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धर्म-अध्यात्म

वेद अध्ययन और वेद प्रचार से अविद्या दूर होकर विद्या वृद्धि होती है

ओ३म् ========== मनुष्य एक ज्ञानवान प्राणी होता है। मनुष्य के पास जो ज्ञान होता है वह सभी ज्ञान स्वाभाविक ज्ञान नहीं होता। उसका अधिकांश ज्ञान नैमित्तिक होता है जिसे वह अपने शैशव काल से माता, पिता व आचार्यों सहित पुस्तकों व अपने चिन्तन, मनन, ध्यान आदि सहित अभ्यास व अनुभव के आधार पर अर्जित करता […]

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सुनो जगत अनुनय संदेश धनुष उठाओ हे अवधेश

डॉ अवधेश कुमार अवध संत कबीर की उक्ति “दु:ख में सुमिरन सब करै….” आज भी प्रयोजन युक्त है। दुखिया है कौन! कबीर बाबा बताते हैं कि, “…….दुखिया दास कबीर है…..”। अर्थात् जो समाज के बारे में सोचेगा, वह सामाजिक अवमूल्यन देखकर दुखी अवश्य होगा और एक सामाजिक प्राणी के नाते मनुष्य होने की यह निर्विवाद […]

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ईश्वर संबंधी कुछ शंकाओं के ऋषि दयानंद के समाधान

ओ३म् ============ आज हम वेदों के अविद्वतीय विद्वान वेद-ऋषि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी द्वारा ईश्वर विषय में की जाने वाली कुछ शंकाओं के समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने प्रश्न उपस्थित किया है कि आप ईश्वर-ईश्वर कहते हो परन्तु ईश्वर की सिद्धि किस प्रकार करते हो? इसका उत्तर देते हुए वह कहते हैं कि वह […]

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ईश्वर की आज्ञा दो प्रकार की होती है : परिव्राजक

*ओषधि से शारीरिक रोगों का निवारण करें, और ईश्वर की आज्ञा पालन करने से शारीरिक और मानसिक दुखों का।* जब कोई व्यक्ति रोगी हो जाता है, तो वह चिकित्सक के पास जाता है। चिकित्सक उसके रोग की जानकारी करके, औषधि के माध्यम से रोगी की चिकित्सा कर देता है। जैसे शारीरिक रोग निवारण के लिए, […]

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संसार की श्रेष्ठतम रचना यह सृष्टि ईश्वर से प्रकाशित हुई है

ओ३म् =========== प्रत्येक रचना एक रचयिता की बनाई हुई कृति होती है। हमारी यह विशाल सृष्टि किस रचयिता की कृति है, इस पर विचार करना आवश्यक एवं उचित है। सृष्टि की रचना व उत्पत्ति आदि विषयों का अध्ययन करने पर यह अपौरुषेय रचना सिद्ध होती है। अपौरुषेय रचनायें वह होती हैं जिनको मनुष्य नहीं बना […]

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वेदादि ग्रंथों के अध्ययन से मनुष्य अंधविश्वासों और दुष्कर्म से बचता है

ओ३म ========== वेद अपौरुषेय रचना है। सृष्टि क आरम्भ में परमात्मा ने ही अपने अन्तर्यामीस्वरूप से चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य एवं अंगिरा को उनकी आत्माओं में वेदों का ज्ञान कराया वा दिया था। प्राचीन काल से अद्यावधि-पर्यन्त सभी ऋषि वेदों की परीक्षा कर इस तथ्य को स्वीकार करते आये हैं कि वेद वस्तुतः ईश्वर […]

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मनुष्य को प्रतिदिन ईश्वर के उपकारों को स्मरण करना चाहिए

ओ३म् ============ हमें यह ज्ञात होना चाहिये कि ईश्वर क्या व कैसा है? उसके गुण, कर्म व स्वभाव क्या व कैसे हैं? इसका ज्ञान करने का सरलतम तरीका सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का अध्ययन है। हमारी दृष्टि में संसार में सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ के समान दूसरा महत्वपूर्ण ग्रन्थ नहीं है। इसके अध्ययन से मनुष्य की सभी शंकायें व […]

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अग्निहोत्र यज्ञ से आत्मा शुद्ध होकर यज्ञकर्ता को ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है

ओ३म् =============== वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य जो शुभ व अशुभ कर्म करता है, उसका फल उसे परमात्मा से अवश्य मिलता है। शुभ व पुण्य कर्मों का फल सुख तथा अशुभ व पाप कर्मों का फल दुःख होता है। हम पुस्तकें पढ़ते हैं तो इसका फल पुस्तक में वर्णित विषय का ज्ञान होना होता […]

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वेदों से दूरी के कारण संसार में अविद्या और दुखों की वृद्धि हुई

ओ३म् ============= संसार मे हम अविद्या व दुःखों को देखते हैं। इसका कारण है मनुष्यों की वेदज्ञान से दूरी। वेदों से दूरी वेदों का अध्ययन छोड़ देने के कारण हुई। प्राचीन काल में मनुष्यों के लिये जो नियम बनाये गये थे उनमें वेदों का स्वाध्याय करना अनिवार्य होता था। शास्त्रीय वचन है कि हम नित्य […]

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निराकार ब्रह्म की ही पूजा क्यों ?

ईश्वर कण कण में है परन्तु कण कण ईश्वर नहीं है । मूर्ति को भगवान मान कर पूजते हो तो तो घर में पड़ी मेज कुर्सी को भगवान मान कर क्यों नहीं पूजते ? उनको भोग क्यों नहीं लगाते ? घासफूस, मलमूत्र आदि में भी भगवान है उनको क्यों नहीं पूजते ? कुछ लोग कुतर्क […]

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