प्रज्ञा पांडे शंकराचार्य का जन्म को दक्षिण भारत के राज्य केरल के कालड़ी नामक गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम शिवगुरु नामपुद्रि और माता विशिष्टा देवी थीं। विशिष्टा देवी को विवाह के उपरांत बहुत समय तक संतान नहीं हुई तब उन्होंने शिव जी की आराधना की। शंकराचार्य अद्वैत वेदांत […]
श्रेणी: धर्म-अध्यात्म
ऋग्वेद मण्डल १० का १०वाँ सूक्त ऋक्सर्वानुक्रमणी के अनुसार वैवस्वत यमयमी के संवादपरक है। यम और यमी भाई बहन हैं। यमी यम से शारीरिक सम्बन्ध की कामना करती है, यम उसे इस सम्बन्ध के लिये मना करता है। ऐसा सभी भाष्यकारों ने व्याख्यान किया है। निरुक्त ११।३४ में यास्क ने भी आख्यानपक्ष में ऐसा ही […]
चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ईश्वर द्वारा सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को दिया गया वह ज्ञान है जिससे मनुष्य अपना समस्त जीवन ईश्वर की सच्ची उपासना एवं सत्कर्मों को करता हुआ व्यतीत कर सकता है। जीवन में सुखी, निरोग, दीर्घायु रहकर अपने परजन्म को भी सुधार […]
संसार में सबसे प्राचीन धर्म व संस्कृति वेद वा वैदिक है। वेद ईश्वर का सृष्टि की आदि में दिया गया ज्ञान है। इस वेदज्ञान के अनुसार जो मत व धर्म प्रचलित हुआ उसी को वैदिक धर्म कहा जाता है। वैदिक धर्म उतना ही पुराना है जितना पुराना हमारा संसार है। न केवल हमारे अपितु संसार […]
ओ३म् ============= वैदिक धर्म मनुष्य निर्मित नहीं अपितु परमात्मा से प्रेरित व प्राप्त धर्म है। वैदिक धर्म का आरम्भ चार वेदों से हुआ। यह वेद वा वेदज्ञान सृष्टि उत्पत्ति के साथ, सृष्टि के आरम्भ में ही चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को प्राप्त हुआ था। चार ऋषि थे अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा। […]
एक असत्य को सुनते – सुनते परेशान हो चुके हैं कि प्रयागराज में तीन नदियों का संगम है , इसलिए उसको त्रिवेणी कहते हैं। क्या यह सत्य है ? – बिल्कुल नहीं। इस किंवदंती के अनुसार गंगा , जमुना और सरस्वती का संगम प्रयागराज में बताया जाता है । यद्यपि ऐतिहासिक प्रमाण कुछ इस प्रकार […]
ओ३म् “ईश्वर के सत्यस्वरूप को जानकर उसकी आज्ञाओं का पालन ही धर्म है” ============= मनुष्य ज्ञान से युक्त एक कर्मशील सत्ता है। मनुष्य का जीवात्मा अल्पज्ञ होता है। ईश्वर सर्वज्ञ एवं सर्वशक्तिमान है और अपनी इन शक्तियों से ही वह इस सृष्टि की रचना व पालन करता है। ईश्वर में सृष्टि रचना के अतिरिक्त भी […]
ओ३म् ============= मनुष्य ज्ञान से युक्त एक कर्मशील सत्ता है। मनुष्य का जीवात्मा अल्पज्ञ होता है। ईश्वर सर्वज्ञ एवं सर्वशक्तिमान है और अपनी इन शक्तियों से ही वह इस सृष्टि की रचना व पालन करता है। ईश्वर में सृष्टि रचना के अतिरिक्त भी अनेक गुण हैं। वह अनन्त कर्मों को करता है और उसका स्वभाव […]
भारत का राष्ट्रीय अभिवादन ‘नमस्ते’ है। नमस्ते की सही मुद्रा है -व्यक्ति के दोनों हाथों का छाती के सामने आकर दूसरे व्यक्ति के लिए जुट जाना और उसी समय व्यक्ति के मस्तक का झुक जाना। ‘नमस्ते’ की यह मुद्रा जहां ‘नमस्ते’ करने वाले की शालीनता और विनम्रता को झलकाती है-वहीं उसके अहंकारशून्य व्यवहार की भी […]
बिना भक्ति के हृदय मरूभूमि के समान है यदि मनुष्य आत्मोत्थान चाहता है , कैवल्यानंद अर्थात मोक्ष प्राप्ति के आनंद की इच्छा रखता है तो इसका एक ही साधन है – योग । योग के भी तीन अंतिम चार अंग प्रत्याहार , धारणा , ध्यान और समाधि अंतरंग योग के अंतर्गत आते हैं । प्राणायाम […]