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धर्म-अध्यात्म

ईश्वर की उपासना का उद्देश्य एवं कृतज्ञता ज्ञापन और ईश्वर साक्षात्कार करना है

ओ३म् ========= संसार की जनसंख्या का बड़ा भाग ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार करता है और अपने ज्ञान व परम्पराओं के अनुरूप ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना व उपासना करता है। ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना तथा उपासना करना क्यों आवश्यक है?, इसके लिये हमें ईश्वर के सत्यस्वरूप, उसके गुण, कर्म व स्वभाव तथा उस ईश्वर के […]

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धर्म-अध्यात्म

जीवात्मा का जन्म मरण और आवागमन अनादि काल से चला आ रहा है

ओ३म् ========= मनुष्य जन्म व मरण भोग एवं अपवर्ग की प्राप्ति के लिए प्राप्त एक सुअवसर होता है। यह अवसर सनातन, शाश्वत, अनादि व नित्य आत्मा को परमात्मा प्रदान करते हैं। मनुष्य योनि में जन्म लेकर चेतन व अल्पज्ञ जीवात्मा को अपने माता, पिता, आचार्यों सहित परमात्मा के अपौरुषेय ज्ञान चार वेदों की सहायता तथा […]

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धर्म-अध्यात्म

स्वाध्याय से जीवन की उन्नति सहित अनेक रहस्यों का ज्ञान होता है

ओ३म् =========== मनुष्य जीवन में सबसे अधिक महत्व ज्ञान का बताया जाता है और यह बात है भी सत्य। हम चेतन आत्मा हैं। हमारा शरीर जड़ है। जड़ वस्तु में ज्ञान प्राप्ति व उसकी वृद्धि की सम्भावना नहीं होती। जड़ वा निर्जीव वस्तुयें सभी ज्ञानशून्य होती हैं। इनको किसी भी प्रकार की सुख व दुःख […]

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धर्म-अध्यात्म भारतीय संस्कृति महत्वपूर्ण लेख

अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के साथ ही यह एक राष्ट्र मंदिर भी होगा

पूज्य भगवान श्रीराम हमें सदैव ही मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में दिखाई देते रहे हैं। पूरे विश्व में भारतीय नागरिकों को प्रभु श्रीराम के वंशज के रूप में जानने के कारण, आज पूरे विश्व में हर भारतीय की यही पहचान भी बन पड़ी है। लगभग हर भारतीय न केवल “वसुधैव कुटुंबकम”, अर्थात इस धरा पर […]

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धर्म-अध्यात्म

मानव जाति की सबसे उत्तम संपत्ति ईश्वर और वेद

ओ३म ========== वर्तमान समय में मनुष्य का उद्देश्य धन सम्पत्ति का अर्जन व उससे सुख व सुविधाओं का भोग बन गया है। इसी कारण से संसार में सर्वत्र पाप, भ्रष्टाचार, अन्याय, शोषण, अभाव, भूख, अकाल मृत्यु आदि देखने को मिलती हैं। इसके अतिरिक्त अविद्यायुक्त मत-मतान्तर अपने प्रसार की योजनायें बनाकर भारत जैसे देश की सत्ता […]

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धर्म-अध्यात्म

वेद वर्णित ईश्वर की न्याय व्यवस्था आज भी सर्वत्र प्रभावी है

ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हमारा यह संसार स्वयं नहीं बना अपितु एक सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, अनादि, नित्य, न्यायकारी तथा दयालु सत्ता जिसे ईश्वर कहते हैं, के द्वारा बनाया गया है। इस संसार में एक त्रिगुणात्मक अर्थात् सत्व, रज तथा तम तीन गुणों वाली सूक्ष्म प्रकृति का अस्तित्व भी है जो प्रलयावस्था में सर्वत्र […]

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धर्म-अध्यात्म

हमारे गुरुकुलों के सुरक्षित रहने से ही हमारा धर्म सुरक्षित रहेगा : वेद वसु शास्त्री

ओ३म् -आर्यसमाज राजपुर-देहरादून का वार्षिकोत्सव- ========= आर्यसमाज, राजपुर-देहरादून दिनांक 1-1-2016 को स्थापित उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून का सबसे नया आर्यसमाज है। श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी इसके यशस्वी प्रधान हैं। मंत्री श्री ओम्प्रकाश महेन्द्रू जी हैं। प्रत्येक वर्ष इस समाज के वार्षिकोत्सव होते हैं। वर्ष 2019 में भी समाज का वार्षिकोत्सव धूमधाम से सम्पन्न किया गया […]

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धर्म-अध्यात्म

हम यज्ञोपवीत क्यों पहनते हैं? भाग 2

जनेऊ संस्कार का समय : माघ से लेकर छ: मास उपनयन के लिए उपयुक्त हैं। प्रथम, चौथी, सातवीं, आठवीं, नवीं, तेरहवीं, चौदहवीं, पूर्णमासी एवं अमावस की तिथियां बहुधा छोड़ दी जाती हैं। सप्ताह में बुध, बृहस्पति एवं शुक्र सर्वोत्तम दिन हैं, रविवार मध्यम तथा सोमवार बहुत कम योग्य है। किन्तु मंगल एवं शनिवार निषिद्ध माने […]

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धर्म-अध्यात्म

हम क्यों पहनते हैं यज्ञोपवीत ?

  ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं, प्रजापतेयर्त्सहजं पुरस्तात्। आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं, यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः॥ जनेऊ को उपवीत, यज्ञसूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध, मोनीबन्ध और ब्रह्मसूत्र भी कहते हैं। जनेऊ धारण करने की परम्परा बहुत ही प्राचीन है। वेदों में जनेऊ धारण करने की हिदायत दी गई है। इसे उपनयन संस्कार कहते हैं। ‘उपनयन’ का अर्थ है, ‘पास या […]

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धर्म-अध्यात्म

जिस प्रयोजन के लिए परमात्मा ने जीवन दिया है उसे करना ही धर्म एवं कर्तव्य है

ओ३म् =========== मनुष्य जन्म लेता है परन्तु उसे यह पता नहीं होता कि उसके जन्म लेने व परमात्मा के जन्म देने का प्रयोजन किया है? जन्म के प्रयोजन का ज्ञान हमें वेदों सहित ऋषियों के दर्शन व उपनिषद आदि ग्रन्थों सहित ऋषि दयानन्द के सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं आर्य विद्वानों के ग्रन्थों से होता है। निष्कर्ष […]

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