Categories
धर्म-अध्यात्म

हमें सत्यार्थ प्रकाश क्यों पढ़ना चाहिए ?

*”ओ३म्”* *सत्यार्थप्रकाशः क्यों पढ़ें ?* इसका उत्तर निम्नलिखित है :– १. जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त (तक) मानव जीवन की लौकिक – परालौकिक समस्त समस्याओं को सुलझाने के लिए यह ग्रन्थ एक मात्र अमूल्य ज्ञान का भण्डार है | २. यह एक ऐसा ग्रन्थ है, जो पाठकों को इस ग्रन्थ में प्रतिपादित सर्वतंत्र, सार्वजनीन, सनातन […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

जीवन में कर्म की प्रधानता और वेद

पण्डित गंगाप्रसाद उपाध्याय कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतँ समा:। एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरे।। (यजुर्वेद अध्याय ४०, मन्त्र २) अन्वय :- इह कर्माणि कुर्वन् एव शतं समा: जिजीविषेत्। एवं त्वयिनरे न कर्म लिप्यते। इत: अन्यथा न अस्ति। अर्थ- (इह) इस संसार में (कर्माणि) कर्मो को (कुर्वन् एव) करते हुए ही मनुष्य (शतं समा:) सौ वर्ष […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

बिखरे मोती : बहुवित से भी श्रेष्ठ है, चित्तपावन व्यवहार

बहुवित से भी श्रेष्ठ है, चित्तपावन व्यवहार। दत्तचित होकर सुने, अनुगामी संसार॥1667॥ व्याख्या:- अधिकांशत:इस संसार में ऐसे लोग बहुत मिल जाएंगे जो बहुत कुछ जानते हैं, और उसे अपनी वाणी से अभिव्यक्त भी करते हैं तथा स्वयं को श्रेष्ठ होने का मिथ्या दम्भ पाले रखते हैं किन्तु वास्तव में वही व्यक्ति श्रेष्ठ है,जो अपने चित्त […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

एक सच्चे साधु की कहानी

आचार्य मित्रसेन सिद्धान्तालंकार एक दिन स्वामी ध्यानानन्द अपनी प्रचार-यात्रा को चल दिये। वे प्रचार करते हुए हिमालय पर्वत के पास पहुंचने वाले ही थे कि उन्हें कहीं से विचित्र ध्वनि सुनाई पड़ी। उन्होंने देखा कि धू धू करके जंगल जल रहा था। जंगल के निकट रहने वाले अपनी सम्पत्ति को बचाने का यत्न कर रहे […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

ओ३म् “जीवात्माओं के शरीरों की आकृति व सामर्थ्य में भेद का कारण”

ओ३म् ========== जीवात्मा जन्म-मरणधर्मा है। ईश्वर की व्यवस्था से इसे अपने पूर्वजन्मों के कर्मानुसार जाति, आयु व भोग प्राप्त होते हैं। इन तीनों कार्यों को प्राप्त करने में यह परतन्त्र है। जीव मनुष्य योनि में जन्म लेने के बाद कर्म करने में तो स्वतन्त्र है परन्तु उनके फल इसे ईश्वर की व्यवस्था से मिलते हैं […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

संसार का सबसे प्रमाणिक और वैज्ञानिक कैलेंडर : भारतीय सम्वतसर

उगता भारत ब्यूरो बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक पश्चिमी देशों में उनके अपने धर्म-ग्रन्थों के अनुसार मानव सृष्टि को मात्र पांच हजार वर्ष पुराना बताया जाता था। जबकि इस्लामी दर्शन में इस विषय पर स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है। पाश्चात्य जगत के वैज्ञानिक भी अपने धर्म-ग्रन्थों की भांति ही यही राग […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

ईश्वर है कि नहीं कैसे पता चले?

डॉ. विवेक आर्य प्रसिद्ध स्पेनिश विचारक जेवियर जुबिरी एक बार बाल कटवा रहे थे। बातों ही बातों में जेवियर और नाई के बीच इस बात पर बहस छिड़ गई कि ईश्वर है या नहीं। नाई का कहना था, ‘अगर ईश्वर होता तो दुनिया में शांति और खुशी होती न कि हिंसा और बीमारियां। अगर वह […]

Categories
गौ और गोवंश धर्म-अध्यात्म

क्या बृहदारण्यक उपनिषद् में गोमांस भक्षण का विधान है?

#डॉ_विवेक_आर्य (साम्यवादी बौद्धिक प्रदुषण को प्रतिउत्तर) राजेंद्रलाल मित्र ने अपनी अंग्रेजी पुस्तक ‘प्राचीन भारत में गोमांस-की भूमिका के पृ. 2-3, पाण्डुरंग वामन काणे ने अपनी अंग्रेजी पुस्तक धर्मशास्त्र के इतिहास, खंड 2, भाग 2, अध्याय 22, आर. सी. मजूमदार ने भारतीय लोगों का इतिहास एवं संस्कृति, अध्याय 21, पृ.577 (प्राचीन भारत में गोमांस-एक समीक्षा, पृ. […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

विश्राम की अवस्था और मुक्ति

अध्यात्म गंगा ऐसा हुआ कि अमरीका में पहली दफा ट्रेनें चलाई गईं; ट्रेन की पटरियां डाली गईं; तो एक आदिवासी कबीले में भी पहली दफे ट्रेन गुजरने वाली थी। अमरीकी प्रेसीडेंट उसका उदघाटन करने गया। स्टेशन पर झाड़ के नीचे एक आदिवासी लेटा हुआ सारा दृश्य बड़े मजे से देख रहा है; बीच बीच में […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

ओम के जाप से मिलती है अनंत ऊर्जा

उगता भारत ब्यूरो ओ३म् का जाप स्मरण शक्ति को तीव्र करता है,इसलिए वेदाध्ययन में मन्त्रों के आदि तथा अन्त में ओ३म् शब्द का प्रयोग किया जाता है। मनुस्मृति में आया है कि ब्रह्मचारी को मन्त्रों के आदि तथा अन्त में ओ३म् शब्द का उच्चारण करना चाहिए।क्योंकि आदि में ओ३म् शब्द का उच्चारण न करने से […]

Exit mobile version