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धर्म-अध्यात्म

वैदिक प्रश्नोत्तरी

प्रश्न: हमारे देश का सबसे पुराना नाम क्या है? उत्तर: आर्यावर्त्त प्रश्न: क्या आर्य बाहर से आये हैं? उत्तर: नहीं ! आर्य भारत के मूल निवासी थे। “ऋग्वेद में आर्य शब्द का प्रयोग 37 बार आया है।” आर्य बाहर से नहीं बल्कि यहीं के मूल निवासी हैं।वेद में परमात्मा कहता है-“मैंने यह भूमि आर्यों को […]

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महा काल पूजा का वास्तविक विशलेषण

डॉ डी के गर्ग,  ईशान इंस्टिट्यूट ग्रेटर नोएडा इस विषय मे सबसे पहले काल और महाकाल का अंतर जानने का प्रयास करते हैं। काल क्या है*:- 1.काल शब्द समय वाची है। सूर्य एवं पृथ्वी के पारस्परिक दिन सम्बन्ध का ज्ञान जिससे होता है उसे समय या काल कहते हैं। अस्तु- महर्षियों ने काल को मुख्य […]

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शंकराचार्यों को इसीलिए कोई भी गंभीरता से नहीं लेता

आचार्य श्री विष्णुगुप्त दुनिया का सबसे प्राचीन सनातन धर्म आज विनाश के कगार पर क्यों पहुंच गया है? अपने ही देश में भगाये, लतियाये और मारे क्यों जा रहे हैं हिन्दू?, अपने ही देश में सिर तन से जुआ क्यों कर दिये जा रहे हैं हिन्दू? इन प्रश्नों को समझने के लिए अभी-अभी मौत को […]

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पुरुष सूक्त पढ़ और सुन कर लाभ लें व शंकायें दूर करें। (ऋग्वेद १०।९०।०१ से १६)

🌺 पुरुष सूक्त पढ़ और सुन कर लाभ लें व शंकायें दूर करें। (ऋग्वेद १०।९०।०१ से १६) 🔥सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् । स भूमिं विश्वतो वृत्वात्यतिष्ठद्दशाङुलम् ॥१॥ 🌺 भावार्थ – पुरुष-सूक्त (पुरुष) पुर में व्यापक शक्ति वाले राजा के तुल्य समस्त ब्रह्माण्ड में व्यापक परम पुरुप परमात्मा (सहस्र-शीपः) हजारों शिरों वाला है। (सः) वह (भूमि) […]

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श्रीहरि के मुख्य पार्षद हैं विश्वक्सेन

जिस प्रकार संसार में कार्य चलाने के लिये मनुष्यों को सहायकों की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार सृष्टि के पालनकर्ता श्रीहरि को भी अपना कार्य करने के लिए सहायकों की आवश्यकता पड़ती है। इसी प्रयोजन से श्रीहरि के भी मुख्य 16 पार्षद यानी सहायक हैं, जिनको समय-समय पर समाज को सार्थक संदेश देने के लिए […]

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बाईबल की अभद्र (immoral) शिक्षाएं… ——————————

कहा जाता है कि बचपन में बच्चों के निर्दोष मस्तिष्क पर जो कुसंस्कार अंकित हो जाते है उन कुसंस्कारों को हटाना अत्यन्त दुष्कर कार्य होता है। प्रसिद्ध पाश्चात्य साहित्यकार स्व. मार्क ट्वेईन (Mark Twain) को बच्चों के कोमल मस्तिष्क को बिगाडने वाली बाईबल की अभद्र शिक्षाओं पर तंज कसने का एक अवसर मिला था, जिसका […]

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ऋग्वेद यज्ञ एवं वेदकथा का भव्य आयोजन- ‘जो मनुष्य यज्ञ करता है उसका अगला जन्म मनुष्य का ही होता हैः शैलेशमुनि सत्यार्थी’

ओ३म् ========== देहरादून में श्री प्रेमप्रकाश शर्मा, मंत्री, वैदिक साधन आश्रम तपावेन, देहरादून के निवास 22 दून विहार, जाखन पर ऋग्वेद यज्ञ एवं वेदकथा का आयोजन दिनांक 7-9-2022 से चल रहा है। आज आयोजन के चौथे दिन प्रातः 8.00 बजे से सन्ध्या से आयोजन आरम्भ किया गया। सन्ध्या के बाद आचार्य श्री शैलेशमुनि सत्यार्थी जी […]

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“विश्व में ईश्वरीय ज्ञान वेद का धारक, रक्षक एवं प्रचारक केवल आर्यसमाज है”

ओ३म् ========== प्रश्न क्या परमात्मा है? क्या वह ज्ञान से युक्त सत्ता है? क्या उसने सृष्टि की आदि में मनुष्यों को ज्ञान दिया है? यदि वह ज्ञान देता है तो वह ज्ञान उसने कब किस प्रकार से मुनष्यों को दिया था? इन प्रश्नों पर विचार करने पर उत्तर मिलता है कि परमात्मा का अस्तित्व सत्य […]

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चारों वेदों की सरल शब्दों में जानकारी

सरल शब्दों में वेद प्रायः यह कहा जाता है कि वेद केवल विद्वानो के लिए है। वेद की भाषा और शैली दोनों नीरस हैं। वेदों के अर्थों के समझना और याद रखना कठिन है। इसी समस्या का हल है यह पुस्तकें। वेदमंत्रों का सरल भाषा मे शब्दार्थ और भावार्थ इनकी विशेषता है। विद्वान लेखक ने […]

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“जीवात्मा और मानव शरीर”

ओ३म् ======== मनुष्य को मनुष्य इस लिये कहते हैं क्योंकि यह मननशील प्राणी है। मनन का अर्थ है कि मन की सहायता से हम अपने कर्तव्यों व गुण-दोष को जानकर गुणों का ग्रहण व दोषों का त्याग करें। यदि हम मनन करना छोड़ देते हैं और काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि में फंस कर स्वार्थ […]

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