ओ३म् महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने देश व समाज सहित विश्व की सर्वांगीण उन्नति का धार्मिक व सामाजिक कार्य किया है। क्या हमारे देश और संसार के लोग उनके कार्यों को यथार्थ रूप में जानते व समझते हैं? क्या उनके कार्यों से मनुष्यों को होने वाले लाभों की वास्तविक स्थिति का ज्ञान विश्व व देश के […]
श्रेणी: आज का चिंतन
By Dr D K Garg भाग 1 साभार: सत्यार्थ प्रकाश ईश्वर निराकार और एक ही है तथा उसके अनेको नाम उसके कार्यो के अनुसार है इसलिए ईश्वर को शरीरधारी बना देना और नए नए रूप देना कही भी उचित नहीं है। 1– (अञ्चु गतिपूजनयोः) (अग, अगि, इण् गत्यर्थक) धातु हैं, इनसे ‘अग्नि’ शब्द सिद्ध होता […]
डॉ डी के गर्ग कन्यादान एक ऐसा शब्द है जिससे सामान्यतः प्रतीत होता है कि कन्या एक दान देने योग्य वस्तु है। कन्या की अपनी इच्छा का स्वतन्त्रता का कोई महत्व नही। विवाह के मंडप में पण्डित भी सबसे कहता है कि कन्या दान महा पुण्य का कार्य है और इस तरह से कहते हुए […]
डॉ डी के गर्ग अक्सर आपने देखा होगा की मूर्ति पूजा करते समय तस्वीर या मूर्ति के आगे धूपबत्ती /अगरबत्ती जलाते है। कही कही तो ये भी देखा है की धूपबत्ती से वहा की दीवारे ,फोटो काली पड़ जाती है। इस विषय में दो प्रश्न उठते है – १ क्या धूपबत्ती /अगरबत्ती जलाने से ईश्वर […]
-आर्यवीर आर्य पूर्वनाम मुहम्मद अली (शास्त्रार्थ महारथी अमर स्वामी जी के ट्रैक्ट जिहाद के नाम पर कत्लेआम नामक ट्रैक्ट पर आधारित) सोशल मीडिया के माध्यम से एक वीडियो मेरे देखने में आया। इसमें एक मोमिन यह दिखा रहा है कि वेदों में कत्लेआम, मारकाट, हिंसा का सन्देश दिया गया हैं। मोमिन का कहना है कि […]
रेनू तिवारी केदारनाथ धाम में जल्द ही 60 क्विंटल की भव्य कांस्य ‘ओम’ की मूर्ति स्थापित की जाएगी। बाबा केदारनाथ धाम के गोल्ड प्लाजा में बाबा केदारनाथ के धाम स्थित गोल प्लाजा में 60 क्विंटल कांस्य ओम प्रतिमा स्थापित करने का ट्रायल किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजनरी प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ धाम के […]
प्रस्तुति Dr DK Garg वेदों /हिंदू धर्म ग्रंथ और गोमांस | शास्त्रों में गोमांस भक्षण प्रश्न: क्या वेदों में गोमांस भक्षण की आज्ञा है? एक दिन मेरी बातचीत दिल्ली के एक सुप्रसिद्ध समाजसेवी से हो रही थी,बात बात में उसने बताया कि वह वेद को धर्मग्रंथ स्वीकार नहीं करता क्योंकि वेद में गौ मांस खाने […]
गायत्री महामंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है,जिसकी महत्ता ओ३म् के लगभग बराबर मानी जाती है।यह यजुर्वेद के मंत्र ओ३म् भूर्भुवः स्वः और ऋग्वेद के छंद ३-६२-१० के मेल से बना है।इस मंत्र में सविता देव की उपासना है इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है। इसे गुरु-मन्त्र भी कहा जाता है,क्योंकि सर्वप्रथम गुरु ही […]
भारतीय संस्कृति एवं धर्मग्रंथो के प्रति दुष्प्रचार भाग-१ डॉ डी के गर्ग दुष्प्रचार 1 शूद्र ब्रह्मा के पैरो से उत्पन हुए उत्तर: उपरोक्त कथन का प्रयोग भारत में और विदेशी लोग आपस में फुट डालने के लिए प्रयोग करते है ताकि भारतीय समाज को अलग अलग गुटों में बाँट दे ,इसका लाभ विदेशी ताकतें ,कुछ […]
प्रियांशु सेठ यह कहना तो नितान्त उचित है कि ऋषि दयानन्द की वैचारिक क्रान्ति ने न केवल किसी मत अथवा व्यक्ति विशेष को कल्याण का मार्ग दिखाया अपितु सारे मनुष्य समाज को मानवता के एकसूत्र में भी बांधने का प्रयत्न किया। महर्षि के विचार-शक्ति में इतना सामर्थ्य था कि उसके प्रभाव से अन्य मत वाले […]