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संपादकीय

हे! अर्जुन, उठो। भारत मां की तस्वीर बनाने को

गीता का अनमोल गीत भारत की अमूल्य सांस्कृतिक विरासत है। विश्व का कोई भी धर्म ग्रंथ इतने जीवनप्रद और ज्ञानप्रद संवादों को समाविष्ट कर ‘युद्घभूमि’ में खड़े होकर नही लिखा गया। सचमुच युद्घ में भी ‘जीवन और ज्ञान’ का उपदेश करना अनुपम और अद्वितीय है। क्योंकि जब सामने शत्रु सेना युद्घ के लिए उद्यत हो, […]

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संपादकीय

दीपावली का संदेश और आज का प्रदूषित परिवेश

प्रकाश पर्व दीपावली हमें अपने भीतर झांक कर देखने अर्थात अंतरावलोकन  कर अपने भीतर व्याप्त सभी बुराईयों को समूल नष्ट कर उनके स्थान पर अच्छाईयों को रोपित करने और उन्हें पल्लवित व पुष्पित करने का सुअवसर प्रदान करता है। इस प्रकार यह पर्व आत्म निरीक्षण का पर्व है। जीवन को उत्थानवाद की ओर धकेलकर उसे […]

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संपादकीय

भारतीय-संस्कृति में समाज, राष्ट्र और मानवाधिकार

राकेश कुमार आर्य अमेरिका ब्रिटेन और फ्रांस जैसे विकसित राष्ट्रों सहित विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों का आकर्षण अप्रत्याशित रूप से बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि अमेरिका के समाज में वहां की कुल आबादी का 24 प्रतिशत भाग भारत और भारत की संस्कृति राम और कृष्ण के प्रति श्रद्धा रखने […]

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संपादकीय

क्या औचित्य है इन समाचारों का

मैं यह लेख श्री भारत भूषण व श्री संजीव सिन्हा और उनकी ‘प्रवक्ता’ की पूरी टीम के पुरूषार्थ और उद्यम को समर्पित कर रहा हूं जिन्होंने अपने अथक प्रयास से ‘प्रवक्ता’ को देश विदेश में सम्मानपूर्ण स्थान दिलाया है। मैं उनका इसलिए भी आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने राष्ट्रवादी चिंतन धारा को वरीयता दी और राष्ट्रवादी विषयों एवं […]

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संपादकीय

हिन्दी कविता में जन्मभूमि-वंदना

हमारे कवियों ने मां भारती के प्रति हर देशवासी को जागरूक बनाये रखने हेतु समय-समय पर देशभक्ति और जन्मभूमि के प्रति समर्पण का भाव भरने हेतु प्रशंसनीय कार्य किया है। उनके कार्यों की वंदना यह लेखनी यूं कर सकती है :-धन्य उनकी लेखनी और धन्य उनके कार्य,हमको सदा बताते रहे तुम हो श्रेष्ठ हे! आर्य।जन्मभूमि […]

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संपादकीय

राहुल और लोकतंत्र की मर्यादाएं

राहुल गांधी ने सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों को बचाने के लिए लाये गये अध्यादेश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अचानक मीडिया के सामने प्रस्तुत होकर टिप्पणी की है कि यह अध्यादेश ‘बकवास’ है और इसे फाड़कर फेंक दें। यह अच्छी बात है कि राजनीति को ‘बकवास’ होने से बचाने के लिए कांग्रेस के युवा […]

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संपादकीय

जिन्ना का जिन्न बार-बार मत निकालो

आशा की जा रही है कि सरकार और सुरक्षाबलों ने मुजफ्फरनगर दंगों पर नियंत्रण कर लिया है, पर अभी मन में भरे घृणित रंगों पर नियंत्रण किया जाना शेष है। दंगों और इन ‘घृणित रंगों’ का चोली दामन का साथ है। भारत में पंथ निरपेक्ष शासन की स्थापना करने का उद्देश्य भी यही था कि […]

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संपादकीय

बापू साधु हैं या बहेलिया

आशाराम बापू के ‘कुकृत्य’ से धर्म की पुन: हानि हुई है। दुष्टता जब किसी कथित महापुरूष के सिर चढ़कर ‘पाप के घड़े’ के रूप में फूटती है, तो दुख ना केवल ऐसे किसी महापुरूष के अनुयायियों को होता है, अपितु उसके ना मानने वालों को भी होता है। क्योंकि ऐसे ‘पापकृत्यों’ के कारण लोग फिर […]

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संपादकीय

84 कोसी यात्रा: अखिलेश का राजहठ उचित नही

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार है जिसने विहिप द्वारा अयोध्या की 84 कोसी यात्रा को प्रतिबंधित कर दिया है और भाजपा को प्रदेश में नई ऊर्जा से भरने का अवसर उपलब्ध करा दिया है। कांग्रेस ने सपा और भाजपा को इस समय मुस्लिम और हिंदू मतों का अपने-अपने पक्ष में धु्रवीकरण करते देखकर […]

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संपादकीय

महारथी से अधिरथ बना भारतीय नेतृत्व

स्वतंत्रता दिवस की 66वीं वर्षगांठ भारत मना रहा है। इस पावन अवसर पर हम एक दूसरे को शुभकामनाएं प्रेषित कर रहे हैं। सचमुच पिछले 66 वर्षों में हम दो चार कदम नही अपितु मीलों चले हैं, बहुत कुछ किया गया है। बहुत कुछ किया जा रहा है पर जितना किया गया या किया जा रहा है […]

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