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संपादकीय

मोदी के आंसू:हिन्दुत्व की राजनीति के मोती

कभी आंसू बन जाते हैं तकदीर,कभी आंसू मिटा देते हैं तस्वीर।आंसुओं का भी अपना इतिहास है,कभी इनसे घबराती है शमशीर।बादल गरजता है बरसता है,पर पपीहा एक बूंद को तरसता है।हृदयाकाश में उठे गर नेकनीयती की बदरिया,तो आंसू ‘मोदी के मोती’ बनकर झरता है।। 20 मई को भाजपा के नवनिर्वाचित सांसदों की बैठक संसद में हो […]

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