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भारतीय संस्कृति

-दयानन्द सन्देश मासिक का वेदार्थ-समीक्षा विशेषांक- “पं. राजवीर शास्त्री द्वारा वर्णित महर्षि दयानन्द के वेदभाष्य की प्रमुख विशेषतायें”

ओ३म् ========= दयानन्द सन्देश मासिक पत्रिका आर्यजगत में सिद्धान्तों की पोषक एक प्रमुख पत्रिका है। हम इसके आरम्भ काल से ही पाठक व सदस्य रहे हैं। इस पत्रिका का नवम्बर-दिसम्बर, 1976 संयुक्तांक एक विशेषांक के रूप में प्रकाशित हुआ था जिसका शीर्षक था ‘वेदार्थ-समीक्षा’। यह भी बता दें कि इस पत्रिका का प्रकाशन महान ऋषिभक्त […]

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*वैदिक नव वर्ष के विविध आयाम*”

आगामी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तदनुसार 2 अप्रैल शनिवार 2022 को सृष्टि संवत 1960853123 वे वर्ष के साथ-साथ वैदिक नव वर्ष (हिंदू नव वर्ष) विक्रमी संवत 2079 का शुभारंभ दिवस है। कालगणना ज्योतिष की दृष्टि से वैदिक नववर्ष संसार के सबसे प्राचीन कैलेंडर (दिनदर्शिका ) को पूर्ण करता है जिसकी रचना वैदिक आर्यों ने की ।यह […]

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ईरानी आर्यों में वर्ण व्यवस्था

कुछ दिन पहले हमारे मित्र और प्रबुद्ध पाठक श्री पवन प्रजापति ने हिन्दुओं में व्याप्त चार वर्णों की कुरीति के बारे में पूछा था ,हम इसे कुरीति इसलिए मानते हैं कि इस व्यवस्था में पहले तीन वर्णो को सवर्ण और आखिरी वर्ण को शूद्र अर्थात निम्न और नीचा मान लिया जाता है जिसके कारन से […]

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जीते रहो ! बहादुर विवेक और पल्लवी

आतंकवादियों को हीरो बनाकर जहरीला नरेटिव स्थापित करने वाले बॉलीवुड ने जो जानबूझ कर कभी नही दिखाया पहली बार कश्मीर का वो सच जुझारू विवेक अग्निहोत्री सामने लाए हैं। बहुत पुरानी बात नही है, तीस साल पहले, हमारे ही देश में, कश्मीरी पंडितों का शर्मनाक निर्वासन हुआ और सरकार, न्यायपालिका, मीडिया, कश्मीर और पूरे देश […]

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भारत की संस्कृति का गुण गायक : बना रहे बनारस

दिव्येन्दु राय बनारस जिसके बारे में कहा जाता है कि यह हिन्दू धर्म की प्राचीन और जागृत नगरी है। बनारस के बारे में बचपन से ही सुनता था और उम्र बढ़ने के साथ ही बनारस से अपनापन बढ़ता चला गया जो शायद ताउम्र बना रहेगा। बनारस का ज़िक्र पूजा करते समय “काशी क्षेत्रे” और गोत्र […]

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ईश्वर की सृजना शक्ति और नारी

डॉ अर्पण जैन सृष्टि की उत्पत्ति से, सृजन की वेदिका से, अक्ष के केन्द्र से, धर्म के आचरण से, कर्म की प्रधानता से, कृष के आकर्षण से, सनातन के सत्य से , चेतन के अवचेतन से, जो ऊर्जा का ऊर्ध्वाधर प्रभाव पैदा होता है, वह निःसंदेह सृजन के दायित्वबोध के कारण संसार की आधी आबादी […]

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प्राचीन काल की तरह भारत को शिक्षा का वैश्विक केंद्र बनाएंगे तो छात्र बाहर नहीं जाएंगे

 प्रह्लाद सबनानी एक अन्य अनुमान के अनुसार न केवल यूक्रेन बल्कि आज विश्व के लगभग 85 देशों में 11 लाख से अधिक भारतीय शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रतिवर्ष जाते हैं और इन छात्रों की पढ़ाई पर देश की लगभग 10,000 करोड़ की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा (अमेरिकी डॉलर) खर्च होते हैं। भारतीय संस्कृति विश्व की […]

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“आर्यसमाज वेद प्रचारक, समाज सुधारक एवं प्राणी मात्र की हितकारी संस्था व आन्दोलन है”

ओ३म् ======== आर्यसमाज ऋषि दयानन्द द्वारा चैत्र शुक्ल पंचमी तदनुसार 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई में स्थापित एक धार्मिक, सामाजिक, राष्ट्रवादी एवं वैदिक राजधर्म की प्रचारक संस्था वा आन्दोलन है। ऋषि दयानन्द को आर्यसमाज की स्थापना इसलिए करनी पड़ी थी क्योंकि उनके समय में सृष्टि के आदिकाल में ईश्वर से प्रादुर्भूत सत्य सनातन वैदिक […]

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दक्षिण भारत का अवन्ति गुरुकुल, भारत की वैदिक विरासत का बेजोड़ नमूना

गुजरात के नर्मदा जिले के सांडिया गांव में स्थित अवंति गुस्र्कुल में 100 फीसदी जॉब प्लेसमेंट की व्यवस्था है। यहां बालकों को आधुनिक भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर रखकर प्राकृतिक वातावरण में शिक्षा प्रदान की जाती है। यानी सूर्य, चंद्रमा और दीये की रोशनी में। छह वर्षों से संचालित इस गुस्र्कुल में बिजली नहीं है। वर्तमान […]

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नवसंवत्सरोत्सव : भारतीय हिन्दू नववर्ष (प्रथम किस्त)

हिन्दू नववर्ष‘नवसंवत्सरोत्सव’ सृष्टि की उत्पत्ति का प्रकरण हर मनुष्य के लिए कौतूहल और जिज्ञासा का विषय सृष्टि के प्रारंभ से ही रहा है। इसके लिए कोई भी ऐसा प्रामाणिक साक्ष्य वेदों के अतिरिक्त संसार में प्राप्त होना असंभव है जिससे इस जिज्ञासा की पूर्ण तृप्ति हो सके। वेद तो है ही सब सत्य विद्याओं की […]

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