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आज का चिंतन

आर्यसमाज धामावाला-देहरादून का रविवारीय सत्संग- “मनुष्य को सुकर्मों को करने में देरी नहीं करनी चाहियेः आचार्य डा. सत्यदेव निगमालंकार” ==========

ओ३म् हम दिनांक 23-4-2023 को आर्यसमाज धामावाला, देहरादून के साप्ताहिक रविवारीय सत्सग में सम्मिलित हुए। हम जब आर्यसमाज पहुंचे तो वहां आर्यसमाज के पुरोहित पं. विद्यापति शास्त्री जी सत्यार्थप्रकाश के चौदहवें समुल्लास का पाठ कर रहे थे। इससे पूर्व प्रातः 8.00 बजे से आरम्भ सामूहिक यज्ञ आर्यसमाज की यज्ञशाला में सम्पन्न किया जा चुका था। […]

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नचिकेता और यमराज संवाद*भाग 2

Dr DK Garg भाग 2 अंतिम कठोपनिषद में यमराज-नचिकेता संवाद का संक्षिप्त भावार्थ में इस प्रकार है : 1.नचिकेता प्रश्न : किस तरह शरीर से होता है ब्रह्म का ज्ञान व दर्शन? यमराज उत्तर : मनुष्य शरीर दो आंखं, दो कान, दो नाक के छिद्र, एक मुंह, ब्रह्मरन्ध्र, नाभि, गुदा और शिश्न के रूप में […]

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नचिकेता और यमराज संवाद की व्याख्या* भाग 1

Dr D K Garg , अक्सर शोक सभा में पंडित या कथावाचक नचिकेता और यमराज की कथा सुनाते हैं,इस कथा की वास्तविकता क्या है,इस पर विचार करते हैं। संवाद कथा क्या है : नचिकेता और यमराज के बीच हुए संवाद का उल्लेख हमें कठोपनिषद में मिलता है। इस संवाद कथा के अनुसार नचिकेता के पिता […]

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विनम्रता होती है व्यक्ति के व्यक्तित्व का आभूषण

ऋषिराज नागर (एडवोकेट) बच्चों के निर्माण में माता-पिता को किसी प्रकार का प्रमाद नहीं करना चाहिए। हमें संस्कार देने के लिए कदम कदम पर उनका ध्यान रखना माता-पिता का सबसे बड़ा कर्तव्य धर्म है। यदि नासमझी से हमारा बच्चा किसी से वाद- विवाद या झगड़ा -फिसाद करता है, तो सबसे पहले हमें अपने बच्चे को […]

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क्या मूर्तिपूजा सीढ़ी है ???

प्रश्न:- क्या मूर्तिपूजा सीढ़ी है ??? उत्तर :- जी हाँ !! बिलकुल यह सत्य है | मूर्तिपूजा सीढ़ी ही है | देखिये, किस प्रकार एक मूर्तिपूजक सीढ़ी-दर-सीढ़ी आगे ही आगे बढ़ता है और कभी पीछे हटता नहीं है | 1. महाभारत से पहले इस देश में कोई मूर्ति नहीं पूजी जाती थी, सब केवल एक […]

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मधुमास मधुमक्खी और मधु”

================== मधुमक्खी गजब का परिश्रमी सामाजिक बुद्धिमान कीट है । मधुमक्खी अपना जीवन अप्रैल से लेकर सितंबर इन 6-7 महीनों में जी लेती है…. सितंबर के पश्चात सर्दियों का मौसम मधुमक्खियों के लिए बहुत बेरहम विध्वंसक होता है…. इस मौसम में मधुमक्खियां भुख ठंड से मरती हैं। छत्ते में शहद लगभग खत्म हो जाता है […]

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आज का चिंतन हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

_______________क्या-क्या नहीं झेला प्यारे ऋषि ने…..

. उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम्हारा नाम क्या है ? मैंने कहा – मेरा नाम दयानंद है । यह बात उन दिनों की है जब मैं अकेला घूमता था । जंगल से गुजरते हुए एक बार मेरा ऐसे स्थान पर जाना हुआ जहाँ सभी शाक्त ( कोई जाति ) बसते थे । उन्होंने मेरी बड़ी […]

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पंच महायज्ञ की वैदिक परंपरा और मानव समाज

वेदो के अनुसार मनुष्य को प्रतिदिन अपने जीवन में पाँच महायज्ञ जरूर करने चाहिए।* (1) ब्रह्मयज्ञ :- ब्रह्म यज्ञ संध्या ,उपासना को कहते है। प्रात: सूर्योदय से पूर्व तथा सायं सूर्यास्त के बाद जब आकाश में लालिमा होती है, तब एकांत स्थान में बैठ कर ओम् वा गायत्री आदि वेद मंत्रों से ईश्वर की महिमा […]

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ब्रह्म पारायण यज्ञ का आर्यसमाज से क्या सम्बंध है?

-प्रियांशु सेठ आजकल आर्यसमाज में पारायण यज्ञों की चर्चा जोरों पर है। हमारे कुछ आचार्य गणों का सुझाव है कि पारायण यज्ञ वैदिक है। इससे वेदमंत्रों की रक्षा होती है। इसमें प्रमुख रूप से आचार्य शिवदत्त पाण्डेय/शुचिषद् मुनि जिनसे पौराणिकता की बू आती है, को कुछ तथाकथित लोगों ने सिर चढ़ा रक्खा है। दरअसल ऐसे […]

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गुरु बिन मुक्ति नाही* भाग 1

डॉ डी के गर्ग भाग -१ कृपया इस लेख के ४ भाग है । आजकल गुरु बनाने की परम्परा चल पड़ी है कि गुरु बिन मोक्ष नहीं, गुरु बिन ज्ञान नहीं, गुरु ईश्वर से बढ़कर है। गुरु भभूत निकालते है ,चमत्कार करते है।एक-एक गुरु ने लाखों की संख्या में चेले पाल रखे हैं। ये एक […]

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