🌿🌿🌿🌿ओ३म्🌿🌿🌿🌿 🌺🍃🌹🌿🌸🥀🌺🌼🌹🌸 🌹जीवन और मृत्यु का अधिष्ठाता🌹 ईशावास्य मिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्। तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम्।। ―(यजुर्वेद 49/1) मन्त्र में बताया है कि यह परिवर्तनशील सम्पूर्ण संसार का एक स्वामी (ईश) है। ज+गत्=जगत्। ज का अर्थ है जन्म लेना और गत् का अर्थ है चले जाना। जहाँ प्राणी जन्म लेता और अन्ततः […]
श्रेणी: आज का चिंतन
“गुणवान लोग अपने गुणों की रक्षा करने में पुरुषार्थ करते हैं। मूर्ख एवं दुष्ट लोग आलसी प्रमादी बनकर, स्वयं में विद्यमान गुणों को भी धीरे-धीरे खो देते हैं।” गुण और दोष सभी मनुष्यों में होते हैं, किसी में कम, तथा किसी में अधिक। “जिस मनुष्य में गुण अधिक होते हैं, उसे हीरा रत्न भूषण पद्मविभूषण […]
#डॉविवेकआर्य ब्राह्मण शब्द को लेकर अनेक भ्रांतियां हैं। इनका समाधान करना अत्यंत आवश्यक है। क्यूंकि हिन्दू समाज की सबसे बड़ी कमजोरी जातिवाद है। ब्राह्मण शब्द को सत्य अर्थ को न समझ पाने के कारण जातिवाद को बढ़ावा मिला है। शंका 1 ब्राह्मण की परिभाषा बताये? समाधान- पढने-पढ़ाने से,चिंतन-मनन करने से, ब्रह्मचर्य, अनुशासन, सत्यभाषण आदि […]
आनंद मार्ग का विश्लेषण: डॉ डीके गर्ग स्थापना आनन्द मार्ग (“आनंद का मार्ग”, आनंद मार्ग और आनन्द मार्ग भी लिखा गया है) एक सामाजिक एवं आध्यात्मिक पन्थ है। इसका आरम्भ सन् १९५५ में बिहार के जमालपुर में श्री प्रभात रंजन सरकार (१९२१ – १९९०) द्वारा की गयी थी या यह आधिकारिक तौर पर आनन्द मार्ग […]
“किसी की मृत्यु हो जावे, या ऐसी ही कोई भयंकर दुर्घटना हो जावे, तो लोग कितना विलाप करते हैं, ईश्वर को गालियां देते हैं, यह बुद्धिमत्ता और सभ्यता नहीं है।” हमने अच्छे-अच्छे पढ़े-लिखे विद्वानों को देखा है। जो स्वयं को बहुत विद्वान मानते हैं, अच्छी बातों का प्रचार भी करते हैं, लोगों को उपदेश भी […]
ओ३म् ऋषि दयानन्द ने देश और संसार को अनेक सत्य सिद्धान्त व मान्यतायें प्रदान की है। उन्होंने ही अज्ञान तथा अन्धविश्वासों से त्रस्त विश्व व सभी मतान्तरों को ईश्वर के सत्यस्वरूप से अवगत कराने के साथ ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना तथा उपासना एवं अग्निहोत्र यज्ञ का महत्व बताया तथा इनके क्रियात्मक स्वरूप को पूर्ण बुद्धि […]
“हे मनुष्य ! जिस दिन उस परम सत्य का साक्षात्कार तुझे हो जायगा तो निश्चय से तू भी बोल उठेगा ‘इदं ब्रह्म’। पुरुष के विषय में कहने लगेगा ‘यह ब्रह्म है, यह ब्रह्म है’।” तस्माद् वै विद्वान् पुरुषमिदं ब्रह्मेति मन्यते। सर्वा ह्यस्मिन् देवता गावो गोष्ठ इवासते।। -अथर्व० ११।८।३२ ऋषिः – कौरूपथिः। देवता – अध्यात्म, मन्युः। […]
अजय बोकिल आजकल एक तर्क बहुत दिया जाता है कि राजनीति भी अंतत: एक प्रोफेशन ( व्यवसाय) है। इसकी अपनी नैतिकता और मूल्य हैं, जो ‘प्रोफेशनल प्रोग्रेस’ की आकांक्षा से जन्मते और व्यवह्रत होते हैं। इसमें वैचारिक निष्ठा का क्रम बहुत नीचे होता है, जैसे कि बायोडाटा में यह बहुत संक्षेप में दिया जाता है […]
लेखक: #डॉविवेकआर्य संपादक – श्री सहदेव ‘समर्पित’, (कॉनरेड एल्स्ट (Konared Elst )महोदय योगरूपी वृक्ष के पत्ते ही गिनते रह गए। उसकी जड़ जो वेदों तक जाती हैं, उसे पहचान ही नहीं पाए।) सृष्टि के आदिकाल से मनुष्य वेदोक्त योगविधि से ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना और उपासना करता आया है। स्वामी दयानन्द ईश्वर की स्तुति, […]
स्व० स्वामी वेदानन्द ‘वेदतीर्थ’ ने देश विभाजन से पूर्व मुलतान (अब पाकिस्तान में) की आर्यसमाज में उपदेश देते हुए सत्यार्थ प्रकाश की गरिमा एवं महत्ता विषयक् रोचक संस्मरण सुनाया था, जो इस प्रकार है- “मैं एक बार हरिद्वार के मायापुर क्षेत्र में घूम रहा था। मैंने देखा कि कुछ सनातनी साधु ‘सत्यार्थ प्रकाश’ लेकर आ […]