फिर ‘राइजिंग इंडिया’ वालों को। बिहार में ये ‘राइजिंग इंडिया’ वाले भंगड़ा कर रहे हैं। चुनाव से पूर्व इनके विषय में निर्णय कर लेना उचित होगा कि इन्हें सत्ता से कितनी दूर खदेडक़र खड़ा किया जाए?

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