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धर्म-अध्यात्म

पूजनीय प्रभु हमारे भाव उज्ज्वल कीजिए

पूजनीय प्रभो हमारे… अध्याय 1, जब हम किसी भी शुभ अवसर पर या नित्य प्रति दैनिक यज्ञ करते हैं तो उस अवसर पर हम यह प्रार्थना अवश्य बोलते हैं :– पूजनीय प्रभो हमारे, भाव उज्ज्वल कीजिये । छोड़ देवें छल कपट को, मानसिक बल दीजिये ।। 1।। वेद की बोलें ऋचाएं, सत्य को धारण करें […]

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वेदों का महत्व और उनका अध्ययन अध्यापन मानव मात्र का कर्तव्य

ओ३म् ============ वेदों का नाम प्रायः सभी लोगों ने सुना होता है परन्तु आर्य व हिन्दू भी वेदों के बारे में अनेक तथ्यों को नहीं जानते। हमारा सौभाग्य है कि हम ऋषि दयानन्द जी से परिचित हैं। उनके आर्यसमाज आन्दोलन के एक सदस्य भी हैं और हमने ऋषि दयानन्द के जीवन एवं कार्यों को जानने […]

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ईश्वर के गुण कर्म तथा स्वभाव को जानना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य

ओ३म् ============= हम मनुष्य हैं और हमारे कुछ कर्तव्य हैं जिनमें हमारा एक प्रमुख कर्तव्य है कि हम अपने उत्पत्तिकर्ता, जन्मदाता, आत्मा व शरीर को संयुक्त करने वाले तथा हमारे लिए योगक्षेम वा कल्याण के लिए इस सृष्टि को बनाने सहित इसका पालन करने वाले परमेश्वर को जानें और उसके प्रति अपने सभी कर्तव्यों का […]

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क्या सभी मनुष्य मननशील एवं विवेकवान हैं और सत्याचरण करते हैं ?

ओ३म् ============ मनुष्य किसे कहते हैं? इसका सबसे युक्तियुक्त एवं यथार्थ उत्तर ऋषि दयानन्द ने अपने ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के स्वमन्वयामन्तव्य प्रकरण में दिया है। मनुष्य की परिभाषा एवं उसके मुख्य कर्तव्य का उद्घोष करते हुए वह लिखते हैं ’मनुष्य उसी को कहना (अर्थात् मनुष्य वही होता है जो) मननशील होकर स्वात्मवत् अन्यों के सुख-दुःख और […]

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महर्षि दयानंद के अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश का प्रभाव

‘सत्यार्थ प्रकाश’ एक ऐसा पवित्र ग्रंथ है जिसने यह स्पष्ट किया कि श्राद्ध, तर्पण आदि कर्म जीवित श्रद्धापात्रों (माता पिता, पितर, गुरु आदि) के लिए होता है, मृतकों के लिए नहीं। तीर्थ दुख ताड़ने का नाम है – किसी सागर या नदी-सरोवर में नहाने का नहीं। इसी प्रकार आत्मा के (मोक्ष पश्चात) सुगम विचरण को […]

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ईश्वर न होता तो क्या यह संसार होता

ओ३म् ================= हम अपनी आंखों से भौतिक जगत वा संसार का प्रत्यक्ष करते हैं। इस संसार में सूर्य, पृथिवी, चन्द्र व अनेक ग्रह-उपग्रह हैं। हमारे सौर मण्डल के अतिरिक्त भी सृष्टि में असंख्य व अनन्त लोक-लोकान्तर एवं सौर्य मण्डल हैं। यह सब आकाश में विद्यमान हैं और अपनी धुरी सहित अपने-अपने सूर्य-सम मुख्य ग्रह की […]

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ईश्वर ने संसार की रचना क्यों की ?

ओ३म् ========== हम इस संसार में उत्पन्न हुए हैं व वर्षों से रह रहे हैं। जन्म से पूर्व हम कहां थे, क्या करते थे, हम कुछ नहीं जानते हैं? इस जन्म से पूर्व की सभी बातों को हम भूल चुके हैं। ऐसा होना स्वाभाविक ही है। हम बहुत सी बातों को जो कुछ मिनट या […]

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प्रत्येक मनुष्य को देश व समाज को सुदृढ़ करने का कार्य करना चाहिए

ओ३म् ============= हमारा जन्म भारत में हुआ। अनेक मनुष्यों का जन्म भारत से इतर अन्य देशों में हुआ है। सभी मनुष्यों का एक सामान्य कर्तव्य होता है और अधिकांश इसका पालन भी करते हैं कि जो जिस देश में उत्पन्न होते हैं वह उस देश की उन्नति व सम्पन्नता सहित उसकी रक्षा और उसके सम्मान […]

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वेदों में सच्चा अध्यात्मवाद है जो देशवासियों को देशभक्त बनाता है

ओ३म् ========== वेद ही विश्व में अध्यात्म का आदि वा सर्वप्राचीन ग्रन्थ है। ईश्वर, जीव व प्रकृति विषयक त्रैतवाद का सिद्धान्त वेद की ही देन है। सभी विद्वानों की अपनी-अपनी योग्यता होती है। बहुत से विद्वान बहुत से विषयों को नहीं जान पाते। ऐसा ही वेदपाठी व वेदों के अध्ययनकर्ता विद्वानों के साथ भी हुआ। […]

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मनुष्य अपने अपने जन्मों को उन्नत और श्रेष्ठ बनाने के लिए क्या करे ?

ओ३म् ========== मनुष्य एक चेतन व अल्पज्ञ आत्मायुक्त शरीर को कहते हैं जिसके पास दो हाथ व दो पैरों सहित बोलने के लिये वाणी होती है तथा एक विवेकवान व मनन करने की क्षमता से युक्त बुद्धि व मस्तिष्क होता है। मनुष्य की मृत्यु होने पर उसका शरीर अन्त्येष्टि कर्म के द्वारा नष्ट होकर अपने […]

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