जब आप संसार में रहते हैं, तब आपके संबंध अनेक व्यक्तियों के साथ होते हैं। जैसे माता पिता भाई बहन चाचा चाची इत्यादि। *”परंतु ये संबंध तभी तक रहते हैं, जब तक आप जीवित हैं। जीवन समाप्त होते ही अर्थात शरीर छोड़ते ही आपके ये सारे संबंध भी समाप्त हो जाते हैं। क्योंकि आप आत्मा […]
श्रेणी: आज का चिंतन
हैं बद्री जगन द्वारिका रमेश जिसके धाम। भरत भू महान है महान है महान।। राष्ट्र के चारों दिशाओं में चार धाम हैं उत्तर हिमालय में बद्रीनाथ-बद्रीनारायण धाम है, पूरब में समस्त जगत के नाथ जगन्नाथ जगन्नाथपुरी धाम में हैं, पश्चिम में द्वारिकापुरी धाम में द्वारकानाथ विराजमान हैं तथा दक्षिण में राम हैं। ईश्वर जिनके अथवा […]
8 मार्च शिवरात्रि पर्व पर विशेष- – सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” यह महाशिवरात्र पर्व प्रायः सारे भारत में मनाए जाने वाला पवित्र पर्व है। जहां यह पर्व शिव के भक्तों और उपासकों के लिए व्रत स्नान और शिवालयों में पूजन से जुड़कर मोक्ष प्रदान करता है। वहीं दार्शनिकों तत्व ज्ञानियों और प्रबुद्ध जनों के लिए […]
Dr DK Garg पौराणिक कथा : श्रीराम की आज्ञा से हनुमान जी लंका में गए । जब रावण को इस बात का पता चला तो उसने अपने सबसे छोटे पुत्र अक्षयकुमार को हनुमान जी को रोकने भेजा। लेकिन हनुमान जी ने अक्षयकुमार को युद्ध में मार डाला। क्रोधित होकर रावण के बड़े पुत्र मेघनाद […]
डॉ. गोपाल नारायण आवटे – विनायक फीचर्स आज की शिक्षा प्रणाली और उसमें व्यापक सुधार की गुंजाइश पर विगत दिवस एक कार्यशाला में जाने का अवसर मिला। इस कार्यशाला में भागीदारी करने वाले जितने भी सज्जन थे किसी ना किसी राजनैतिक पार्टी से जुड़े हुए थे। उनके द्वारा जो भी बातचीत निकलकर आई उसमें […]
हम संसार में देखते हैं कि “जब व्यक्ति अनपढ़ होता है, तो उसमें अभिमान कम होता है। जब वह कुछ पढ़ लिखकर विद्वान बन जाता है, तो उसमें अभिमान भी बढ़ जाता है।” “यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, कि कुछ शास्त्रों को पढ़कर व्यक्ति में अभिमान आता ही है।” परंतु इस अभिमान से बचने का […]
◼️आर्यावर्त क्या है?◼️ ✍🏻 लेखक – प्रो० उमाकान्त उपाध्याय, एम० ए० प्रस्तुति – 🌺 ‘अवत्सार’ जब कभी भ्रान्त विचार चल पड़ते हैं तो उनके अवश्यम्भावी अनिष्टकारी परिणामों से बचना दुष्कर हो जाता है। इसी प्रकार का एक अशुद्ध भ्रान्त विचार यह है कि आर्यावर्त की सीमा उत्तर भारत तक ही है और आर्यावर्त की दक्षिणी […]
बिखरे मोती जीवनी नैया की पतवार क्या है! जीवन की पतवार है, संयम और विवेक । संयम साधै संतुलन, विवेक लगावै ब्रेक॥2560॥ विशेष :- सुख-शान्ति का स्रोत कहाँ है ? :- धन में संतुष्टि नहीं, अध्यात्म देय संतोष । देवयान का मार्ग ये, सुख-शान्ति का कोष॥2561॥ विशेष :- जब हृदय परिवर्तन होता है, तो […]
हम सनातन, हम सनातन, युगों-युगों से इस धरा पर, बस बचे हैं हम यहाँ पर, हम अधुनातन हम पुरातन। सृष्टि का आगाज हम हैं, कल भी थे और आज हम हैं, सहस्त्रों वर्षों की कहानी, दुनिया भर में है निशानी। विश्व भर से ये कहेंगे, हम रहे हैं, हम रहेंगे अपनी जिद […]
प्राण हमारे अन्दर आनन्द कब पैदा करते है? हृदय में परमात्मा को स्थापित करने के दो प्रधान कारण कौन से हैं? जीवन में प्रगति का क्रम क्या है? बृहत्स्वश्चन्द्रममवद्यदुक्थ्य1मकृण्वतभियसारोहणंदिवः। यन्मानुषप्रधनाइन्द्रमूतयः स्वर्नृषाचोमरुतोऽमदन्ननु।। ऋग्वेद 1.52.9 (बृहत्) बड़ा (स्वश्चन्द्रम्) आत्म प्रकाश के साथ (अमवत्) उत्तम ज्ञान, उत्तम मन (यत्) जब (उक्थ्यम्) प्रशंसनीय (परमात्मा) (अकृण्वत्) स्थापित (हृदय में) (भियसा) […]