Categories
धर्म-अध्यात्म

क्या ईश्वर सृष्टि कर्त्ता है

प्रस्तुतकर्ता– भूपेश आर्यप्रश्न:- जब परमात्मा के शरीर ही नहीं,तो संसार कैसे बना सकता है,क्योंकि बिना शरीर के न तो क्रिया हो सकती है और न कार्य हो सकता है?उत्तर:- यह भी तुम्हारी भूल है।चेतन पदार्थ जहां पर भी उपस्थित होगा,वहां वह क्रिया कर सकेगा और क्रिया दे सकेगा।जहां पर उपस्थित नहीं होगा वहां पर शरीर […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

ईश्वर और हम

ओ३म ======= हम एक मनुष्य हैं। मनुष्य कोई जड़ पदार्थ नहीं अपितु एक चेतन प्राणी होता है। चेतन प्राणी इस लिये है कि मनुष्य के शरीर में एक चेतन सत्ता जीव वा जीवात्मा का वास है। यह चेतन सत्ता शरीर से पूर्णतः पृथक होती है। चेतन व जड़ परस्पर एक दूसरी सत्ता में परिवर्तनीय नहीं […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

संसार को बनाने और पालन करने वाली सत्ता ईश्वर ही उपासनीय है

ओ३म् ================= मनुष्य संसार में माता-पिता से एक शिशु के रूप में जन्म लेता है। वह पहली बार जब आंखे खोलता है तो शायद अपनी माता को अपनी आंखों के सम्मुख देखता है। माता के बाद वह अपने परिवार के अन्य सदस्यों यथा पिता व भाई-बहिनों सहित दादा व दादी आदि को देखता है। इसके […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

मनुष्य वा जीवात्मा का जन्म मरण एवं मोक्ष

ओ३म् =========== संसार में तीन पदार्थ सत्य हैं। इसका अर्थ यह है कि संसार में तीन पदार्थों की सत्ता है। यह तीन पदार्थ अनादि, नित्य, अविनाशी तथा अमर हैं। यह पदार्थ सदा से इस जगत में हैं और अनन्त काल तक रहने वाले हैं। यह तीन पदार्थ हैं ईश्वर, जीवात्मा और प्रकृति। ईश्वर व जीवात्मा […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

भगवान करते हैं अपने भक्तों पर कृपावृष्टि

यह भावना हृदय से निकलती है तो अपने समक्ष साक्षात खड़े ईश्वर को भी कृपादृष्टि और दयावृष्टि करने के लिए बाध्य कर देती है। भगवान अपने भक्त पर अपनी कृपा की वर्षा करते हैं – अर्थात उसके दोष निवारण करते हैं। इस भावना से यह स्विष्टकृताहुति यज्ञ में दी जाती है। दोष निवारण की जहां […]

Categories
Uncategorised धर्म-अध्यात्म

विश्व में शांति एवं कल्याण के लिए एक सत्य विचारधारा का प्रचार आवश्यक

ओ३म् =========== विश्व में अशान्ति, हिंसा, भेदभाव, अज्ञान, अविद्या, अन्धविश्वास, अनेकानेक अनावश्यक सामाजिक परम्पराओं आदि के कारणों पर विचार करें तो विश्व में अनेक परस्पर विरोधी विचारधाराओं वाले मतों और उनके अनुयायियों द्वारा अपनी सत्यासत्य मिश्रित विचारधारा को सबसे मनवानें के लिये किया जाने वाला प्रचार व अनुचित साधन ही विश्व में अशान्ति के प्रमुख […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

घृणा प्रेम को खा जाती है

जहां घृणा होती है वहां भावनाओं में पाप छाने लगता है। घृणा प्रेम को खा जाती है, जिससे जीवन रस का स्रोत सूखने लगता है। और हमारे सबके बीच का बिछा हुआ प्रेम का तानाबाना भी छिन्न-भिन्न हो जाता है। तब व्यक्ति व्यक्ति के प्रति पाप और अत्याचार से भर जाता है। कई बार इस […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

घृणा प्रेम को खा जाती है

जहां घृणा होती है वहां भावनाओं में पाप छाने लगता है। घृणा प्रेम को खा जाती है, जिससे जीवन रस का स्रोत सूखने लगता है। और हमारे सबके बीच का बिछा हुआ प्रेम का तानाबाना भी छिन्न-भिन्न हो जाता है। तब व्यक्ति व्यक्ति के प्रति पाप और अत्याचार से भर जाता है। कई बार इस […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

बिखरे मोती — भाग 315 मनुष्य को भेड़िया प्रवृत्ति को करना चाहिए समाप्त

भेड़िया प्रवृत्ति:- दूसरों के हक़ को छीन कर खाना भेडिया-प्रवृत्ति कहलाती है। भेड़िया एक हिंसक और खूंखार पशु है,जो अपनों से कमजोर बशर का हक़ छीनकर खाता है।इसके लिए वह उन पर प्राणघातक हमला करता है और दूसरों के हक़ को क्रूरता और निर्लज्जता से खाता है। जीवन भर वह दूसरों के खून का प्यासा […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

भावना मिट जाए मन से पाप अत्याचार की

वैदिक संस्कृति में गृहस्थ धर्म को सर्वोत्तम माना गया है। वेद ने एक सदगृहस्थ का चित्र खींचते हुए कहा है :- ”तुम दोनों व्यवहारों में (पति-पत्नी की ओर संकेत है) सदा सत्य बोलते हुए भरपूर धन कमाओ। हमारी प्रभु से कामना है कि यह पत्नी तुझ पति के साथ प्रेम से रहे, पति भी मधुर […]

Exit mobile version