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संपादकीय

इतिहास लेखन के प्रति गंभीरता दिखाना समय की आवश्यकता

अपने मौलिक इतिहास की मूल चेतना को खोजता हुआ भारत आज इतिहास लेखन को लेकर नई करवट लेता दिखाई दे रहा है। कई लोगों को इस बात से बड़ी बेचैनी हो रही है कि भारत में इतिहास के पुनर्लेखन की मांग क्यों हो रही है और क्यों इस पर कार्य हो रहा है? हमें अपने […]

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संपादकीय

वैदिक सृष्टि संवत अर्थात हम भारतीयों का नववर्ष

आज से जब हमारा नया सृष्टि संवत आरंभ हो रहा है तो हम देख रहे हैं चारों ओर प्रकृति में नया उल्लास और नवजीवन का संचार हुआ अनुभव हो रहा है। प्रकृति के जर्रे जर्रे में, कण कण में पवित्रता का बोध हो रहा है। पशु पक्षी सभी हर्षित मुद्रा में हैं। इसके अतिरिक्त मनुष्य […]

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संपादकीय

वरुण गांधी नई संभावनाओं का केंद्र बन सकते हैं, यदि…..

सांसद वरुण गांधी का राजनीतिक स्वास्थ्य कैसा है? यदि इस पर विचार किया जाए तो वे भीतर ही भीतर अस्वस्थ दिखाई देते हैं। कभी-कभी उनकी अस्वस्थता उनकी बयानबाजी से झलक जाती है, जब वह अपनी पार्टी भाजपा के विरुद्ध मुखर होकर आलोचना करने लगते हैं। फिर कुछ समय बाद लगता है कि उनके सुर धीमे […]

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संपादकीय

ओमप्रकाश राजभर और महाराजा सुहेलदेव की आत्मा

सुहेलदेव भारतीय इतिहास के एक ऐसे महानायक हैं जिन पर प्रत्येक भारतीय को गर्व होना चाहिए। उन्हीं के नाम पर उत्तर प्रदेश में ओमप्रकाश राजभर नाम के एक नेता सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी चलाते हैं। वास्तव में सुहेलदेव इस समय राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका राजनीति में सिद्धांत क्या है ? – […]

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संपादकीय

इतिहास मिटा दिया तो क्या मिट जाने दें?

अभी हमारे सर्वोच्च न्यायालय की ओर से एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय आया है। जिस पर समाचार पत्रों में जितनी चर्चा होनी चाहिए थी, उतनी हो नहीं पाई है। इससे पता चलता है कि हम घटनाओं के प्रति कितने उदासीन और तटस्थ हो गए हैं ? माना कि सर्वोच्च न्यायालय पर हम बहुत अधिक टीका टिप्पणी […]

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संपादकीय

अब मत …धोखे में आना…… देशवासियों !

मंदिरों में रखी जाने वाली मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा करने की भारत की पौराणिक परंपरा कितनी वैज्ञानिक है और कितनी अवैज्ञानिक है ?- इस पर हमें कोई चर्चा नहीं करनी है। पर आज हम इतना अवश्य कहना चाहते हैं कि हिंदू समाज की राष्ट्र और धर्म के प्रति बढ़ती जा रही निष्क्रियता और तटस्थता की […]

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संपादकीय

मदनी और अतिथि धर्म का अतिक्रमण

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा के फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ ने मौलाना अरशद मदनी द्वारा ओ३म और अल्लाह के एक होने संबंधी दिए गए बयान के संदर्भ में यह कहना उचित ही है कि भारत हिंदू राष्ट्र था, है और आगे भी रहेगा। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि हिंदू कोई मजहब […]

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संपादकीय

स्वामी दयानंद की चिंतन शैली और भारत देश

भारत के लोग अपने आप को सनातनधर्मी कहने और मानने में इसीलिए गर्व और गौरव की अनुभूति करते हैं कि उनका ज्ञान का खजाना शाश्वत है , सनातन है । वेदज्ञान जब सृष्टि दर सृष्टि चलता है तो इसका अर्थ यही है कि यह ज्ञान कभी समाप्त होने वाला नहीं है , यह कभी पुरातन […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत संपादकीय

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़े और भारत की अर्थव्यवस्था

भारत अपनी जीवंतता का परिचय देते हुए निरंतर ऊंचाई की ओर अग्रसर है। कई क्षेत्रों में इस समय भारत विश्वगुरु के अपने दायित्व का निर्वाह करता हुआ दिखाई दे रहा है। राजनीतिक क्षेत्र में जहां भारत की शक्ति को संसार के बड़े से बड़े देश ने पहचाना है, वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष भी भारत को […]

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संपादकीय

अमृत महोत्सव के उषाकाल में बसंत और गणतंत्र का पर्व

देश के लिए सचमुच वह ऐतिहासिक पल थे जब हमने पहली बार 26 जनवरी 1950 को एक गणतंत्र के रूप में आगे बढ़ने का निर्णय लिया था। उस दिन सारे देश में खुशी का एक अलग ही मंजर था। हम सबने एक साथ, एक दिशा में, एक सोच के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया […]

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